एशिया कप 2025 के लिए टीम इंडिया में शुभमन गिल की वापसी जसप्रीत बुमराह की भी मजबूत वापसी

एशिया कप 2025 के लिए टीम इंडिया में शुभमन गिल की वापसी जसप्रीत बुमराह की भी मजबूत वापसी

प्रेषित समय :21:15:59 PM / Tue, Aug 19th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

एशिया कप 2025 का आगाज़ नज़दीक है और इस बार भारतीय क्रिकेट टीम का चयन जिस तरह से हुआ है उसने पूरे देश में चर्चा और बहस छेड़ दी है. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने जो टीम घोषित की है, उसमें सबसे अहम और उत्साहजनक बात यह है कि टीम के दो बड़े खिलाड़ी—शुभमन गिल और जसप्रीत बुमराह—की वापसी हुई है. गिल हाल के कुछ महीनों से चोट और खराब फॉर्म की वजह से टीम से बाहर थे जबकि बुमराह को भी फिटनेस समस्याओं के चलते टीम से बाहर रहना पड़ा था. अब इन दोनों खिलाड़ियों की वापसी को न केवल चयनकर्ताओं बल्कि क्रिकेट प्रशंसकों ने भी टीम इंडिया की मजबूती के रूप में देखा है.

भारतीय क्रिकेट हमेशा से ही इस बात पर टिका रहा है कि टीम में युवा और अनुभवी खिलाड़ियों का सही संतुलन हो. गिल, जिन्हें अगली पीढ़ी का विराट कोहली कहा जाता है, ओपनिंग में नई ऊर्जा और स्थिरता लाते हैं. उनका स्टाइल, तकनीक और संयम भारत को शुरुआती overs में मजबूती देता है. वहीं बुमराह को “मैन विद मैजिक आर्म” कहा जाता है क्योंकि उनकी गेंदबाजी विपक्षी बल्लेबाज़ों को गहरी मुश्किल में डाल देती है. उनकी यॉर्कर और death overs की गेंदबाज़ी का कोई सानी नहीं. ऐसे में यह वापसी सिर्फ दो खिलाड़ियों की नहीं बल्कि टीम इंडिया के आत्मविश्वास की वापसी भी है.

इस टीम चयन के बाद क्रिकेट जगत में तरह-तरह की प्रतिक्रियाएँ आई हैं. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि गिल और बुमराह के आने से टीम की core strength और भी मज़बूत हो गई है. ओपनिंग में रोहित शर्मा और गिल की जोड़ी विपक्षियों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है. वहीं बुमराह और मोहम्मद शमी का संयोजन गेंदबाजी में भारत को सबसे धारदार आक्रमण देगा. दूसरी ओर आलोचकों ने यह सवाल भी उठाया है कि चयनकर्ताओं ने कुछ खिलाड़ियों जैसे श्रेयस अय्यर और यशस्वी जायसवाल को टीम से बाहर क्यों रखा.

श्रेयस अय्यर की अनुपस्थिति ने तो विवाद खड़ा कर दिया है. सोशल मीडिया पर यह चर्चा जोरों पर है कि क्या चयन में पक्षपात हुआ है. कुछ पूर्व खिलाड़ियों और क्रिकेट विश्लेषकों ने चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि श्रेयस अय्यर ने पिछले कुछ टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन किया था और उन्हें बाहर करना कहीं न कहीं नाइंसाफी है. दूसरी ओर चयनकर्ताओं ने साफ़ किया कि यह फैसला पूरी तरह प्रदर्शन और वर्तमान फिटनेस पर आधारित है. उन्होंने यह भी कहा कि एशिया कप जैसी प्रतियोगिता में वे केवल उन्हीं खिलाड़ियों को शामिल करना चाहते हैं जो पूरी तरह फिट और प्रदर्शन के लिहाज से तैयार हैं.

अगर क्रिकेट के इतिहास की ओर देखें तो भारत की सबसे बड़ी ताक़त यह रही है कि टीम ने हमेशा मुश्किल हालात से उठकर प्रदर्शन किया है. गिल और बुमराह जैसे खिलाड़ी इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हैं. गिल की बल्लेबाजी में वह आत्मविश्वास है जो टीम को एक मजबूत शुरुआत दिला सकता है. हाल ही में घरेलू टूर्नामेंट में उन्होंने वापसी करते हुए शानदार शतक लगाया और यह साबित कर दिया कि वे बड़े मंच के लिए तैयार हैं. वहीं बुमराह ने नेट्स और practice मैचों में अपनी धारदार गेंदबाजी से चयनकर्ताओं का भरोसा जीता. उनकी गेंदबाज़ी का सबसे बड़ा पहलू यह है कि वे हर परिस्थिति में विकेट निकाल सकते हैं—चाहे पिच स्पिनरों के लिए मददगार हो या तेज़ गेंदबाज़ों के लिए.

एशिया कप 2025 का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह टूर्नामेंट विश्व कप से ठीक पहले हो रहा है. हर टीम चाहेगी कि इस प्रतियोगिता में अपना सर्वश्रेष्ठ संयोजन उतारे और खिलाड़ियों का आत्मविश्वास बढ़ाए. भारत के लिए यह टूर्नामेंट एक rehearsal की तरह होगा. चयनकर्ताओं की कोशिश यही है कि जो टीम एशिया कप खेले वही आगे विश्व कप में भी उतरे. इस लिहाज से गिल और बुमराह की वापसी एक बड़ा संकेत है कि टीम इंडिया अब फुल स्ट्रेंथ में उतरना चाहती है.

गिल और बुमराह की वापसी का असर केवल तकनीकी स्तर पर ही नहीं बल्कि मनोवैज्ञानिक स्तर पर भी पड़ेगा. विपक्षी टीमें जानती हैं कि गिल का बल्ला चलता है तो भारत की जीत तय मानी जाती है. वहीं बुमराह का नाम सुनते ही कई बल्लेबाज़ों के पसीने छूट जाते हैं. ऐसे खिलाड़ी सिर्फ खेल नहीं बदलते बल्कि माहौल भी अपने पक्ष में कर देते हैं. यही वजह है कि पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश जैसी टीमें अब अपने game plans में भारत को और गंभीरता से लेंगी.

बात करें रणनीति की तो रोहित शर्मा की कप्तानी में गिल का रोल और भी अहम हो जाएगा. कप्तान रोहित शर्मा लंबे समय से एक स्थिर ओपनिंग पार्टनर की तलाश में थे. कई बार इशान किशन, कई बार यशस्वी जायसवाल को मौका दिया गया लेकिन consistency की कमी रही. गिल के आने से यह समस्या काफी हद तक दूर हो सकती है. वहीं middle order में कोहली, सूर्यकुमार यादव और हार्दिक पंड्या जैसे बल्लेबाज़ टीम को बैलेंस देंगे. गेंदबाजी में बुमराह के अलावा शमी, सिराज और रवींद्र जडेजा जैसे अनुभवी खिलाड़ी भी हैं. यह संतुलन भारत को अन्य टीमों के मुकाबले और भी मजबूत बनाता है.

फिटनेस को लेकर हमेशा सवाल उठते हैं और यही कारण है कि बुमराह की वापसी को लेकर चयनकर्ता सतर्क थे. बुमराह लंबे समय तक पीठ की चोट से जूझते रहे. उनकी non-stop गेंदबाजी और workload ने उन्हें कई बार बाहर कर दिया. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि टीम प्रबंधन उन्हें किस तरह से संभालता है. शायद उन्हें हर मैच में गेंदबाजी के पूरे overs न फेंकने दिए जाएँ और carefully manage किया जाए. अगर वे पूरे tournament में fit रहते हैं तो यह भारत की जीत की संभावनाओं को दोगुना कर देगा.

क्रिकेट सिर्फ मैदान पर खेले जाने वाला खेल नहीं है, बल्कि यह भावनाओं का भी खेल है. गिल और बुमराह की वापसी को करोड़ों भारतीय फैंस एक उम्मीद की तरह देख रहे हैं. देश की क्रिकेट संस्कृति में यह बात गहराई से बसी हुई है कि हर बड़ा टूर्नामेंट केवल खिलाड़ियों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश की प्रतिष्ठा के लिए होता है. ऐसे में यह चयन फैंस के बीच नई ऊर्जा लेकर आया है. सोशल मीडिया पर जगह-जगह गिल और बुमराह की वापसी का जश्न मनाया जा रहा है.

लेकिन इस सबके बीच यह भी सच है कि दबाव भी उतना ही बढ़ गया है. गिल और बुमराह से अब उम्मीदें आसमान छू रही हैं. फैंस चाहते हैं कि गिल लगातार रन बनाएं और बुमराह हर मैच में विकेट लें. क्रिकेट के मैदान पर प्रदर्शन हमेशा उम्मीदों के बोझ तले होता है. ऐसे में यह दोनों खिलाड़ी मानसिक रूप से कितने मजबूत रहते हैं, यही तय करेगा कि भारत का सफर कितना सफल रहेगा.

एशिया कप हमेशा से भारत-पाक मुकाबले की वजह से खास बनता है. इस बार भी जब दोनों टीमें आमने-सामने होंगी तो गिल और बुमराह पर सबकी निगाहें होंगी. गिल का बल्ला अगर पाकिस्तानी गेंदबाजों के खिलाफ चलता है तो यह उनके करियर का टर्निंग पॉइंट हो सकता है. वहीं बुमराह अगर बाबर आज़म और मोहम्मद रिज़वान जैसे बल्लेबाज़ों को आउट कर देते हैं तो यह भारतीय जीत की नींव रख देगा. इन बड़े मुकाबलों में खिलाड़ियों की असली परीक्षा होती है और गिल व बुमराह के पास खुद को साबित करने का सुनहरा मौका है.

इस पूरे प्रकरण का एक और पहलू है चयन की पारदर्शिता. क्रिकेट केवल खेल नहीं बल्कि आज करोड़ों के कारोबार से जुड़ा हुआ है. ऐसे में हर चयन सवालों के घेरे में आता है. लेकिन यदि गिल और बुमराह अपनी वापसी को बड़े प्रदर्शन में बदल देते हैं तो यह चयनकर्ताओं की दूरदर्शिता को सही साबित करेगा. वहीं अगर वे उम्मीदों पर खरे नहीं उतरते तो आलोचकों को और ammunition मिल जाएगा. यही वजह है कि यह एशिया कप सिर्फ एक टूर्नामेंट नहीं बल्कि भारतीय क्रिकेट की credibility की भी परीक्षा है.

कुल मिलाकर देखा जाए तो शुभमन गिल और जसप्रीत बुमराह की वापसी भारतीय क्रिकेट के लिए game changer साबित हो सकती है. एक तरफ गिल की बल्लेबाज़ी से टीम को शुरुआत में मज़बूती मिलेगी तो दूसरी ओर बुमराह की गेंदबाज़ी विपक्षियों को दबाव में रखेगी. इनके आने से टीम इंडिया और भी संतुलित और दमदार नज़र आ रही है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मैदान पर वे अपने चयन का न्याय कैसे करते हैं.

भारतीय क्रिकेट के फैंस को लंबे समय से जिस दिन का इंतज़ार था वह आखिरकार आ गया है. टीम इंडिया अब लगभग अपनी पूरी ताक़त के साथ एशिया कप 2025 में उतर रही है. यह टूर्नामेंट सिर्फ एक कप जीतने की लड़ाई नहीं बल्कि उस आत्मविश्वास की लड़ाई भी है जो आने वाले विश्व कप में भारत को चैंपियन बनाने की दिशा तय करेगा. गिल और बुमराह की वापसी ने इस लड़ाई को और रोमांचक बना दिया है और अब पूरा देश सांस थामकर उनके प्रदर्शन का इंतज़ार करेगा.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-