जापान की इनोवेशन और टेक्नोलॉजी की दुनिया में एक बार फिर ऐसी ख़बर सामने आई है जिसने वैश्विक स्तर पर चर्चा छेड़ दी है. हाल ही में जापान की एक प्रमुख टेक कंपनी ने ऐसा पर्सनल रोबोट लॉन्च किया है जो न सिर्फ इंसानों की बात समझ सकता है, बल्कि उनकी भावनाओं को भी पढ़कर प्रतिक्रिया दे सकता है. इस प्रोजेक्ट का नाम दिया गया है "रोबोट कंपैनियन" और जैसे ही इसकी घोषणा हुई, सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर #RobotCompanion ट्रेंड करने लगा. ट्विटर (अब X), इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर लोग लगातार इस नए रोबोट के वीडियो और डेमो क्लिप्स शेयर कर रहे हैं.
सबसे बड़ी बात यह है कि इस रोबोट को सिर्फ मशीन की तरह नहीं, बल्कि इंसानों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी में सहारा देने वाले साथी के रूप में डिज़ाइन किया गया है. कंपनी का दावा है कि यह रोबोट आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), मशीन लर्निंग और इमोशनल रिकॉग्निशन सिस्टम (ERS) जैसी अत्याधुनिक तकनीकों से लैस है. यह इंसान के चेहरे के भाव, आवाज़ के उतार-चढ़ाव, और यहां तक कि हार्टबीट सेंसर के ज़रिए उनकी भावनाओं को पकड़ सकता है. यानी अगर मालिक उदास है, तो यह रोबोट उनसे बात करके उन्हें खुश करने की कोशिश करेगा; अगर मालिक थका हुआ है तो यह रिलैक्सेशन म्यूजिक या मेडिटेशन की सलाह देगा; और अगर कोई खुश है तो यह उनकी खुशी में भागीदारी करेगा.
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे डेमो वीडियो में देखा गया कि एक महिला ने अपने "रोबोट कंपैनियन" से कहा कि उसका दिन बहुत थकाऊ रहा है. रोबोट ने तुरंत उसकी आवाज़ की थकान पहचानी और उसे चाय पीने का सुझाव दिया. इतना ही नहीं, उसने महिला की पसंदीदा जापानी चाय का नाम लेकर कहा—“क्या मैं आपके लिए एक कप ग्रीन टी तैयार कर दूं?” इस पर दर्शकों ने तालियां बजाईं और वीडियो देखते ही देखते लाखों व्यूज़ पार कर गया.
लोगों की प्रतिक्रियाएं भी दिलचस्प रही हैं. कुछ ने कहा कि यह तकनीक आने वाले समय में बुज़ुर्गों और अकेले रहने वाले लोगों के लिए बेहद उपयोगी साबित होगी. जापान जैसे देश, जहां जनसंख्या का बड़ा हिस्सा वृद्ध हो चुका है, वहां इस तरह का रोबोट सामाजिक और मानसिक सहारा देने में मदद करेगा. वहीं युवाओं ने इसे "फ्यूचर का बेस्ट फ्रेंड" कहना शुरू कर दिया है. कई लोगों ने मजाक में लिखा कि अब गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड की ज़रूरत ही नहीं रहेगी, जब इतना स्मार्ट रोबोट साथी मिल जाएगा.
हालांकि, कुछ आलोचकों ने इस ट्रेंड को लेकर चिंता भी जताई है. उनका कहना है कि इंसानी रिश्ते और भावनाएँ बेहद जटिल होती हैं, और उन्हें मशीनों के हवाले कर देना समाज को "इमोशनली डिस्टेंट" बना सकता है. अगर लोग असली इंसानों की बजाय रोबोट्स पर ज्यादा निर्भर होने लगेंगे, तो रिश्तों की अहमियत कम हो सकती है. लेकिन तकनीकी विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की इनोवेशन का उद्देश्य इंसानी रिश्तों की जगह लेना नहीं, बल्कि उन्हें सपोर्ट करना है.
कंपनी की ओर से जारी प्रेस रिलीज़ में बताया गया है कि "रोबोट कंपैनियन" तीन वर्ज़न में उपलब्ध कराया जाएगा—बेसिक, एडवांस्ड और प्रीमियम. बेसिक वर्ज़न घर के कामकाज और बातचीत तक सीमित रहेगा, एडवांस्ड वर्ज़न में हेल्थ मॉनिटरिंग और लाइफस्टाइल गाइडेंस की सुविधा होगी, जबकि प्रीमियम वर्ज़न पूरी तरह से कस्टमाइज़्ड होगा जिसमें यूज़र अपनी ज़रूरत के हिसाब से रोबोट की पर्सनालिटी, आवाज़ और यहां तक कि ह्यूमर सेंस भी चुन सकते हैं.
कीमत को लेकर भी सोशल मीडिया पर चर्चाएं तेज़ हैं. बताया जा रहा है कि बेसिक वर्ज़न की शुरुआती कीमत 3,000 डॉलर (लगभग 2.5 लाख रुपये) होगी, जबकि प्रीमियम वर्ज़न की कीमत 10,000 डॉलर (लगभग 8.3 लाख रुपये) तक हो सकती है. इस वजह से लोगों ने इसे अमीरों का "लक्ज़री गैजेट" भी कहा है. लेकिन टेक एक्सपर्ट्स का कहना है कि जैसे-जैसे यह तकनीक आम होगी, इसकी कीमत भी घटेगी और यह आम लोगों की पहुंच में आ जाएगी.
दिलचस्प बात यह है कि इस रोबोट में सोशल मीडिया इंटीग्रेशन भी होगा. यानी यह आपके इंस्टाग्राम या फेसबुक अकाउंट से कनेक्ट होकर आपकी पसंद और मूड को बेहतर ढंग से समझ सकेगा. उदाहरण के लिए, अगर आपने हाल ही में ट्रेवल फोटोज़ पोस्ट किए हैं तो यह आपसे यात्रा के अनुभवों के बारे में बातचीत करेगा. अगर आपने उदासी भरे गाने सुने हैं तो यह आपको मूड लिफ्ट करने वाले सुझाव देगा.
भारत समेत कई देशों के यूज़र्स ने भी इस रोबोट को लेकर उत्साह दिखाया है. ट्विटर पर एक भारतीय यूज़र ने लिखा—“अगर यह रोबोट हिंदी समझ पाए तो यह मेरे लिए पर्फेक्ट साथी होगा.” वहीं दूसरे ने मजाक में लिखा—“अब मम्मी डांटेंगी नहीं, रोबोट डांटेगा कि टाइम पर खाना क्यों नहीं खाया.”
साइकोलॉजिस्ट्स का कहना है कि इस तरह का पर्सनल रोबोट मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है. आजकल डिप्रेशन और एंग्ज़ायटी जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं. ऐसे में अगर कोई मशीन इंसान की भावनाओं को समझकर उससे बात करे, उसे पॉज़िटिव सोच की ओर ले जाए, तो यह बहुत मददगार साबित होगा.
हालांकि, डेटा प्राइवेसी और सिक्योरिटी का मुद्दा भी उठाया जा रहा है. क्योंकि इस तरह का रोबोट लगातार यूज़र की भावनाओं, बातचीत और व्यक्तिगत जानकारी को रिकॉर्ड करेगा. अगर यह डेटा गलत हाथों में चला गया तो इसका दुरुपयोग हो सकता है. इसलिए कंपनियों को बेहद मज़बूत सुरक्षा उपाय अपनाने होंगे.
कुल मिलाकर "रोबोट कंपैनियन" सिर्फ एक टेक्नोलॉजिकल प्रोडक्ट नहीं, बल्कि इंसानी जीवनशैली में बड़ा बदलाव लाने वाला कदम है. सोशल मीडिया पर जिस तरह से यह चर्चा का विषय बना हुआ है, उससे साफ है कि आने वाले समय में यह न सिर्फ जापान बल्कि पूरी दुनिया के घरों में जगह बना सकता है. लोग इसे लेकर जितने उत्साहित हैं, उतनी ही जिज्ञासा और बहस भी जारी है.
फिलहाल इतना तय है कि यह रोबोट भविष्य की उस दुनिया की झलक है जहां मशीनें सिर्फ कामकाज ही नहीं, बल्कि भावनाओं में भी इंसानों के साथी बनेंगी. और यही कारण है कि #RobotCompanion आज दुनिया भर में सोशल मीडिया पर धूम मचा रहा है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

