आज की तेज रफ्तार जिंदगी में फिट और आकर्षक दिखना हर किसी की चाहत है. खासकर महिलाओं के बीच वजन कम करने और शरीर को टोंड बनाए रखने की होड़ काफी बढ़ गई है. लेकिन इस चाहत को पूरा करने के लिए ज्यादातर महिलाएं फज डाइट्स यानी फैड डाइट्स का सहारा लेती हैं. इंटरनेट और सोशल मीडिया पर फैली इन डाइट्स के जरिए त्वरित परिणामों का दावा किया जाता है, मगर लंबे समय तक ये टिकाऊ नहीं होतीं. यही कारण है कि कई बार लोग निराश हो जाते हैं और वजन घटाने के बजाय अपनी सेहत भी बिगाड़ बैठते हैं.
हाल ही में महिला फिटनेस कोच अकन्नी सलाको ने इस चलन के खिलाफ एक ठोस संदेश दिया है. उन्होंने कहा कि फज डाइट्स सिर्फ शरीर को कमजोर बनाती हैं और मानसिक तनाव भी बढ़ाती हैं. असली रास्ता है संतुलित खानपान और नियमित व्यायाम. सलाको ने खासकर महिलाओं के लिए चार ऐसी स्ट्रेंथ ट्रेनिंग एक्सरसाइज सुझाई हैं, जो उन हिस्सों पर असर डालती हैं जिन्हें टारगेट करना सबसे कठिन माना जाता है. इनमें बैली फैट, बाजुओं की लटकती चर्बी और पीठ पर जमा फैट शामिल हैं.
अकन्नी सलाको का मानना है कि वजन कम करने के बजाय वजन को मैनेज करना और शरीर को मजबूत बनाना ज्यादा अहम है. जब शरीर की मांसपेशियां मजबूत होंगी तो मेटाबॉलिज्म तेज होगा और फैट अपने आप नियंत्रित होने लगेगा. यही वजह है कि उन्होंने महिलाओं को सलाह दी है कि वे महंगे जिम और जटिल डाइट प्लान्स के बजाय स्ट्रेंथ ट्रेनिंग पर ध्यान दें.
सलाको ने जो चार एक्सरसाइज सुझाई हैं, उनमें पहली है पुशअप. यह सबसे बेसिक लेकिन सबसे प्रभावी व्यायामों में से एक है. पुशअप न केवल बाहों की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है बल्कि छाती और पेट की चर्बी कम करने में भी कारगर है. नियमित पुशअप से शरीर का ऊपरी हिस्सा टोंड होता है और ताकत बढ़ती है.
दूसरी एक्सरसाइज है डम्बल रो. इसमें हल्के डम्बल का इस्तेमाल कर पीठ और कंधों की मांसपेशियों पर काम किया जाता है. अक्सर महिलाओं की पीठ पर फैट जमा हो जाता है जो कपड़ों में भी साफ झलकने लगता है. डम्बल रो इस फैट को कम करने के साथ शरीर की मुद्रा सुधारने में भी मददगार है.
तीसरी एक्सरसाइज है प्लैंक. प्लैंक भले ही देखने में आसान लगे लेकिन इसे लंबे समय तक करना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है. यह व्यायाम पूरे शरीर पर काम करता है, खासकर पेट और कमर पर. प्लैंक से एब्स मजबूत होते हैं और कोर मसल्स में स्थिरता आती है. कोच सलाको के अनुसार यह बैली फैट को घटाने में बेहद उपयोगी है.
चौथी एक्सरसाइज है ट्राइसेप डिप्स. यह उन महिलाओं के लिए खास है जिन्हें अपनी बाहों की झिल्लियों की वजह से शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है. ट्राइसेप डिप्स बाहों को मजबूत बनाता है और लटकती चर्बी को कम करता है. इसे घर पर किसी कुर्सी या बेंच के सहारे आसानी से किया जा सकता है.
सलाको का कहना है कि इन चारों एक्सरसाइज को अगर रोजाना 20 से 30 मिनट तक किया जाए तो कुछ ही हफ्तों में फर्क नजर आने लगता है. हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि केवल एक्सरसाइज ही काफी नहीं है, इसके साथ संतुलित भोजन और पर्याप्त नींद भी जरूरी है. उन्होंने महिलाओं को सलाह दी कि वे डाइटिंग के नाम पर खुद को भूखा रखने की बजाय प्रोटीन, फाइबर और विटामिन से भरपूर आहार लें.
सोशल मीडिया पर सलाको के इस संदेश को जबरदस्त समर्थन मिला है. हजारों महिलाओं ने उनकी पोस्ट शेयर की और अपने अनुभव बताए. कई महिलाओं ने कहा कि फज डाइट्स अपनाकर उन्होंने शुरुआत में वजन तो घटाया लेकिन बाद में उतनी ही तेजी से वजन वापस बढ़ गया. इसके विपरीत, स्ट्रेंथ ट्रेनिंग से न केवल उनका शरीर टोंड हुआ बल्कि आत्मविश्वास भी बढ़ा.
फिटनेस विशेषज्ञ भी मानते हैं कि लंबे समय के लिए यही सही रास्ता है. डाइटिंग से शरीर कमजोर होता है, जबकि स्ट्रेंथ ट्रेनिंग से ऊर्जा और सहनशक्ति दोनों बढ़ती हैं. विशेषज्ञों के अनुसार महिलाएं अक्सर सोचती हैं कि वेट ट्रेनिंग से उनका शरीर भारी और मस्कुलर हो जाएगा, लेकिन यह एक भ्रम है. असल में स्ट्रेंथ ट्रेनिंग महिलाओं को स्लिम और फिट बनाती है.
भारत में भी पिछले कुछ सालों में फिटनेस के प्रति जागरूकता तेजी से बढ़ी है. महिलाएं अब सिर्फ पतली दिखने के बजाय स्वस्थ और मजबूत रहना चाहती हैं. योग और डांस की तरह ही स्ट्रेंथ ट्रेनिंग भी लोकप्रिय हो रही है. जिम और फिटनेस सेंटरों में अब खास तौर पर महिलाओं के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम बनाए जा रहे हैं.
अकन्नी सलाको का संदेश इस बदलाव को और मजबूत करता है. उन्होंने दिखाया है कि बिना महंगे उपकरणों और जटिल डाइट्स के भी महिलाएं घर पर रहकर फिट हो सकती हैं. जरूरत है केवल नियमितता और समर्पण की.
इस रिपोर्ट का सार यही है कि अगर महिलाएं वाकई में बैली फैट, बाहों की झिल्लियां और पीठ की चर्बी से छुटकारा पाना चाहती हैं तो उन्हें फज डाइट्स की बजाय स्ट्रेंथ ट्रेनिंग पर ध्यान देना चाहिए. सलाको द्वारा सुझाए गए चार सरल लेकिन प्रभावी व्यायाम हर महिला को अपनी दिनचर्या में शामिल करने चाहिए. इससे न केवल उनका शरीर टोंड होगा बल्कि आत्मविश्वास और जीवन की गुणवत्ता भी बढ़ेगी.
फिटनेस की इस नई सोच ने यह साबित कर दिया है कि असली खूबसूरती पतले होने में नहीं, बल्कि मजबूत और स्वस्थ होने में है. सलाको का संदेश सिर्फ व्यायाम की विधि नहीं बल्कि जीवन जीने का एक नया नजरिया भी है. महिलाएं जब खुद को मजबूत और आत्मनिर्भर महसूस करेंगी तभी वे समाज को भी सकारात्मक दिशा में ले जा पाएंगी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

