MP : राजधानी भोपाल में खुलेगा रक्षा विश्वविद्यालय का कैम्पस, विकसित होगे 230 वृंदावन गांव

MP : राजधानी भोपाल में खुलेगा रक्षा विश्वविद्यालय का कैम्पस, विकसित होगे 230 वृंदावन गांव

प्रेषित समय :18:58:34 PM / Tue, Jul 1st, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

पलपल संवाददाता, भोपाल। गुजरात के गांधी नगर स्थित राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय का केम्पस अब राजधानी भोपाल में खुलेगा।  इस विश्वविद्यालय के लिए मोहन कैबिनेट ने आज राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) में 10 एकड़ जमीन देने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत जर्जर 1766 पुलों की मरम्मत के लिए 4572 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। कैबिनेट ने आज वृंदावन ग्राम योजना का भी अनुमोदन कर दिया है। प्रत्येक विधानसभा (230) में एक वृंदावन ग्राम विकसित किया जाएगा। जिसके 27 मानक होंगे।
                                    डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने कैबिनेट के निर्णयों की जानकारी देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अंतर्गत प्रदेश में बनाए गए पुल व सड़कें क्षतिग्रस्त हो गए हैं। जिससे आवागमन में दिक्कत हो रही है। इसलिए सरकार ने मध्य प्रदेश ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण के माध्यम से इन सड़कों व पुलों को सुधारने का निर्णय लिया है। 1766 पुलों के निर्माण के लिए 4572 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है। डिप्टी सीएम शुक्ल ने बताया कि राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय गांधीनगर का कैम्पस भोपाल के लिए स्वीकृत हुआ है। इसके लिए 10 एकड़ जमीन आरजीपीवी कैम्पस में दी जाएगी। जब तक आरआरयू का अपना भवन नहीं बनेगाए तब तक आरजीपीवी के भवन से संचालित किया जाएगा। जब रक्षा विश्वविद्यालय अपना कैम्पस तैयार कर लेगाए तो वहां शिफ्ट हो जाएगा। इस संस्थान के आने से राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए रोजगार और कौशल के लिए एमपी के बच्चों को मौका मिलेगा। राज्य और राष्ट्र स्तर के मामले में मजबूती मिलेगी। हायर एजुकेशन के क्षेत्र में भी इससे प्रगति होगी। भोपाल में राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (आरआरयू) की स्थापना के लिए तीन वर्षों के लिए प्रति वर्ष एक करोड़ 5 लाख रुपये दिए जाएंगे।
एक बगिया मां के नाम योजना होगी शुरू -
कैबिनेट बैठक के दौरान मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि राज्य सरकार एक बगिया मां के नाम से नई योजना प्रारंभ करने जा रही है। जिसमें स्व-सहायता समूह की 30 हजार महिलाएं आजीविका संवर्धन के लिए 30 हजार एकड़ भूमि पर 30 लाख उद्यानिकी पौधों का रोपण करेंगी। इस पर करीब 900 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस भूमि पर फल उद्यान का विकास किया जाएगा। डॉ यादव ने बताया कि इस योजना में हितग्राहियों को पौधे, खाद, गड्ढे खोदने के साथ ही पौधों की सुरक्षा के लिए तारफेंसिंग व सिंचाई के लिए जल कुंड बनाने के लिए भी राशि दी जाएगी। उद्यान विकास के लिए महिला हितग्राहियों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। एक पेड़ मां के नाम अभियान 1 जुलाई से 15 सितंबर तक चलाया जाएगा। इसमें पंचायत एवं ग्रामीण विकासए नगरीय विकास, वन, उद्यानिकी सहित सभी विभाग सहभागिता करेंगे ।
नदियों के उद्गम स्थल पर रोपेंगे पौधे-
मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि प्रदेश की लगभग 100 नदियों के उद्गम स्थलों पर दस-दस एकड़ भूमि पर 42 करोड़ रुपए की लागत से पौधों का रोपण किया जाएगा।
जिला विकास सलाहकार समिति का गठन-
मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि सभी जिलों में जिला विकास सलाहकार समिति का गठन किया जाना है। समिति में सांसद, विधायक, पंचायत तथा नगरीय निकायों के प्रतिनिधियों के साथ ही चिकित्सा, विधि, इंजीनियरिंग, समाज सेवा, कृषि, उद्यानिकी, डेयरी आदि क्षेत्रों के विशेषज्ञ व प्रख्यातजन शामिल होंगे।

3.51 लाख मैट्रिक टन मूंग, 1.23 लाख मैट्रिक टन उड़द उपार्जन लक्ष्य-
मुख्यमंत्री डॉ यादव ने बताया कि भारत सरकार ने एमएसपी पर मूंग उपार्जन के लिए 3.51 लाख मैट्रिक टन व उड़द उपार्जन के लिए 1.23 लाख मैट्रिक टन का लक्ष्य निर्धारित किया है। मूंग के लिए 30 जून तक 2 लाख 94 हजार किसानों व उड़द के लिए 11 हजार 495 किसानों का पंजीयन किया जा चुका है। पंजीयन के लिए 6 जुलाई तक तिथि निर्धारित है। मूंग और उड़द का उपार्जन 7 जुलाई से 6 अगस्त तक किया जाएगा।
85 हजार खेत तालाबों का निर्माण हुआ-
बैठक शुरू होने से पहले मुख्यमंत्री ने प्रदेश में जल गंगा संवर्धन अभियान के सफल आयोजन के लिए सभी को बधाई दी। उन्होंने बताया कि इस अभियान के अंतर्गत खेत का पानी खेत में संचित करने के उद्देश्य से प्रदेश में 85 हजार से अधिक खेत तालाबों का निर्माण किया है। भूजल संवर्धन के लिए 1 लाख से अधिक कुओं का पुनर्भरण किया। पानी की अमृत बूंद को सहेजने के लिए अमृत सरोवर 2.0 के तहत 1000 से अधिक नए अमृत सरोवरों का निर्माण प्रारंभ हुआ है। शहरी क्षेत्र में समाज की सहभागिता से 3300 से अधिक जल स्रोतों का पुनर्जीवन, 2200 नालों की सफाई और 4000 वर्षा जल संचयन संरचनाएं बनाई गईं।
 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-