MP : प्रमोशन में आरक्षण पर रोक, हाईकोर्ट ने कहा नए नियम लागू नहीं किए जा सकते हैं, पिछले माह नई नीति में आरक्षण जोड़ा था

MP : प्रमोशन में आरक्षण पर रोक, हाईकोर्ट ने कहा नए नियम लागू नहीं किए जा सकते हैं, पिछले माह नई नीति में आरक्षण जोड़ा था

प्रेषित समय :15:32:29 PM / Mon, Jul 7th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

पलपल संवाददाता, जबलपुर। एमपी हाईकोर्ट ने प्रमोशन में आरक्षण पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि नए नियमों को लागू नहीं कर सकते हैं। इससे साफ है कि अगली सुनवाई तक प्रमोशन में आरक्षण नहीं दिया जाएगा। उक्त आदेश सपाक्स संघ की याचिका पर दिया गया है। 
                           सपाक्स संघ की ओर से अधिवक्ता सुयश मोहन गुरु ने हाईकोर्ट में दलील दी थी कि यह मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इसलिए सरकार नए नियमों के तहत फिलहाल प्रमोशन में आरक्षण नहीं दे सकती। एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा व जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को एक सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई 15 जुलाई को होगी। राज्य सरकार ने जून 2025 में नई प्रमोशन नीति लागू की थी, जिसमें आरक्षण का प्रावधान जोड़ा गया था। इस नई नीति को सपाक्स संघ ने तीन अलग-अलग याचिकाओं के जरिए हाईकोर्ट में चुनौती दी है। याचिकाकर्ता अधिवक्ता सुयश मोहन गुरु का कहना है कि प्रमोशन में आरक्षण देने के नियम का कोई औचित्य नहीं है। यह नीति संविधान के खिलाफ है। उनका कहना है कि पहले हाईकोर्ट इस पर रोक लगाने को तैयार था। लेकिन महाधिवक्ता की ओर से दी गई अंडरटेकिंग में कहा गया कि सरकार फिलहाल नए नियमों के तहत प्रमोशन में आरक्षण लागू नहीं करेगी, लेकिन इसके लिए उन्हें थोड़ा समय दिया जाए।

वर्ष 2016 में प्रमोशन पर लगी थी रोक
9 साल पहले 2016 से सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति रुकी हुई थी। इसका कारण था कि आरक्षण में प्रमोशन को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट में था। सरकार ने वहां एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) दाखिल की थी, जिससे प्रमोशन नहीं हो पा रहा था।
एक लाख कर्मचारी बिना प्रमोशन के ही रिटायर हो चुके-

पदोन्नति में आरक्षण के विवाद के चलते प्रदेश के एक लाख से अधिक अधिकारी कर्मचारी प्रमोशन बगैर रिटायर हो चुके हैं। हालांकि सरकार ने इन्हें क्रमोन्नति व समयमान वेतनमान देकर प्रमोशन जैसा वेतन देना शुरू कर दिया है। लेकिन प्रमोशन नहीं होने से कर्मचारी-अधिकारियों को पुराने काम ही करने पड़ रहे हैं। इसलिए कर्मचारियों, अधिकारियों की हताशा को देखते हुए सरकार ने कोर्ट में केस चलने के बावजूद बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की है।
 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-