वास्तु शास्त्र केवल भवन निर्माण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मानव जीवन को ऊर्जा, भावनाओं और ब्रह्मांडीय शक्तियों के सामंजस्य से जोड़ता है. इसमें देव मूर्तियों और धार्मिक प्रतीकों की स्थापना को लेकर भी विशेष निर्देश दिए गए हैं. विशेषतः जब बात भगवान शिव की हो, तो उनका चित्र या प्रतिमा कहाँ, किस रूप में और किस दिशा में स्थापित की जाए—यह न केवल ऊर्जा संतुलन बल्कि पारिवारिक सौहार्द और मानसिक शांति के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण होता है.
1. भगवान शिव की तस्वीर लगाने की दिशा
वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर दिशा भगवान शिव की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करने के लिए सबसे उपयुक्त मानी गई है. यह दिशा जल तत्व की और कुबेर की मानी जाती है, जो समृद्धि और मानसिक संतुलन का प्रतीक है. उत्तर दिशा में शिव की उपस्थिति घर के सदस्यों के विचारों में स्पष्टता, संबंधों में मधुरता और कार्यों में स्थिरता लाती है.
2. शिव परिवार की तस्वीर क्यों और कहाँ
वास्तु विशेषज्ञों का मत है कि शिव परिवार की सामूहिक तस्वीर, जिसमें शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय और नंदी (बैल) सभी उपस्थित हों और सभी प्रसन्न मुद्रा में हों, उसे घर में पूजा कक्ष के उत्तर या उत्तर-पूर्व कोने में लगाना शुभ माना गया है. इस तरह की तस्वीर से परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम, सहयोग और सामंजस्य बढ़ता है. वास्तु शास्त्र में इसे ‘गृहस्थ संतुलन’ के लिए आदर्श ऊर्जा संयोजन माना गया है.
3. किस रूप में न लगाएं तस्वीर
वास्तु में यह भी स्पष्ट किया गया है कि भगवान शिव की तांडव मुद्रा या अति रौद्र रूप वाली तस्वीर को घर में नहीं लगाना चाहिए. इससे घर के वातावरण में अस्थिरता और मानसिक तनाव की ऊर्जा सक्रिय हो सकती है. इसी प्रकार शिव के ध्यानमग्न मुद्रा वाले चित्र को अध्ययन या ध्यान कक्ष में लगाना उपयुक्त है, लेकिन शयन कक्ष में नहीं.
4. अर्धनारीश्वर रूप की मान्यता
वास्तु शास्त्र में अर्धनारीश्वर रूप को ऊर्जा के स्त्री और पुरुष पक्ष के संतुलन का प्रतीक माना गया है. यदि इस रूप की मूर्ति या चित्र उत्तर दिशा में स्थापित किया जाए, तो यह विशेष रूप से वैवाहिक जीवन के सामंजस्य को बढ़ाने में सहायक होता है. इससे घर में संतुलन, संयम और परस्पर समझ की ऊर्जा का विकास होता है.
5. दीवार की ऊँचाई और स्थान
शिव की तस्वीर को नेत्र स्तर (eye level) पर लगाना चाहिए और वह किसी शौचालय, रसोई या सीढ़ियों से लगी दीवार पर नहीं होनी चाहिए. इससे चित्र से उत्पन्न होने वाली सकारात्मक ऊर्जा बाधित हो जाती है.
6. किस सामग्री पर बनी हो तस्वीर
वास्तु शास्त्र में इस बात का भी उल्लेख है कि धार्मिक चित्र या प्रतिमा लकड़ी, पीतल या चित्रकला के रूप में हो तो वह घर के लिए अधिक अनुकूल होती है. भगवान शिव का चित्र धातु के फ्रेम में हो, तो ऊर्जा प्रवाह बेहतर बना रहता है.
वास्तु शास्त्र में भगवान शिव की तस्वीर का उत्तर दिशा में, प्रसन्न मुद्रा में, पूरे परिवार सहित और संतुलित रंगों व फ्रेम के साथ लगाया जाना अत्यंत शुभ फलदायी माना गया है. केवल श्रद्धा नहीं, वास्तु की यह विद्या यह सुनिश्चित करती है कि ऊर्जा, भावना और दृष्टिकोण—तीनों का संतुलन बना रहे, जिससे जीवन में समृद्धि, सुख और मानसिक शांति बनी रहे.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

