भारतीय परंपरा और वास्तु शास्त्र में सात घोड़ों की पेंटिंग को एक विशेष स्थान प्राप्त है. इसे न केवल सौंदर्य और सजावट के दृष्टिकोण से देखा जाता है, बल्कि यह जीवन में ऊर्जा, प्रगति और समृद्धि का प्रतीक भी मानी जाती है. घोड़े गति, शक्ति और सफलता के प्रतीक हैं, और सात घोड़े मिलकर एक निरंतर आगे बढ़ने वाली सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं. यही कारण है कि घर या कार्यस्थल पर इस पेंटिंग को लगाने के लिए दिशा, स्थान और पेंटिंग के स्वरूप पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी जाती है.
वास्तुशास्त्र के अनुसार, सात घोड़ों की पेंटिंग के लिए दक्षिण दिशा को सबसे अच्छा माना गया है. दक्षिण दिशा अग्नि तत्व से जुड़ी होती है, जो ऊर्जा, उत्साह और नेतृत्व का प्रतीक है. इस दिशा में पेंटिंग लगाने से यह ऊर्जा स्थिर होकर जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति का मार्ग प्रशस्त करती है. यदि किसी कारणवश दक्षिण दिशा में दीवार उपलब्ध न हो, तो इसे उत्तर या पूर्व दिशा में भी लगाया जा सकता है. उत्तर दिशा जल तत्व से संबंधित है और करियर, व्यापार तथा आर्थिक उन्नति का संकेत देती है, जबकि पूर्व दिशा सूर्य की पहली किरणों से जुड़ी है और यह नई संभावनाओं और शुभारंभ का प्रतीक है.
पेंटिंग लगाने का स्थान भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. घर या ऑफिस में इसे ड्राइंग रूम में लगाना सबसे उत्तम माना गया है. ड्राइंग रूम वह स्थान है जहां से घर की सामाजिक और ऊर्जात्मक छवि बनती है. यहां सात घोड़ों की पेंटिंग लगने से आगंतुकों और परिवार दोनों के लिए सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है. इसे शयनकक्ष में लगाना उचित नहीं माना जाता, क्योंकि वहां शांत और स्थिर ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जबकि घोड़े गति और सक्रियता का प्रतीक हैं. इसी तरह कमरे के गेट के ठीक सामने यह पेंटिंग नहीं लगानी चाहिए, क्योंकि इससे ऊर्जा का प्रवाह बाहर की ओर निकल सकता है और उसका लाभ पूर्ण रूप से नहीं मिल पाता.
एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि पेंटिंग में दिखाए गए घोड़ों का चेहरा हमेशा घर या ऑफिस के अंदर की तरफ होना चाहिए. वास्तु में यह संकेत देता है कि सफलता, समृद्धि और शुभ ऊर्जा घर के भीतर आ रही है, न कि बाहर जा रही है. इसके विपरीत, यदि घोड़ों का रुख बाहर की ओर होगा, तो यह शुभ ऊर्जा को बाहर की ओर ले जाएगा और इच्छित परिणाम नहीं मिलेंगे.
सात घोड़ों की पेंटिंग के स्वरूप में भी विशेष ध्यान रखना चाहिए. पेंटिंग में घोड़ों पर कोई जंजीर, पट्टा या रस्सी नहीं होनी चाहिए. इसका कारण यह है कि बंधन का प्रतीक बनने से यह स्वतंत्र ऊर्जा और प्रगति की भावना को कम कर सकता है. घोड़े स्वतंत्र और गतिशील दिखने चाहिए, जिससे जीवन में निरंतर उन्नति और बाधाओं से मुक्त होकर आगे बढ़ने का संदेश मिले. घोड़ों का रंग भी महत्व रखता है—सफेद घोड़े शुद्धता और शांति का, भूरे घोड़े शक्ति और स्थिरता का, जबकि काले घोड़े गहनता और दृढ़ संकल्प का प्रतीक होते हैं.
सात का अंक अपने आप में ही विशेष महत्व रखता है. अंक ज्योतिष में सात ज्ञान, आध्यात्मिकता और गहरी समझ का प्रतीक है. सात घोड़े मिलकर भौतिक सफलता और आध्यात्मिक संतुलन का संदेश देते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस पेंटिंग से जीवन में तेजी से प्रगति के अवसर आते हैं और अटकी हुई योजनाओं में गति आती है.
यदि इसे सही स्थान, सही दिशा और सही स्वरूप में लगाया जाए, तो सात घोड़ों की पेंटिंग न केवल घर और ऑफिस की शोभा बढ़ाती है, बल्कि वहां रहने वालों के जीवन में नई ऊर्जा, उत्साह और आर्थिक स्थिरता का संचार भी करती है. यह केवल एक कला का टुकड़ा नहीं, बल्कि एक प्रतीक है—आगे बढ़ने, बाधाओं को पार करने और स्वतंत्र होकर सफलता प्राप्त करने का. इसलिए इस पेंटिंग को चुनते और लगाते समय वास्तु के सिद्धांतों और सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को ध्यान में रखना अनिवार्य है, ताकि यह सचमुच आपके जीवन में समृद्धि और सौभाग्य का वाहक बन सके.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

