घर का ईशान कोण केवल एक दिशा नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रवेश द्वार

घर का ईशान कोण केवल एक दिशा नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रवेश द्वार

प्रेषित समय :19:24:35 PM / Wed, Aug 6th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

भारतीय वास्तुशास्त्र केवल ईंट-पत्थर की दिशा का विज्ञान नहीं, बल्कि ऊर्जा के संतुलन का एक प्राचीन सूत्र है. इस विज्ञान में प्रत्येक दिशा का एक विशेष महत्व है, लेकिन इन सभी में ईशान कोण — यानी उत्तर और पूर्व दिशा के बीच का क्षेत्र, सर्वाधिक पवित्र और ऊर्जावान माना गया है.ईशान कोण कोई साधारण कोना नहीं है, यह आपके घर की आध्यात्मिक और ऊर्जात्मक धुरी है.यदि आप इस दिशा को स्वच्छ, व्यवस्थित और पवित्र बनाए रखें, तो जीवन में सुख-शांति, मानसिक संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा का संचार बना रहता है.वास्तु के अनुसार, जहाँ ईशान कोण प्रसन्न होता है, वहाँ लक्ष्मी, सरस्वती और गणेश का वास स्वतः होता है.तो आइए, अपने घर के इस देव स्थान को सहेजें — और शुभता को आमंत्रित करें.ईशान कोण को ईश (ईश्वर) का स्थान कहा गया है. यह वह दिशा है जहाँ से सूर्य की पहली किरणें प्रवेश करती हैं. इसलिए इसे शुभता, शुद्धता, ज्ञान और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा माना गया है. वास्तुशास्त्र में कहा गया है कि यदि घर का ईशान कोण दोषपूर्ण हो या गंदा रखा जाए, तो घर में नकारात्मकता, क्लेश और दुर्भाग्य का प्रवेश हो सकता है.

ईशान कोण की पहचान कैसे करें?
ईशान कोण को पहचानने के लिए सबसे सरल उपाय है – कंपास (Compass) का प्रयोग करना.

उत्तर (North) और पूर्व (East) के बीच का कोना ईशान कोण कहलाता है.

यह घर के नक्शे में एक त्रिकोणीय क्षेत्र की तरह होता है.

आजकल मोबाइल एप्स में भी डिजिटल कंपास की सुविधा होती है.

 ईशान कोण का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
वास्तु के अनुसार, यह वह दिशा है जहाँ ब्रह्मा, विष्णु, शिव, गणेश और सूर्य जैसे प्रमुख देवताओं का निवास माना जाता है.
इस दिशा से आने वाली सकारात्मक ऊर्जा घर में ज्ञान, शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य का संचार करती है. इसलिए इस दिशा को धार्मिक कार्यों और पूजा-पाठ के लिए सर्वोत्तम माना जाता है.इस दिशा में मंदिर बनाना, ध्यान करना या योग कक्ष रखना अति शुभ होता है.

क्या न करें ईशान कोण में?
वास्तु में कुछ विशेष निषेध भी बताए गए हैं, जिन्हें इस दिशा में रखने या बनाने से बचना चाहिए:

शौचालय (Toilet/Bathroom):
ईशान कोण में शौचालय बनाना अत्यंत अशुभ माना गया है. इससे मानसिक तनाव, स्वास्थ्य समस्याएँ और घर में कलह बढ़ सकती है.

कूड़ेदान या गंदगी:
इस दिशा में कूड़ा, जूते-चप्पल, टूटी चीजें या बेकार सामान रखना ऊर्जा प्रवाह को अवरुद्ध करता है.

भारी वस्तुएं या गोदाम:
यह दिशा हल्की, खुली और साफ-सुथरी होनी चाहिए. यदि यहाँ भारी फर्नीचर या स्टोर रूम होगा, तो आर्थिक रुकावटें आ सकती हैं.

 क्या करें ईशान कोण में?
घर का मंदिर या पूजाघर बनाएँ:

यह दिशा पूजा के लिए सबसे उपयुक्त है.

देवताओं की मूर्तियाँ पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके स्थापित करें.

साफ-सफाई बनाए रखें:

प्रतिदिन झाड़ू-पोंछा करें, धूप या कपूर जलाएँ.

गंगा जल का छिड़काव करने से नकारात्मकता दूर होती है.

प्राकृतिक रोशनी और वेंटिलेशन:

इस दिशा से आने वाली सूरज की किरणें ऊर्जा और जीवन शक्ति देती हैं.

खिड़की या रोशनदान ज़रूर होना चाहिए.

हल्के रंगों का उपयोग करें:

सफेद, हल्का पीला या आसमानी रंग इस दिशा के लिए शुभ माने जाते हैं.

ईशान कोण दोष के दुष्परिणाम
यदि किसी घर का ईशान कोण गंदा, बंद, भारी या दोषयुक्त हो, तो इसके संभावित परिणाम निम्न हो सकते हैं:

परिवार के सदस्यों में मानसिक अस्थिरता या अवसाद

दांपत्य जीवन में तनाव और वैचारिक मतभेद

आर्थिक हानि और ऋण में वृद्धि

बच्चों की पढ़ाई में मन न लगना

घर में बार-बार रोग, दुर्घटनाएँ या विवाद होना

 ईशान कोण दोष का समाधान (उपाय)
यदि इस दिशा में शौचालय बना हुआ है और तोड़-फोड़ संभव नहीं है, तो वहां पिरामिड यंत्र, पवित्र शंख, या पंचधातु श्री यंत्र स्थापित करें.

गंगा जल से नियमित छिड़काव करें और सफाई बनाए रखें.

इस दिशा में कभी अंधेरा न रखें — साफ, हल्का और रोशन रखें.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-