क्या आप जानते हैं कि हमारे आसपास की हर चीज़, चाहे वो हमारे जन्म के समय ग्रहों की स्थिति हो या हमारे घर की दिशाएं, हमारी सेहत और खुशहाली पर गहरा असर डालती है? हमारे ऋषि-मुनियों ने हज़ारों साल पहले ही इन गूढ़ रहस्यों को समझ लिया था. उन्होंने हमें सिखाया कि कैसे ग्रहों की ऊर्जा और वास्तु की दिशाएं मिलकर हमारे जीवन को सुख, शांति और आरोग्य से भर सकती हैं. आइए, आज हम ज्योतिष और वास्तु के इस अद्भुत तालमेल को समझते हैं और जानते हैं कि कैसे ये हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं, साथ ही कुछ सरल उपाय भी.
ज्योतिषीय योग और आपका स्वास्थ्य: ग्रहों की शक्ति को समझें!
ज्योतिष शास्त्र मानता है कि जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति हमारे स्वभाव, ऊर्जा और शारीरिक क्षमताओं को प्रभावित करती है. कुछ ग्रहों का मजबूत होना हमें खिलाड़ी बनाता है, तो कुछ का कमजोर होना बीमारियों का कारण.
मंगल और सूर्य की ऊर्जा: ये दोनों ग्रह ऊर्जा, साहस, आत्मविश्वास और शारीरिक शक्ति के कारक हैं. अगर ये कुंडली में मजबूत हों, तो व्यक्ति शारीरिक रूप से स्वस्थ और ऊर्जावान होता है. वहीं, इनकी कमजोर स्थिति थकान या शारीरिक कमजोरियों को जन्म दे सकती है.
चंद्रमा का मन और शरीर पर प्रभाव: चंद्रमा मन, भावनाओं और शरीर के तरल पदार्थों का नियंत्रक है. इसका संतुलन मानसिक शांति और अच्छी पाचन क्रिया देता है. अस्थिर चंद्रमा तनाव और पेट से जुड़ी समस्याओं का कारण बन सकता है.
पंचम, षष्ठ और एकादश भाव: ये भाव खेल, स्वास्थ्य, प्रतिस्पर्धा और लाभ से जुड़े हैं. इन भावों की अच्छी स्थिति शारीरिक फुर्ती और सफलता देती है, जबकि खराब स्थिति बीमारियों या बाधाओं का कारण बन सकती है.
हमारा स्वास्थ्य इन ज्योतिषीय प्रभावों से कैसे जुड़ा है? अगर हमारी कुंडली में ग्रह या भाव कमजोर हैं, तो हम आसानी से बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं. वहीं, मजबूत ग्रह हमें विपरीत परिस्थितियों से लड़ने की शक्ति देते हैं.
वास्तु और आपका स्वास्थ्य: दिशाओं का शरीर पर सीधा असर!
वास्तु शास्त्र हमें सिखाता है कि हमारे घर की हर दिशा पर एक अलग ग्रह, देवता और ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रभाव होता है. अगर कोई दिशा दूषित हो जाती है, तो इसका सीधा असर उस दिशा से जुड़े शरीर के अंगों पर पड़ता है:
पूर्व दिशा (67.5° से 112.5°): मुखिया का स्वास्थ्य खराब रह सकता है, सिर, दांत, मुंह और हृदय से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं.
पश्चिम दिशा (247.5° से 292.5°): मानसिक तनाव, गुप्तांग और पेट से संबंधित बीमारियां दे सकती है.
उत्तर दिशा (337.5° से 22.5°): छाती, दिल और फेफड़ों से संबंधित रोग होने की संभावना.
दक्षिण दिशा (157.5° से 202.5°): बाएं सीने और रीढ़ की हड्डी की समस्याएं.
आग्नेय क्षेत्र (112.5° से 157.5°): बाईं भुजा, घुटना, बाईं आंख की समस्याएं और प्रजनन क्रिया पर विपरीत प्रभाव.
नैऋत्य क्षेत्र (202.5° से 247.5°): आकस्मिक दुर्घटनाएं, बायां पैर, कूल्हा, किडनी, स्नायु रोग, अकाल मृत्यु, पोलियो व कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां तक हो सकती हैं.
वायव्य क्षेत्र (292.5° से 337.5°): स्त्रियों में नेत्र ज्योति में कमी, अस्थमा, गर्भाशय और पाचन संबंधी रोग. पुरुषों में नाभि, आंत, पित्ताशय व शुक्राणु संबंधी रोग.
ईशान क्षेत्र (22.5° से 67.5°): सात्विकता में कमी, वंश वृद्धि में अवरोध, नेत्र, कान, गर्दन व वाणी में कष्ट.
ज्योतिष और वास्तु से स्वास्थ्य सुधार के सरल उपाय:
ज्योतिषीय और वास्तु दोषों को पूरी तरह से ठीक करने के लिए विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए, लेकिन कुछ सामान्य उपाय आपको निश्चित रूप से लाभ देंगे:
पूर्व दिशा को ठीक करें: इस दिशा को साफ, खुला और अव्यवस्था मुक्त रखें. सुबह सूर्य को जल चढ़ाएं. पूर्व में हरे पौधे लगाना शुभ होता है.
उत्तर दिशा को साधें: यह कुबेर की दिशा है, इसे हमेशा साफ-सुथरा रखें. यहां मनी प्लांट लगाएं या पानी का फव्वारा (अगर संभव हो) रखें.
दक्षिण दिशा में स्थिरता: इस दिशा में भारी फर्नीचर रखें और मुख्य द्वार या पानी का स्रोत न बनाएं.
आग्नेय क्षेत्र (किचन) का महत्व: इस कोने में रसोई घर होना सबसे अच्छा है. पानी का कोई स्रोत यहां न रखें.
नैऋत्य क्षेत्र (मास्टर बेडरूम) का ध्यान: यह स्थिरता की दिशा है. यहां मास्टर बेडरूम बनाना शुभ होता है. कोई भी गहरा गड्ढा या प्रवेश द्वार यहां न हो.
ईशान क्षेत्र को पवित्र रखें: यह मंदिर का स्थान है. इसे हमेशा साफ, हल्का और पवित्र रखें. यहां शौचालय या भारी सामान न रखें.
सामान्य स्वास्थ्य और ऊर्जा के लिए:
नियमित सफाई और धूप-हवा: अपने घर को हमेशा साफ-सुथरा रखें और पर्याप्त धूप व ताज़ी हवा आने दें. यह सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है.
पौधे लगाएं: घर में सही दिशा में हरे पौधे लगाना शुभ होता है.
टपकते नल ठीक करवाएं: किसी भी नल से पानी का रिसाव अशुभ माना जाता है. इसे तुरंत ठीक करवाएं.
टूटी हुई चीजें हटाएं: घर में टूटी हुई या खराब वस्तुएं न रखें, ये नकारात्मक ऊर्जा फैलाती हैं.
याद रखें, ये उपाय आपके जीवन में सकारात्मकता लाने में मदद कर सकते हैं, लेकिन किसी भी गंभीर स्वास्थ्य समस्या के लिए हमेशा डॉक्टर से सलाह लेना ही प्राथमिकता होनी चाहिए. ज्योतिष और वास्तु हमें एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीने के लिए दिशा दिखाते हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

