सोशल मीडिया पर इन दिनों एक दिलचस्प और प्रेरणादायक ट्रेंड तेजी से उभर रहा है, जिसमें फिटनेस को केवल व्यक्तिगत लक्ष्य या जिम तक सीमित रखने के बजाय परिवारों ने इसे एक तरह का "गेम" बना दिया है. इंस्टाग्राम, यूट्यूब शॉर्ट्स और फेसबुक पर ऐसे हजारों वीडियो शेयर किए जा रहे हैं, जिनमें बच्चे, युवा और बुज़ुर्ग सभी एक साथ फिटनेस चैलेंज में हिस्सा लेते दिख रहे हैं. स्टेप काउंट, स्क्वाट्स चैलेंज और डांस फिटनेस रील्स ने न केवल परिवारों को सक्रिय बनाया है बल्कि घर के माहौल को भी मज़ेदार और प्रतिस्पर्धात्मक बना दिया है.
30 अगस्त 2025 को फिटनेस संस्कृति से जुड़ी यह नई लहर सबसे अधिक ट्रेंडिंग टॉपिक्स में रही. पहले जहां फिटनेस की चर्चा व्यक्तिगत "वर्कआउट रूटीन" और जिम सब्सक्रिप्शन तक सीमित थी, वहीं अब यह सामूहिक मनोरंजन और पारिवारिक जुड़ाव का जरिया बन रही है. बच्चे अपने माता-पिता को चैलेंज देते हैं, दादा-दादी पोते-पोतियों के साथ तालमेल बैठाने की कोशिश करते हैं और भाई-बहन एक-दूसरे से मुकाबला करते हुए खूब हंसी-मज़ाक करते हैं. यह दृश्य सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में साझा किया जा रहा है, जो दिखाता है कि फिटनेस अब केवल पसीना बहाने तक सीमित नहीं, बल्कि रिश्तों को जोड़ने और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भरने का माध्यम बन चुकी है.
फिटनेस को गेम का रूप देने का सबसे बड़ा फायदा यह हुआ है कि इसमें उम्र, क्षमता या अनुभव जैसी सीमाएँ बाधा नहीं बनतीं. बच्चे जहां स्टेप काउंट और डांस मूव्स में आगे रहते हैं, वहीं बड़े लोग स्क्वाट्स या पुश-अप्स में अपनी ताकत दिखाते हैं. कई परिवारों ने तो इसे एक "वीकेंड रिचुअल" बना लिया है. शनिवार या रविवार की शाम घर का ड्रॉइंग रूम एक मिनी फिटनेस स्टूडियो बन जाता है, जहां मोबाइल कैमरे सेट करके पूरा परिवार मज़ेदार अंदाज़ में फिटनेस चैलेंज करता है और फिर उसी वीडियो को सोशल मीडिया पर अपलोड करता है.
ट्रेंड की लोकप्रियता का एक और कारण है — "साझा प्रेरणा". परिवार में अगर एक सदस्य भी फिटनेस चैलेंज शुरू करता है, तो बाकी लोग उसे सपोर्ट करने के लिए जुड़ जाते हैं. धीरे-धीरे यह सपोर्ट प्रतिस्पर्धा में बदल जाता है और फिर हर सदस्य खुद को बेहतर साबित करने की कोशिश करता है. परिणामस्वरूप, फिटनेस का लक्ष्य अपने आप पूरा होने लगता है. यह प्रवृत्ति खासकर शहरी मध्यमवर्गीय परिवारों में तेजी से बढ़ रही है, जहां लोग एक ओर पेशेवर जीवन की व्यस्तता से थक जाते हैं और दूसरी ओर बच्चों के साथ समय बिताने के लिए हल्के-फुल्के लेकिन उपयोगी विकल्प तलाशते हैं.
इसी ट्रेंड के कारण फिटनेस ऐप्स और स्मार्टवॉच की मांग भी बढ़ गई है. घर-घर में लोग स्टेप काउंट या कैलोरी बर्न का हिसाब लगाने लगे हैं. कई परिवारों ने तो यहां तक कर दिया है कि रोज़ाना की फिटनेस रिपोर्ट को वॉट्सऐप ग्रुप या परिवार के डायरी बोर्ड पर साझा किया जाए. इस तरह का माहौल फिटनेस को गंभीर दायित्व की बजाय आनंदपूर्ण गतिविधि बना देता है.
दिलचस्प बात यह है कि फिटनेस को गेम में बदलने का यह चलन सिर्फ़ स्वास्थ्य लाभ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह परिवारों के बीच संवाद और संबंधों की गहराई को भी बढ़ा रहा है. व्यस्त जीवनशैली और मोबाइल-इंटरनेट की लत के कारण जहां पारिवारिक बातचीत पहले कम हो गई थी, वहीं अब ये फिटनेस चैलेंज अवसर दे रहे हैं कि सब एक जगह इकट्ठा हों, बातचीत करें और हंसी-खुशी समय बिताएं.
कुछ विशेषज्ञ इस ट्रेंड को "नए भारत की स्वास्थ्य संस्कृति" कह रहे हैं. उनका मानना है कि महामारी के दौरान लोगों को घर पर रहने की आदत ने फिटनेस के नए प्रयोगों को जन्म दिया था, लेकिन अब यह प्रयोग स्थायी रूप ले रहे हैं. परिवार एक साथ स्वस्थ रहने के लिए प्रयासरत हैं, और यह प्रवृत्ति समाज को मानसिक और शारीरिक दोनों स्तरों पर सकारात्मक दिशा दे सकती है.
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में बच्चों की मासूम कोशिशें और बुज़ुर्गों का उत्साह लोगों को सबसे अधिक आकर्षित करता है. कई बार दादी या नानी पोते-पोतियों के साथ स्क्वाट्स करती दिखती हैं, तो कहीं पिता अपने बेटे के साथ डांस फिटनेस स्टेप्स मिलाने की कोशिश करता नज़र आता है. इन पलों में अक्सर परफेक्ट वर्कआउट की जगह हंसी और तालमेल अधिक मायने रखते हैं.
इस ट्रेंड का एक सामाजिक पहलू भी है. विशेषज्ञ मानते हैं कि फिटनेस को गेम की तरह अपनाने से बच्चों में हेल्दी लाइफस्टाइल की आदतें बचपन से ही विकसित हो रही हैं. वे यह सीख रहे हैं कि स्वास्थ्य केवल पढ़ाई या करियर से जुड़ा विषय नहीं है, बल्कि यह जीवन का अनिवार्य हिस्सा है. इसी तरह बुज़ुर्गों को भी नई ऊर्जा मिल रही है और उन्हें लगता है कि वे परिवार के सक्रिय हिस्से बने हुए हैं.
अर्थशास्त्रियों के लिए भी यह विषय दिलचस्प है. फिटनेस संबंधित उपकरण, स्मार्टवॉच, म्यूज़िक सिस्टम, और यहां तक कि घर के फर्नीचर का उपयोग भी इस संस्कृति से प्रभावित हो रहा है. कई कंपनियां अब "फैमिली फिटनेस पैकेज" के नाम से उत्पाद लॉन्च कर रही हैं, जिसमें बच्चों के लिए मिनी डंबल, बुज़ुर्गों के लिए आसान योगा मैट और युवाओं के लिए हाई-इंटेंसिटी ट्रेनिंग गाइड शामिल है.
संपूर्ण रूप से देखा जाए तो "फिटनेस को गेम बनाकर जोड़ रहा परिवार" केवल एक सोशल मीडिया ट्रेंड नहीं, बल्कि समाज की बदलती जीवनशैली का संकेत है. यह प्रवृत्ति यह दर्शाती है कि भारत में फिटनेस अब अकेलेपन का विषय नहीं रहा, बल्कि सामूहिक आनंद और रिश्तों की मजबूती का साधन बन रहा है. आने वाले समय में यह संस्कृति शायद और व्यापक हो जाएगी, और लोग इसे केवल सप्ताहांत तक सीमित रखने के बजाय रोज़मर्रा की आदत बना लेंगे.
फिलहाल, सोशल मीडिया पर फिटनेस चैलेंज वीडियो की बाढ़ जारी है और लाखों लोग इनसे प्रेरणा ले रहे हैं. यह कहा जा सकता है कि भारत में फिटनेस का चेहरा बदल रहा है — अब यह केवल जिम और ट्रेनर्स के बीच की बात नहीं, बल्कि हर घर का, हर परिवार का हिस्सा बन चुका है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

