रिन्यूएबल बना सबसे सस्ता ऊर्जा स्रोत, फिर भी हर घर तक नहीं पहुंची सस्ती बिजली

रिन्यूएबल बना सबसे सस्ता ऊर्जा स्रोत, फिर भी हर घर तक नहीं पहुंची सस्ती बिजली

प्रेषित समय :19:58:10 PM / Wed, Jul 23rd, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

दुनिया भर में बिजली उत्पादन का चेहरा तेजी से बदल रहा है. इंटरनेशनल रिन्यूएबल एनर्जी एजेंसी (IRENA) की 2024 की रिपोर्ट बताती है कि इस वर्ष शुरू की गई 91% नई बिजली परियोजनाएं रिन्यूएबल स्रोतों से थीं और ये सभी पारंपरिक कोयला और गैस से सस्ती साबित हुईं. यह बदलाव सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है.

रिपोर्ट के अनुसार, सोलर पैनलों से उत्पादित बिजली की औसत लागत सबसे सस्ते कोयले या गैस की तुलना में 41% कम थी, जबकि ज़मीन पर लगने वाले पवन टर्बाइनों से बनने वाली बिजली 53% तक सस्ती पड़ी. वर्ष 2024 में रिन्यूएबल एनर्जी से जुड़े कुल 582 गीगावॉट के नए प्रोजेक्ट्स लगे, जिससे दुनिया ने अनुमानतः 57 अरब डॉलर की बचत की जो अन्यथा कोयला और तेल जलाने में खर्च होते.

लेकिन रिन्यूएबल एनर्जी की यह सफलता आंकड़ों तक सीमित रह जाती है जब इसका असर ज़मीनी स्तर पर हर नागरिक तक नहीं पहुँच पाता. IRENA की रिपोर्ट साफ़ इंगित करती है कि भारत सहित कई उभरते हुए देशों में रिन्यूएबल प्रोजेक्ट्स को परमिट मिलने में देरी, ग्रिड से जोड़ने में तकनीकी बाधाएं और फाइनेंसिंग की ऊँची लागत जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

रिपोर्ट में यूरोप और अफ्रीका की लागत की तुलना की गई, जिसमें दोनों क्षेत्रों में ऑनशोर विंड प्रोजेक्ट्स की लागत 0.052 डॉलर प्रति यूनिट पाई गई. किंतु इस समानता के पीछे की वास्तविकता अलग थी—यूरोप में यह लागत मशीनरी व तकनीकी खर्चों के कारण थी, जबकि अफ्रीका में फाइनेंसिंग का जोखिम अधिक होने के कारण पूंजी लागत 12% तक पहुँच गई, जो यूरोप की 3.8% पूंजी लागत से काफी अधिक है.

तकनीक के मोर्चे पर प्रगति अवश्य हुई है—2010 से अब तक ऊर्जा भंडारण की बड़ी बैटरियों की लागत 93% तक घट चुकी है. आज सोलर और विंड प्लांट्स के साथ स्मार्ट बैटरियां और AI आधारित डिजिटल सिस्टम जुड़ रहे हैं, जो बिजली आपूर्ति को अधिक लचीला और स्थायी बना रहे हैं. बावजूद इसके, इस इन्फ्रास्ट्रक्चर में आवश्यक निवेश अभी भी उन क्षेत्रों में धीमा है जहाँ इसकी सबसे अधिक ज़रूरत है.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस स्थिति को लेकर स्पष्ट संदेश दिया है कि रिन्यूएबल एनर्जी अब केवल पर्यावरण हितैषी विकल्प नहीं, बल्कि समझदारी भरा निवेश भी है. वहीं IRENA प्रमुख फ्रांसेस्को ला कैमेरा ने चेताया है कि यदि सरकारें नीतियों को मज़बूत करने और वित्तीय बाधाओं को दूर करने में विफल रहीं, तो यह प्रगति रुक सकती है.

साफ़, सस्ती और सुरक्षित बिजली अब कोई दूर का सपना नहीं रही, परंतु यह सवाल आज भी बना हुआ है कि क्या यह बिजली हर गांव, हर कस्बे और हर परिवार तक पहुंच पा रही है? जब तक नीति, निवेश और सामाजिक न्याय की बाधाएं दूर नहीं की जाती, तब तक रिन्यूएबल एनर्जी की यह उपलब्धि अधूरी मानी जाएगी.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-