क्वांटम कंप्यूटिंग में भारत की बढ़ती भागीदारी अब आम लोगों की सोच से जुड़ रहा है भविष्य का विज्ञान

क्वांटम कंप्यूटिंग में भारत की बढ़ती भागीदारी अब आम लोगों की सोच से जुड़ रहा है भविष्य का विज्ञान

प्रेषित समय :15:16:22 PM / Sat, Jul 26th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

रिपोर्ट - अनुराधा. तकनीकी संवाददाता.  वैज्ञानिक शब्दों से दूर, क्वांटम कंप्यूटिंग अब आम नागरिकों की बातचीत और संभावनाओं में शामिल हो रहा है. भारत सरकार के राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (NQM) के तहत तेज़ी से हो रहे शोध और निवेश से यह साफ हो गया है कि देश भविष्य की तकनीक को केवल देख नहीं रहा, बल्कि विकसित करने की दौड़ में शामिल हो चुका है.

क्वांटम क्या है?
पारंपरिक कंप्यूटर जहाँ "बिट" पर चलते हैं (0 या 1), वहीं क्वांटम कंप्यूटर "क्यूबिट" पर आधारित होते हैं — जो एक साथ 0 और 1 दोनों स्थिति में रह सकते हैं.

इसका मतलब है — हजारों गुना तेज़ डाटा प्रोसेसिंग, और वह भी बेहद कम समय में.

आम आदमी को क्या फर्क पड़ेगा?
तेज़ और भरोसेमंद हेल्थकेयर:
क्वांटम कंप्यूटिंग जीनोमिक्स और कैंसर जैसी जटिल बीमारियों की दवा खोजने की प्रक्रिया को तेज करेगा. आने वाले वर्षों में इसका असर सस्ते और सटीक इलाज में दिखेगा.

साइबर सुरक्षा में बदलाव:
डिजिटल लेन-देन और डेटा प्रोटेक्शन अब पहले से ज्यादा मज़बूत होगा. क्वांटम एन्क्रिप्शन हैकिंग को लगभग असंभव बना देगा.

जलवायु परिवर्तन की भविष्यवाणी:
मौसम और कृषि से जुड़ी सटीक भविष्यवाणी किसानों के लिए वरदान बन सकती है.

डिजिटल सेवाओं की गति में क्रांति:
बैंकिंग, ट्रैफिक, स्मार्ट सिटी — हर जगह क्वांटम आधारित AI सिस्टम ज्यादा कुशल निर्णय ले सकेंगे.

भारत कहाँ तक पहुंचा?
राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के लिए भारत सरकार ने 6000 करोड़ रुपये का आवंटन किया है.

IITs, IISERs, TIFR जैसे संस्थानों में क्वांटम लैब्स और फेलोशिप प्रोग्राम शुरू हो चुके हैं.

भारत अब US, चीन, फ्रांस जैसे तकनीकी अग्रणी देशों के साथ मिलकर अनुसंधान में साझेदारी कर रहा है.

क्या चुनौतियां हैं?
तकनीकी प्रशिक्षण की कमी: अभी केवल मुट्ठीभर वैज्ञानिक और इंजीनियर इस क्षेत्र में दक्ष हैं.

बुनियादी ढाँचा सीमित: भारत को क्वांटम हार्डवेयर और सुपरकूलिंग टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भर होना होगा.

सामान्य उपयोग में समय लगेगा: आम लोग फिलहाल सिर्फ अप्रत्यक्ष रूप से लाभ पाएंगे — लेकिन भविष्य में यह AI की तरह रोज़मर्रा का हिस्सा बन सकता है.

 क्या कहता है युवा भारत?
“मैं इंजीनियरिंग का छात्र हूँ, लेकिन पहली बार Quantum का नाम टेक्स्ट बुक से बाहर सुन रहा हूँ.”
— सौरभ , छात्र, IIT BHU

“अगर ये तकनीक मेरी फसल की सटीक जानकारी दे सके, तो इससे बड़ा कुछ नहीं.”
— बृजमोहन यादव, किसान, इटावा, उत्तर प्रदेश

क्वांटम कंप्यूटिंग अब केवल प्रयोगशालाओं का विषय नहीं, बल्कि भारत के डिजिटल और तकनीकी भविष्य का आधार स्तंभ बनता जा रहा है. आम लोगों तक इसकी प्रत्यक्ष पहुंच भले ही कुछ वर्ष दूर हो, लेकिन उसके प्रभाव की आहट गांव-गली तक पहुँचने लगी 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-