सितंबर माह का प्रथम पखवाड़ा धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इस दौरान पंचांग के अनुसार एक के बाद एक शुभ योग बन रहे हैं, जिनमें किए गए कार्यों की सफलता सुनिश्चित बताई गई है. वहीं कुछ अशुभ योग भी पड़ेंगे जिनमें नया कार्य शुरू करने से परहेज करने की सलाह दी जाती है.
सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, त्रिपुष्कर योग, द्विपुष्कर योग और गुरु पुष्य योग जैसे संयोग इस महीने विशेष महत्व रखते हैं. मान्यता है कि इन योगों में शिक्षा, व्यवसाय, गृह प्रवेश, खरीदारी और निवेश जैसे कार्य लंबे समय तक सकारात्मक परिणाम देते हैं. खासकर गुरु पुष्य योग को वृक्षारोपण और मांगलिक कार्यों के लिए अद्वितीय अवसर माना जाता है. इसके विपरीत, ज्वालामुखी योग को अशुभ माना गया है, जिसमें कोई भी नया कार्य करने से बचना उचित समझा जाता है.
इन्हीं ज्योतिषीय संयोगों के बीच भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को गणेशोत्सव का समापन होता है. परंपरा के अनुसार इस दिन घरों और सार्वजनिक स्थानों पर स्थापित गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, विसर्जन से पूर्व यदि कुछ विशेष उपाय किए जाएँ तो भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं और जीवन की कठिनाइयाँ कम होने लगती हैं.
पंचांग के अनुसार 5 सितंबर को प्रातः 6 बजकर 5 मिनट से रात्रि 11 बजकर 37 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा. मान्यता है कि इस योग में किया गया प्रत्येक कार्य सफल होता है. इसके बाद 9 सितंबर को प्रातः 6 बजकर 7 मिनट से शाम 6 बजकर 6 मिनट तक पुनः सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा. इस योग का उपयोग शिक्षा, व्यवसाय, गृह प्रवेश और खरीदारी जैसे कार्यों में किया जा सकता है.
13 सितंबर को प्रातः 10 बजकर 10 मिनट से 14 सितंबर की सुबह 6 बजकर 9 मिनट तक अमृत सिद्धि योग बन रहा है. इसे जीवन में दीर्घकालिक सफलता और सुख प्रदान करने वाला माना जाता है. इसी दिन प्रातः 7 बजकर 30 मिनट से 10 बजकर 10 मिनट तक त्रिपुष्कर योग रहेगा, जिसमें किया गया कार्य तीन गुना फलदायी होता है.
18 सितंबर को गुरु पुष्य योग बन रहा है. यह मुहूर्त प्रातः 6 बजकर 11 मिनट से 6 बजकर 32 मिनट तक रहेगा. इस अवधि को हर प्रकार के मांगलिक कार्य, वृक्षारोपण और निवेश के लिए अत्यंत शुभ बताया गया है. माना जाता है कि इस दिन किया गया कोई भी शुभ काम लंबे समय तक सकारात्मक परिणाम देता है.
23 सितंबर को दोपहर 1 बजकर 39 मिनट से 24 सितंबर की सुबह 4 बजकर 51 मिनट तक द्विपुष्कर योग रहेगा. यह योग विशेष है क्योंकि इसमें किया गया कार्य दोगुना फल देता है. हालांकि 11 सितंबर को दोपहर 1 बजकर 57 मिनट से 12 सितंबर की सुबह 9 बजकर 58 मिनट तक ज्वालामुखी योग रहेगा, जिसे अशुभ माना गया है. इस समय कोई नया कार्य शुरू करने की मनाही है क्योंकि इसका परिणाम विपरीत हो सकता है.
इन योगों के बीच 6 सितंबर को भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पड़ रही है. धर्म ग्रंथों के अनुसार इस दिन गणेशोत्सव का समापन होता है और घरों व सार्वजनिक स्थानों पर स्थापित गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है. ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार विसर्जन से पहले कुछ विशेष उपाय किए जाएँ तो मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं और जीवन की अनेक समस्याओं का समाधान भी मिल सकता है.
गणेश विसर्जन से पहले लोग भगवान गणेश को रेशमी दुपट्टा चढ़ाकर दांपत्य जीवन में प्रेम और विश्वास की कामना कर सकते हैं. पांच तरह के लड्डुओं का भोग लगाने से भौतिक सुख-सुविधाएँ मिलने की मान्यता है. श्री गणेश का अभिषेक गाय के कच्चे दूध से करने पर धन की कमी दूर होती है. इसी तरह स्फटिक से बनी गणेश मूर्तियाँ भक्तों को बांटने से समाज में मान-सम्मान बढ़ता है.
श्री गणेश को हरी दूर्वा चढ़ाने से मानसिक और शारीरिक परेशानियाँ दूर होती हैं. सिंदूर अर्पित करने से कार्यालय और परिवार की समस्याओं का निवारण माना जाता है. आम के पत्तों से पूजा करने पर रोगों से मुक्ति मिलती है. गुड़, चीनी और दही का भोग लगाने से आने वाले संकट टल जाते हैं.
भगवान गणेश का पंचामृत से अभिषेक करने पर आर्थिक लाभ की संभावनाएं बनती हैं. तांबे का सिक्का काले धागे में बांधकर अर्पित करने से धन लाभ का योग है. गुलाब के 21 फूल अर्पित करने से संतान संबंधी समस्याएं दूर हो सकती हैं. वहीं पीले रेशमी कपड़े का अर्पण नौकरी और व्यापार में सफलता दिलाने वाला माना जाता है.
कुल मिलाकर सितंबर माह के इन दिनों में जहाँ एक ओर शुभ योग जीवन को नई दिशा देने वाले साबित होंगे, वहीं विसर्जन के दिन गणेशजी की पूजा में किए गए ये छोटे-छोटे उपाय जीवन की राह आसान बना सकते हैं. श्रद्धा और विश्वास के साथ इन मुहूर्तों का लाभ उठाया जाए तो व्यक्ति की अनेक मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं और कठिनाइयाँ धीरे-धीरे समाप्त होने लगती हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-


