#PlantParenting ग्रीन होम का नया मंत्र सोशल मीडिया पर इनडोर प्लांट्स पालने का ट्रेंड वायरल

#PlantParenting ग्रीन होम का नया मंत्र सोशल मीडिया पर इनडोर प्लांट्स पालने का ट्रेंड वायरल

प्रेषित समय :21:51:49 PM / Fri, Aug 22nd, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

 #Plantडिजिटल युग में लोग अपने घरों और जीवनशैली को न सिर्फ सजा रहे हैं बल्कि उसे सोशल मीडिया पर भी खूब प्रदर्शित कर रहे हैं. पिछले कुछ महीनों से इंस्टाग्राम, फेसबुक, ट्विटर (एक्स) और पिंटरेस्ट जैसे प्लेटफॉर्म्स पर एक नया हैशटैग लगातार वायरल हो रहा है—#PlantParenting. नाम से ही स्पष्ट है कि यह ट्रेंड पौधों से जुड़ा है, लेकिन इसमें केवल बागवानी नहीं बल्कि उससे कहीं गहरा भावनात्मक जुड़ाव देखने को मिल रहा है. लोग घरों में छोटे-बड़े इनडोर प्लांट्स पाल रहे हैं, उन्हें बच्चों की तरह ट्रीट कर रहे हैं और उनकी तस्वीरें व वीडियोज़ सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं.#PlantParenting ने यह साबित कर दिया है कि पौधे सिर्फ सजावट का हिस्सा नहीं बल्कि हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन सकते हैं. यह ट्रेंड इंसान और प्रकृति के रिश्ते को नए सिरे से परिभाषित कर रहा है. एक ओर जहां सोशल मीडिया पर इसकी चमक इसे ग्लैमरस बनाती है, वहीं दूसरी ओर यह वास्तविक जीवन में शांति, संतुलन और पर्यावरणीय जिम्मेदारी का प्रतीक है.

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में अगर कोई छोटा-सा कदम हमारे मानसिक स्वास्थ्य, घर की खूबसूरती और धरती की सेहत के लिए बड़ा बदलाव ला सकता है, तो वह है पौधों को अपनाना. और जब यह कदम पूरे समाज का साझा ट्रेंड बन जाए तो कहना गलत नहीं होगा कि ग्रीन होम सिर्फ सजावट नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक नई जीवनशैली का संदेश है.Parenting ग्रीन होम का नया मंत्र सोशल मीडिया पर इनडोर प्लांट्स पालने का ट्रेंड वायरल    

ट्रेंड की पृष्ठभूमि
कोविड-19 महामारी के बाद से ही घर के अंदर पौधे लगाने की आदत तेज़ी से बढ़ी थी. लॉकडाउन के दौरान मानसिक शांति और घर की खूबसूरती बढ़ाने के लिए लोगों ने इनडोर गार्डनिंग को अपनाया. लेकिन 2025 में यह आदत एक बड़े सोशल मीडिया मूवमेंट में तब्दील हो चुकी है. अब सिर्फ पौधे खरीदना या सजाना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उन्हें परिवार का हिस्सा मानकर उनकी तस्वीरें शेयर करना और ‘ग्रीन जर्नी’ को ऑनलाइन डॉक्यूमेंट करना एक तरह का सांस्कृतिक ट्रेंड बन गया है.

सोशल मीडिया पर #PlantParenting की धूम
इंस्टाग्राम पर अब तक 25 मिलियन से ज्यादा पोस्ट्स #PlantParenting हैशटैग के साथ डाली जा चुकी हैं. इनमें लोग अपने बेडरूम, किचन, बालकनी और यहां तक कि बाथरूम में भी रखे पौधों की झलक दिखा रहे हैं. कोई अपने मॉन्स्टेरा को ‘मोनू’ नाम देकर सजाता है तो कोई स्नेक प्लांट को ‘स्मार्ट गार्ड’ कहता है. फेसबुक पर प्लांट लवर्स ग्रुप्स में लाखों लोग जुड़े हैं और हर दिन पौधों की देखभाल, पानी देने के शेड्यूल, और लाइटिंग टिप्स शेयर करते हैं.

पिंटरेस्ट पर “ग्रीन होम डेकोर” की खोज पिछले एक साल में 70% बढ़ गई है, जबकि टिकटॉक पर PlantTok नाम से पूरा एक सब-जेनर बन चुका है, जहां युवा क्रिएटर्स पौधों को बढ़ाने के क्रिएटिव तरीके और उनके साथ मज़ेदार रील्स शेयर कर रहे हैं.

ग्रीन होम का बढ़ता चलन
मेट्रो सिटीज़ में तो यह ट्रेंड खास तौर पर बढ़ा है. दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद में रहने वाले लोग अब अपने फ्लैट्स को हरियाली से भरने लगे हैं. रियल एस्टेट कंपनियां भी इस ट्रेंड को भुनाने लगी हैं. कई नए अपार्टमेंट प्रोजेक्ट्स ‘ग्रीन होम’ टैगलाइन के साथ लॉन्च हो रहे हैं, जहां बालकनी और इनडोर स्पेस को पौधों के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया है.

इंटीरियर डिज़ाइनर्स का कहना है कि आजकल क्लाइंट्स लक्ज़री फर्नीचर से ज्यादा पौधों में निवेश कर रहे हैं. मॉडर्न मिनिमलिस्ट अपार्टमेंट्स में पौधे न सिर्फ ऑक्सीजन का स्रोत हैं बल्कि एस्थेटिक वैल्यू भी जोड़ते हैं.

क्यों बढ़ रहा है यह ट्रेंड
विशेषज्ञों का मानना है कि #PlantParenting केवल एक फैशन नहीं बल्कि बदलती जीवनशैली का संकेत है. तनावपूर्ण शहरी जीवन में पौधे मानसिक शांति और पॉज़िटिविटी देते हैं.

मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ाव – शोध बताते हैं कि पौधों की देखभाल से चिंता और अवसाद कम होते हैं.

पर्यावरणीय चेतना – जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण के दौर में लोग छोटे स्तर पर ही सही, लेकिन ग्रीन योगदान देना चाहते हैं.

सामाजिक पहचान – सोशल मीडिया पर ग्रीन लाइफस्टाइल दिखाना अब एक ‘स्टेटस सिंबल’ बन चुका है.

सस्टेनेबल डेकोर – आर्टिफिशियल सजावट की जगह लोग नैचुरल और टिकाऊ विकल्प चाहते हैं.

पौधों को ‘बच्चों’ जैसा प्यार
दिलचस्प बात यह है कि कई लोग पौधों को सचमुच बच्चों जैसा मानकर उनका जन्मदिन मनाते हैं, उनके लिए नाम रखते हैं और उनकी ग्रोथ जर्नल ऑनलाइन लिखते हैं. इंस्टाग्राम पर #PlantMom और #PlantDad जैसे टैग्स भी खूब वायरल हो रहे हैं. कई युवा कपल्स बच्चे पालने से पहले पौधों को पालकर “पैरेंटिंग प्रैक्टिस” भी करते हैं.

मार्केट पर असर
इस ट्रेंड ने नर्सरी और ई-कॉमर्स बिज़नेस को जबरदस्त बूस्ट दिया है.

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स जैसे अमेज़न और फ्लिपकार्ट पर इंडोर प्लांट्स की बिक्री पिछले एक साल में 120% बढ़ी है.

नए स्टार्टअप्स “ग्रीन सब्सक्रिप्शन बॉक्स” मॉडल के साथ सामने आए हैं, जहां हर महीने कस्टमर्स को एक नया पौधा भेजा जाता है.

एयर-प्यूरिफाइंग प्लांट्स जैसे एलोवेरा, स्नेक प्लांट, और पीस लिली सबसे ज्यादा डिमांड में हैं.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान
यह ट्रेंड केवल भारत तक सीमित नहीं है. न्यूयॉर्क, लंदन और टोक्यो जैसे शहरों में भी #PlantParenting एक ग्लोबल मूवमेंट की तरह फैल रहा है. कई भारतीय क्रिएटर्स इस ट्रेंड को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमोट कर रहे हैं और अपने फॉलोअर्स के साथ ‘ग्रीन इंडिया’ का सपना साझा कर रहे हैं.

वैज्ञानिक नजरिया
बॉटनी एक्सपर्ट्स का कहना है कि पौधों के साथ जुड़ाव इंसानी इमोशंस पर सकारात्मक असर डालता है. ह्यूमन–प्लांट रिलेशनशिप पर हो रहे रिसर्च बताते हैं कि पौधों की मौजूदगी से न सिर्फ हवा की क्वालिटी सुधरती है बल्कि इंसानी व्यवहार भी शांत और संयमित होता है.

चुनौतियां और चेतावनियां
हालांकि, एक्सपर्ट्स यह भी चेतावनी दे रहे हैं कि पौधों की देखभाल आसान काम नहीं है. बिना जानकारी के ज्यादा पानी देना, गलत लाइटिंग में रखना या प्लास्टिक पॉट्स का अत्यधिक इस्तेमाल करना पौधों और पर्यावरण दोनों को नुकसान पहुंचा सकता है. इसके अलावा, सोशल मीडिया पर दिखाए जाने वाले ‘परफेक्ट ग्रीन होम्स’ को हासिल करने के चक्कर में लोग अनावश्यक खर्च भी कर रहे हैं.

आगे की दिशा
यह स्पष्ट है कि #PlantParenting आने वाले सालों में और अधिक लोकप्रिय होने वाला है. सरकारें और स्थानीय निकाय भी इस ट्रेंड को अर्बन प्लानिंग में शामिल कर सकती हैं. ग्रीन बिल्डिंग्स, रूफटॉप गार्डन्स और ऑफिस स्पेसेज़ में पौधों की अनिवार्य उपस्थिति आने वाले समय की हकीकत हो सकती है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-