अनिल मिश्र/रांची
झारखंड प्रदेश के रामगढ़ जिले में आज शनिवार सुबह एक दर्दनाक हादसा हुआ, जिसने खनन क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासन की जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. दरअसल सेन्ट्रल कोल फिल्डस लिमिटेड (सीसीएल)के करमा प्रोजेक्ट, सुगिया की बंद खदान में अवैध खनन के दौरान चाल धंसने से तीन मजदूरों की मौत हो गई है, जबकि पांच मजदूर अब भी मलबे में फंसे हुए हैं.
प्राप्त जानकारी के यह हादसा कुजू थाना क्षेत्र के महुआ टुंगरी इलाके में हुआ, जहां कई ग्रामीण बिना किसी सुरक्षा उपाय के अवैध रूप से कोयला निकालने में लगे थे.
जानकारी के मुताबिक कल शुक्रवार देर रात कुछ ग्रामीण सुगिया स्थित बंद खदान में अवैध रूप से कोयला निकालने पहुंचे थे. बताया जा रहा है कि इस क्षेत्र में सीसीएल द्वारा पहले ओपन कास्ट माइनिंग की जा चुकी थी और उसके बाद बारिश के चलते खदान अस्थिर हो गई थी.इसी अस्थिर खदान में जब ग्रामीणों ने अवैध खनन शुरू किया, तो जमीन अचानक धंस गई और सभी मजदूर अंदर ही मलबे में दब गए.इस हादसे में अब तक तीन मजदूरों की मौत की पुष्टि हुई है. प्रशासन द्वारा जिनकी पहचान की गई है. जिसमें वकील करमाली,इम्तियाज,निर्मल मुंडा शामिल हैं. वहीं बाकी पांच मजदूरों की तलाश जारी है, और रेस्क्यू टीम मलबा हटाने में जुटी हुई है.
वहीं इस तरह की घटनाएं
स्थानीय प्रशासन और सीसीएल की लापरवाही उजागर करती है.जानकारी के मुताबिक इस खदान को कुछ दिन पहले ही बंद किया था. ब्लास्टिंग के बाद सुरक्षा इंतज़ामों के बिना ही इसे छोड़ दिया गया, जिससे स्थानीय ग्रामीणों को मौका मिला वहां फिर से कोयला निकालने का काम करने लगे. गौरतलब हो कि झारखंड प्रदेश में विभिन्न बंद खदानों में कोई निगरानी न होना, सुरक्षा घेरा न लगाना और स्थायी सीलिंग की अनुपस्थिति ने इस तरह के हादसे को आमंत्रण देते रहते हैं. वहीं इस घटना की जानकारी मिलते ही भारी भीड़ हादसे की खबर मिलते ही स्थानीय लोगों की भीड़ घटनास्थल पर उमड़ पड़ी. इस घटना को लेकर रोते-बिलखते परिजनों का हाल बेहाल है. मृतकों के घरों में मातम पसरा हुआ है और ग्रामीणों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए नाराजगी जाहिर की है.
इस बीच इस घटना के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है .इस बीच जिला प्रशासन मौके पर घटना की सूचना मिलते ही रामगढ़ एसडीओ, कुजू थाना पुलिस, और सीसीएल प्रबंधन की टीम घटनास्थल पर पहुंची. बचाव कार्य शुरू कर दिया गया है, हालांकि बारिश और मलबे की नमी के चलते ऑपरेशन में विलंब हो रहा है.
इस बीच प्रशासन ने बताया कि मलबे में फंसे मजदूरों को विशेष उपकरणों की मदद से निकाला जा रहा है और संभावित हवा और रोशनी के लिए वेंटिलेशन छेद बनाए जा रहे हैं.यह घटना सिर्फ एक खनन दुर्घटना नहीं, बल्कि झारखंड में अवैध खनन के बढ़ते जाल और उसके पीछे की प्रशासनिक चुप्पी का उदाहरण है. सीसीएल की खदानें बंद होने के बावजूद उनपर निगरानी नहीं रखी जाती, जिससे स्थानीय गरीबी और बेरोजगारी से जूझ रहे ग्रामीण जान की बाजी लगाकर कोयला निकालते हैं.इस बीच प्रारंभिक जांच में अधिकारियों ने माना कि यह अवैध खनन का मामला है.
वहीं रामगढ़ उपायुक्त कार्यालय की ओर से बताया गया है कि घटना की उच्चस्तरीय जांच कराई जाएगी और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी. साथ ही मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है. वहीं रामगढ़ की यह घटना एक बार फिर यह साबित करती है कि झारखंड की खनन व्यवस्था को कड़ा प्रशासनिक हस्तक्षेप और सुरक्षा पुनर्विचार की जरूरत है. जिन खदानों को बंद किया जा चुका है, उनमें भी अगर अवैध रूप से खनन चलता है और जानें जाती हैं, तो यह सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि एक प्रशासनिक विफलता है.अब सवाल यह है कि क्या राज्य सरकार , सीसीएल और कोल मंत्रालय अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए कड़े कदम उठाएंगे, या आने वाले समय में हम इसी तरह के और हादसे देखते रहेंगे?
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-