अनिल मिश्र/ पटना. हर्षित कोरोना काल में बिहार की राजधानी पटना से पढ़ाई छोड़कर घर लौट आया. इसके बाद से वह ज्यादातर अपने कमरे में रहा करता था. गांव में भी किसी से उसको खास मतलब नहीं रहता था. वह अपने कमरे में अक्सर बंद रहा करता था. बंद कमरे में वह क्या करता था, इसकी जानकारी न तो परिजन को है और न ही ग्रामीणों को. जब भी वह घर से निकलता तो अपने साथ बॉडीगार्ड लेकर चलता है. लोग सिर्फ इतना जानते थे कि रियल स्टेट में वह अच्छा कमाता होगा. लेकिन उसके पीछे का स्याह सच क्या है, स्पेशल टीम की जांच के बाद ही खुलासा हो पाएगा. फिलहाल उसका लैपटॉप, सिम, मोबाइल और कुछ दस्तावेज की टीम जांच कर रही है.
पुलिस सूत्रों की मानें तो साइबर ठगी के बड़े नेटवर्क का तार हर्षित से जुडऩे की प्रबल संभावना है. दरअसल बिहार प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) का प्रदेश सचिव हर्षित कुमार को साइबर ठगी के मामले में पकड़ा गया है. साइबर फ्रॉड से जुड़े इनपुट के आधार पर सुपौल जिले की पुलिस एवं पटना आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की टीम ने करजाइन थाना क्षेत्र के गोसपुर गांव में छापेमारी किया. वहां से युवा जदयू प्रदेश सचिव हर्षित कुमार को हिरासत में लेकर पटना मुख्यालय ले आयी है. उसके पास से स्पेशल टीम ने कुछ मशीनें, लैपटॉप और कई संदिग्ध दस्तावेज भी बरामद किए. बताया जा रहा है कि हर्षित घर से ही साइबर ठगी का नेटवर्क चला रहा था.
इस बीच स्पेशल टीम के साथ एसपी शरथ आरएस भी छापेमारी में मौजूद रहे. प्रारंभिक पूछताछ के बाद साइबर फ्रॉड के बड़े रैकेट के खुलासे की संभावना जताई जा रही है. इसके तार देश के कई अन्य राज्यों से जुड़े हो सकते हैं. ऐसे में पुलिस के साथ छापेमारी करने आई स्पेशल टीम हर्षित के घर से मिले सामानों को जब्त कर जांच शुरू कर दी है. हालांकि मामले में कोसी रेंज के डीआईजी मनोज कुमार और एसपी शरथ आरएस कुछ भी बताने से इनकार कर रहे हैं.
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