प्रसिद्ध कृष्ण की तेज़ धार से भारत को बढ़त और खिलाड़ियों के आचरण से उठे स्पिरिट ऑफ क्रिकेट पर सवाल

प्रसिद्ध कृष्ण की तेज़ धार से भारत को बढ़त और खिलाड़ियों के आचरण से उठे स्पिरिट ऑफ क्रिकेट पर सवाल

प्रेषित समय :21:21:35 PM / Sat, Aug 2nd, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

विशेष विश्लेषण, ओवल से

भारत और इंग्लैंड के बीच जारी पांचवां टेस्ट न सिर्फ स्कोर और शतकों की बात है, बल्कि यह मुकाबला उस आंतरिक खिंचाव का उदाहरण बनकर उभरा है जहाँ एक ओर उभरता सितारा प्रसिद्ध कृष्ण गेंद की धार से इंग्लैंड के बल्लेबाज़ों को चौंका रहा था, वहीं दूसरी ओर टीम इंडिया के कुछ वरिष्ठ खिलाड़ियों के आचरण को लेकर “स्पिरिट ऑफ क्रिकेट” पर सवाल उठने लगे हैं. इन दोनों घटनाओं को एक साथ देखने पर आज के क्रिकेट की दो भिन्न मगर अहम दिशाएं साफ़ दिखाई देती हैं — एक उर्जा से भरपूर और क्रिकेट को नई ऊँचाई पर ले जाती, और दूसरी जो मर्यादा और गरिमा के सवालों में उलझती दिखाई देती है.भारत के लिए यह टेस्ट मैच सिर्फ स्कोर की बात नहीं, बल्कि एक सीख भी है. एक ओर प्रसिद्ध कृष्ण जैसी प्रतिभाओं को निखारना है, वहीं दूसरी ओर टीम के भीतर अनुशासन और 'आचरण की गरिमा' को भी पुनर्स्थापित करना होगा.

क्रिकेट सिर्फ जीत की कहानी नहीं है, यह उस तरीके की भी कथा है जिससे जीत हासिल की जाती है. और यही तरीका आने वाली पीढ़ियों को दिखाएगा कि असली क्रिकेट क्या होता है — केवल स्कोर के पीछे भागना, या उसके पीछे छुपे मूल्यों को भी जीना.

 प्रसिद्ध कृष्ण की गेंदबाज़ी — युवा जोश में छिपी परिपक्वता
तीसरे दिन प्रसिद्ध कृष्ण की गेंदबाज़ी ने केवल विकेट नहीं गिराए, बल्कि एक संदेश भी दिया — भारत की तेज़ गेंदबाज़ी अब सिर्फ जसप्रीत बुमराह या मोहम्मद शमी तक सीमित नहीं है. कृष्ण ने अपनी तेज़ लाइन और सतर्क लेंथ से चार अहम विकेट लेकर इंग्लैंड की कमर तोड़ी.

पूर्व सलामी बल्लेबाज़ और विश्लेषक आकाश चोपड़ा ने इसे "तीव्रता और नियंत्रण का बेहतरीन मिश्रण" बताया. उन्होंने कहा:

“प्रसिद्ध अब सिर्फ एक विकल्प नहीं, बल्कि टेस्ट फॉर्मेट में एक टिकाऊ संसाधन बनकर उभर रहे हैं. जिस अनुशासन से उन्होंने गेंदबाज़ी की, वह नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा है.”

कृष्ण का एक्शन सरल है, रन-अप नियंत्रित, और उनका एंगल बल्लेबाज़ों के लिए कठिनाई पैदा करता है. उन्होंने जो रूट और बेयरस्टो जैसे सेट बल्लेबाज़ों को जिस रणनीति से फंसाया, वह यह दर्शाता है कि वह सिर्फ स्विंग या स्पीड पर नहीं, बल्कि मानसिक खेल पर भी ध्यान दे रहे हैं.

रोहित शर्मा की चुप्पी और आचरण को लेकर उठते सवाल
तीसरे दिन का एक और दृश्य मीडिया की नज़रों से नहीं बचा — भारतीय कप्तान रोहित शर्मा की मौन उपस्थिति. वह सुबह ओवल मैदान पर पहुँचे, लेकिन पत्रकारों के किसी भी सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया. स्टैंड में वह शांति से बैठे रहे, जैसे किसी आंतरिक मंथन में डूबे हों.

हालांकि, उनके मीडिया से बचने के कारण स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन टीम के कुछ अंदरूनी हलकों से खबरें निकलकर आईं कि मैदान पर खिलाड़ियों के बर्ताव को लेकर कोचिंग स्टाफ और कप्तानी समूह में असहमति है. खासकर, दूसरे दिन केएल राहुल और अंपायर धर्मसेना के बीच हुए विवाद के बाद ड्रेसिंग रूम का माहौल तनावपूर्ण बताया जा रहा है.

स्पिरिट ऑफ क्रिकेट पर बहस — क्या भारत और इंग्लैंड दोनों दोषी हैं?
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में यह सवाल उठा कि क्या यह दोनों टीमें — भारत और इंग्लैंड — टेस्ट क्रिकेट में "सबसे खराब आचरण करने वाली टीमें" बनती जा रही हैं?

रिपोर्ट्स के अनुसार, दूसरे दिन जब केएल राहुल को एक एलबीडब्ल्यू अपील पर अंपायर ने नॉट आउट दिया और इंग्लैंड ने रिव्यू लिया, तब थर्ड अंपायर के फैसले के बाद राहुल ने धर्मसेना से सीधे तौर पर बहस की और गुस्से में कुछ शब्द भी कहे. कैमरे ने इस पल को कैद किया, और सोशल मीडिया पर यह वायरल हो गया.

पूर्व अंपायर साइमन टॉफेल ने इस घटना को "खेल की आत्मा के खिलाफ" बताते हुए कहा:

“आप किसी अंपायर के निर्णय से असहमत हो सकते हैं, लेकिन उस पर निजी टिप्पणियाँ करना या सार्वजनिक रूप से बहस करना खेल के नैतिक मूल्यों को चोट पहुंचाता है.”

इसी तरह इंग्लैंड के कुछ खिलाड़ियों — विशेषकर स्टोक्स और ओली रॉबिन्सन — की स्लेजिंग भी कैमरे में देखी गई, जिसने यह बता दिया कि दोनों टीमें केवल खेल के परिणाम के लिए नहीं, बल्कि आपसी अहं और दबाव में भी उलझी हैं.

 इतिहास की गवाही: क्रिकेट का आचरण ही इसकी पहचान है
क्रिकेट हमेशा से “जेंटलमैन गेम” माना गया है. 2000 के दशक की शुरुआत में जब ऑस्ट्रेलियाई टीम अपनी आक्रामकता और स्लेजिंग के लिए आलोचना में आई थी, तब आईसीसी ने 'स्पिरिट ऑफ क्रिकेट' गाइडलाइंस लागू कीं. पर आज, जब भारत जैसी टीम — जो कई बार नैतिकता की मिसाल रही है — उस दायरे से बाहर जाती दिखती है, तो यह सिर्फ एक खिलाड़ी या मैच की बात नहीं रहती. यह उस सांस्कृतिक दिशा पर भी सवाल है जिसमें आधुनिक क्रिकेट आगे बढ़ रहा है.

दो पहलू, एक दिशा — क्रिकेट का भविष्य तय करने वाले संकेत
आज का दृश्य दो स्तरों पर क्रिकेट की तस्वीर दिखाता है:

प्रसिद्ध कृष्ण जैसे युवा खिलाड़ी, जो सीमित संसाधनों और दबाव के बीच अनुशासित, रणनीतिक और प्रभावशाली प्रदर्शन कर रहे हैं — एक नई भारतीय तेज़ गेंदबाज़ी की पीढ़ी को जन्म देते हुए.

टीम के वरिष्ठ खिलाड़ी, जो कभी-कभी दबाव, अहं या असहमति में ऐसी प्रतिक्रियाएं दे जाते हैं जो 'स्पिरिट ऑफ क्रिकेट' को कमज़ोर करती हैं.

यह विरोधाभास आधुनिक क्रिकेट की चुनौती भी है — जहाँ तेज़ी, प्रतिस्पर्धा और मीडिया की नजरें खिलाड़ियों पर निरंतर दबाव बनाती हैं, वहीं आचरण की मर्यादा को बचाए रखना भी ज़रूरी है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-