रिपोर्ट: पूजा , शिक्षा संवाददाता, अगरतला. त्रिपुरा के दक्षिणी जिले सबरूम की एक सरकारी बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय (Sabroom Girls Higher Secondary School) में हाल ही में अपनाई गई U-आकार की कक्षा व्यवस्था (U-shaped classroom layout) राज्य में शैक्षणिक नवाचार की एक मिसाल बनकर उभरी है. यह परिवर्तन पारंपरिक बैठने की शैली को बदलकर एक ऐसी व्यवस्था में तब्दील कर रहा है जहाँ हर छात्र शिक्षक के दृष्टि क्षेत्र में होता है, और संवाद को बाधा नहीं बल्कि अवसर माना जाता है.
क्या है U-शेप क्लासरूम?
U-शेप क्लासरूम व्यवस्था में छात्रों को यू (U) के आकार में इस तरह बैठाया जाता है कि सभी विद्यार्थियों के बीच आंखों का संपर्क बना रहे, और शिक्षक कक्षा के केंद्र में खड़े होकर हर छात्र से सीधा संवाद कर सकें. यह पद्धति विशेष रूप से इंटरएक्टिव, गतिविधि-आधारित और सहभागिता-प्रधान शिक्षण के लिए प्रभावी मानी जाती है.
प्रेरणा और शुरुआत
विद्यालय के प्राचार्य ने बताया कि इस मॉडल को एक मलयालम फिल्म में देखकर प्रेरणा मिली, जहाँ एक शिक्षक ने छात्रों को क्लास की पिछली पंक्तियों से बाहर निकालकर एक वृत्त या U-आकार में बैठाकर संवाद शुरू किया. विद्यालय ने इसे प्रायोगिक रूप से लागू किया, और परिणाम उत्साहजनक रहे.
छात्र-छात्राओं की प्रतिक्रिया
11वीं कक्षा की छात्रा रूचिका दास कहती हैं, “पहले हमें कुछ भी पूछने या कहने में संकोच होता था. अब हम शिक्षक को सामने देखकर तुरंत बात कर सकते हैं.” वहीं, छात्रा मिनाक्षी साहा के अनुसार, “अब क्लास में चर्चा होती है, सिर्फ लेक्चर नहीं.”
शिक्षकों ने भी माना कि जब छात्र मुख्यधारा में समान रूप से शामिल होते हैं, तो उनका आत्मविश्वास बढ़ता है और शैक्षणिक निष्पादन में सुधार होता है.
शैक्षणिक दृष्टिकोण से लाभ
U-आकार की कक्षा का प्रमुख लाभ यह है कि यह शिक्षा को केवल एकतरफा ज्ञानप्रदाय से निकालकर संवाद आधारित सीखने में बदल देता है. छात्रों की सक्रिय भागीदारी, समूह चर्चा, आत्म-अभिव्यक्ति, और सुनने-सिखने की पारस्परिकता इसमें समाहित हो जाती है.
NCERT और अन्य शैक्षणिक शोधों ने भी इस तरह की कक्षा व्यवस्था को ‘Learner-Centered Pedagogy’ का आधार माना है, जहाँ शिक्षक मार्गदर्शक की भूमिका में रहते हैं, और छात्र सीखने की प्रक्रिया के केंद्रीय पात्र बनते हैं.
नीति और विस्तार की संभावना
त्रिपुरा सरकार के शिक्षा विभाग ने इस प्रयोग पर रुचि दिखाई है. विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, “हम इस मॉडल के शैक्षणिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव का मूल्यांकन कर रहे हैं. यदि परिणाम सकारात्मक रहे, तो इसे अन्य सरकारी विद्यालयों में भी लागू किया जा सकता है.”
इस मॉडल को खासकर ग्रामीण या सामाजिक रूप से संवेदनशील पृष्ठभूमियों से आने वाले छात्रों के लिए प्रभावी माना जा रहा है, जहाँ आत्म-विश्वास की कमी संवादहीनता में बदल जाती है.
त्रिपुरा के इस विद्यालय ने साबित कर दिया है कि शिक्षा में छोटे लेकिन सोच-समझकर किए गए बदलाव छात्रों की सीखने की यात्रा को गहराई और गरिमा दोनों दे सकते हैं. U-शेप क्लासरूम एक व्यवस्था भर नहीं, बल्कि एक शिक्षा दर्शन है, जहाँ हर छात्र को 'पीछे की पंक्ति' से उठाकर संवाद के केंद्र में लाया जाता है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

