मणिपुर में प्रधानमंत्री मोदी की दो साल बाद पहली यात्रा के कुछ घंटे बाद ही भड़की हिंसा

मणिपुर में प्रधानमंत्री मोदी की दो साल बाद पहली यात्रा के कुछ घंटे बाद ही भड़की हिंसा

प्रेषित समय :19:30:30 PM / Mon, Sep 15th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार 14 सितंबर 2025 को मणिपुर के चुराचांदपुर जिले का दौरा किया. यह उनकी दो साल में पहली यात्रा थी जब वे इस हिंसा प्रभावित राज्य में पहुंचे. मई 2023 से यहां कुकी और मैतेई समुदायों के बीच लगातार जातीय तनाव और टकराव की घटनाएं हो रही हैं, जिन्होंने पूरे राज्य को गहरे संकट में डाल दिया है. प्रधानमंत्री की इस यात्रा को राज्य में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने की दिशा में केंद्र सरकार की गंभीर कोशिश माना गया.

प्रधानमंत्री ने अपने सार्वजनिक संबोधन में मणिपुर के लोगों की हिम्मत और धैर्य की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने लंबे समय से चली आ रही जातीय हिंसा के बीच भी साहस का परिचय दिया है. उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार मणिपुर को शांति और स्थिरता दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है. प्रधानमंत्री का कार्यक्रम बेहद महत्वपूर्ण माना गया क्योंकि इसमें उन्होंने समुदायों के प्रतिनिधियों, सुरक्षा अधिकारियों और विस्थापित लोगों से मुलाकात की. हालांकि उनके लौटने के कुछ ही घंटों बाद हालात ने फिर से करवट ली और चुराचांदपुर जिले में हिंसा भड़क गई.

रविवार को चुराचांदपुर के स्थानीय पुलिस थाने के बाहर भारी भीड़ जमा हो गई. यह भीड़ दो युवकों की हिरासत का विरोध कर रही थी जिन्हें गुरुवार रात पोस्टर और बैनर फाड़ने के आरोप में पुलिस ने पूछताछ के लिए उठाया था. प्रधानमंत्री की यात्रा से पहले लगाए गए स्वागत पोस्टर, पार्टी बैनर और बड़े कटआउट्स को पियर्सनमुन और फाइल्येन बाजार क्षेत्रों में क्षतिग्रस्त कर दिया गया था. पुलिस ने इस मामले को गंभीर मानते हुए जांच शुरू की और पूछताछ के लिए कुछ युवाओं को थाने बुलाया. इनमें से दो को पुलिस ने सबूतों के आधार पर हिरासत में रखा.

जैसे ही यह खबर समुदायों में फैली, रविवार सुबह लोग बड़ी संख्या में पुलिस थाने के बाहर जुटने लगे. शुरुआत में यह विरोध शांतिपूर्ण था, लेकिन समय बीतने के साथ गुस्सा बढ़ता गया. लोगों का कहना था कि युवकों को बिना उचित प्रक्रिया अपनाए गैरकानूनी तरीके से हिरासत में रखा गया है. धीरे-धीरे भीड़ का आकार बढ़ा और तनाव हिंसा में बदल गया. गुस्साई भीड़ ने रैपिड एक्शन फोर्स के जवानों पर पथराव कर दिया. यह वही बल था जिसे प्रधानमंत्री की यात्रा के मद्देनजर इलाके में तैनात किया गया था.

वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने बताया कि हालात बेहद तनावपूर्ण हो गए और प्रशासन को तुरंत हस्तक्षेप करना पड़ा. जिला अधिकारियों ने स्थिति संभालने के लिए ड्यूटी मजिस्ट्रेट की तैनाती कराई और हिरासत में लिए गए दोनों युवकों की सुनवाई कराई. सुनवाई के बाद दोनों को रिहा कर दिया गया. पुलिस ने स्पष्ट किया कि उन्हें केवल पूछताछ के लिए लाया गया था और औपचारिक रूप से गिरफ्तार नहीं किया गया था. इस स्पष्टीकरण और रिहाई के बाद भीड़ धीरे-धीरे शांत हो गई और इलाके में सामान्य स्थिति लौटने लगी.

हालांकि इस घटना ने एक बार फिर यह साफ कर दिया कि मणिपुर की स्थिति कितनी नाजुक है. मामूली विवाद भी आसानी से बड़े टकराव का रूप ले सकता है. मई 2023 से शुरू हुए जातीय संघर्ष में अब तक दो सौ से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और हजारों परिवार विस्थापित हो चुके हैं. राज्य लगभग दो हिस्सों में बंटा हुआ है और शांति प्रयासों के बावजूद समुदायों के बीच अविश्वास कम नहीं हो पा रहा है.

प्रधानमंत्री की यात्रा को केंद्र सरकार की ओर से शांति बहाल करने की गंभीर कोशिश माना गया, लेकिन चुराचांदपुर की घटना ने यह भी दिखा दिया कि केवल उच्चस्तरीय यात्राएं और प्रतीकात्मक कदम पर्याप्त नहीं हैं. स्थानीय स्तर पर संवाद और विश्वास बहाली की जरूरत कहीं अधिक है. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पोस्टर फाड़ने जैसे छोटे मामले से उपजी यह स्थिति बताती है कि समाज में तनाव कितना गहरा है.

हिंसा के बाद चुराचांदपुर और आसपास के इलाकों में सुरक्षा और कड़ी कर दी गई है. रैपिड एक्शन फोर्स की अतिरिक्त टुकड़ियां तैनात कर दी गई हैं और पुलिस लगातार गश्त कर रही है. सुरक्षा एजेंसियों ने भविष्य की यात्राओं और आयोजनों के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल की समीक्षा भी शुरू कर दी है. अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान माहौल में छोटी सी पुलिस कार्रवाई भी बड़े सामुदायिक विवाद का कारण बन सकती है.

इस घटना ने राजनीतिक बहस को भी जन्म दिया है. विपक्षी दलों ने कहा है कि प्रधानमंत्री का दौरा केवल दिखावा था और यह वास्तविक समाधान की ओर कोई ठोस कदम नहीं है. उनका कहना है कि मणिपुर जैसे संवेदनशील राज्य में लंबे समय से चले आ रहे विवाद को केवल भाषणों और उच्चस्तरीय बैठकों से हल नहीं किया जा सकता. इसके लिए जमीनी स्तर पर नीतिगत बदलाव और सच्चे संवाद की आवश्यकता है. दूसरी ओर, सरकार का कहना है कि प्रधानमंत्री की यात्रा ने राज्य के लोगों को यह भरोसा दिलाया है कि केंद्र सरकार उनके साथ है और शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए हर संभव कदम उठाएगी.

मणिपुर की स्थिति आज भी बेहद जटिल बनी हुई है. पिछले दो सालों से लगातार चली आ रही हिंसा ने न केवल सैकड़ों परिवारों को प्रभावित किया है बल्कि राज्य की सामाजिक और राजनीतिक संरचना को भी हिला दिया है. केंद्र और राज्य सरकार की कोशिशों के बावजूद तनाव की जड़ें गहरी हैं और भरोसा बहाल करना आसान नहीं दिखता. प्रधानमंत्री की यात्रा ने एक ओर उम्मीद जगाई लेकिन दूसरी ओर यह भी साफ कर दिया कि हालात कितने नाजुक और अस्थिर हैं.

मणिपुर में रविवार की घटना इस बात का प्रमाण है कि शांति की राह अभी लंबी और कठिन है. दो साल बाद प्रधानमंत्री की पहली यात्रा के कुछ ही घंटे बाद हुई हिंसा यह दिखाती है कि विश्वास और स्थिरता कायम करने के लिए सरकार और समाज दोनों को मिलकर ठोस और दीर्घकालिक प्रयास करने होंगे. जब तक समुदायों के बीच गहरे अविश्वास को दूर नहीं किया जाता, तब तक कोई भी पहल स्थायी समाधान नहीं ला पाएगी. फिलहाल प्रशासन ने स्थिति को काबू में कर लिया है लेकिन आने वाले दिनों में चुनौती और बड़ी हो सकती है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-