राहुल गांधी के आरोपों पर चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया के साथ वोट चोरी विवाद गरमाया

राहुल गांधी के आरोपों पर चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया के साथ वोट चोरी विवाद गरमाया

प्रेषित समय :15:18:45 PM / Thu, Sep 18th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

नई दिल्ली. कर्नाटक के अलंद विधानसभा क्षेत्र से जुड़े कथित वोट चोरी प्रकरण पर अब राजनीति पूरी तरह गरमा गई है. कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को प्रेस वार्ता में आरोप लगाया कि अलंद विधानसभा क्षेत्र में योजनाबद्ध तरीके से 6,018 मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाने की कोशिश की गई. उन्होंने दावा किया कि यह काम किसी साधारण तकनीकी गड़बड़ी का नतीजा नहीं बल्कि एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा है जिसमें सॉफ़्टवेयर और मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल कर बाहर से लॉगिन बनाकर मतदाताओं के नाम निकाले गए. राहुल गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि यह कार्रवाई स्थानीय स्तर पर नहीं बल्कि केंद्रीकृत रूप से हुई और इसके जरिए दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों को व्यवस्थित रूप से निशाना बनाया गया.

उन्होंने अपने आरोपों को प्रमाणित करने के लिए कई उदाहरण भी दिए. एक महिला “गोडाबाई” का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उसके नाम से एक फर्जी लॉगिन बनाया गया और उस लॉगिन से मतदाताओं के नाम हटाने का प्रयास किया गया, जबकि वह महिला खुद इस पूरी प्रक्रिया से अनजान थी. एक अन्य उदाहरण में उन्होंने कहा कि एक “सूर्यकांत” नामक व्यक्ति ने सिर्फ 14 मिनट में 12 फॉर्म जमा किए जिनके जरिए नाम हटाने की कोशिश हुई. राहुल गांधी ने कहा कि इस तरह के मामलों की झड़ी बताती है कि लोकतंत्र पर संगठित हमला किया जा रहा है और तकनीक का इस्तेमाल जनता की आवाज़ को दबाने के लिए किया जा रहा है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस के मज़बूत बूथों पर खासतौर से नाम हटाने की घटनाएं ज़्यादा हुईं.

राहुल गांधी ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए चुनाव आयोग और मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर भी तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी निभाने में असफल रहे हैं और इसके बजाय उन ताकतों को बचा रहे हैं जो लोकतंत्र को नष्ट कर रही हैं. राहुल गांधी ने चुनाव आयोग को चुनौती देते हुए कहा कि आयोग के पास अभी भी मौका है और एक सप्ताह के भीतर अगर वह इन मामलों से जुड़ा डेटा — जैसे मोबाइल नंबर, OTP लॉग, फॉर्म सबमिशन की जानकारी — सार्वजनिक करता है तो सच सामने आ जाएगा, वरना यह आरोप अपने आप साबित हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि यह अब सिर्फ एक चुनावी गड़बड़ी का मामला नहीं बल्कि लोकतंत्र के भविष्य पर सवाल है और युवाओं को इसे समझना होगा.

इस पूरे विवाद पर चुनाव आयोग ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए राहुल गांधी के आरोपों को निराधार और गलत करार दिया. आयोग ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के लिए यह संभव नहीं है कि वह सार्वजनिक रूप से ऑनलाइन जाकर किसी का नाम मतदाता सूची से हटा दे. आयोग ने साफ किया कि किसी मतदाता का नाम हटाने की प्रक्रिया एक तयशुदा कानूनी प्रक्रिया से गुजरती है जिसमें संबंधित व्यक्ति को नोटिस दिया जाता है और उसे अपनी बात रखने का मौका मिलता है. आयोग ने यह भी बताया कि अलंद विधानसभा क्षेत्र में ऐसी कोशिशें जरूर हुई थीं लेकिन वे सफल नहीं हो सकीं और संबंधित मामले की एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसकी जांच कर्नाटक सीआईडी ने की. आयोग का कहना है कि लोकतंत्र और मतदाता सूची की विश्वसनीयता पर किसी भी तरह का समझौता नहीं किया गया है और राहुल गांधी के आरोप बेबुनियाद हैं.

सत्ता पक्ष ने भी राहुल गांधी के आरोपों को खारिज करते हुए इसे एक “राजनीतिक नौटंकी” करार दिया. भाजपा नेताओं का कहना है कि कांग्रेस और राहुल गांधी बार-बार ऐसे आरोप लगाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन कोई ठोस सबूत सामने नहीं ला पा रहे. उनके अनुसार अगर राहुल गांधी के पास पुख्ता प्रमाण हैं तो उन्हें अदालत में पेश करना चाहिए न कि मीडिया के सामने बयानबाज़ी करनी चाहिए. भाजपा का यह भी कहना है कि कांग्रेस लगातार हार से परेशान होकर अब चुनाव आयोग और लोकतांत्रिक संस्थाओं को निशाना बना रही है.

हालांकि विपक्षी दलों ने राहुल गांधी के आरोपों का समर्थन करते हुए इसे गंभीर मामला बताया है. उन्होंने चुनाव आयोग से पारदर्शिता दिखाने की मांग की है और कहा है कि अगर वाकई मतदाताओं के नाम फर्जीवाड़े के जरिए हटाने की कोशिश हुई तो यह लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है. विपक्ष का कहना है कि आयोग को इस मामले में फोन नंबर, OTP लॉग और फॉर्म की जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए ताकि जनता का भरोसा बना रहे.

इस बीच जनता और मीडिया में यह बहस छिड़ गई है कि अगर तकनीक का इस्तेमाल कर मतदाताओं के नाम हटाए जा सकते हैं तो फिर आम नागरिक के मताधिकार की सुरक्षा कैसे होगी. युवाओं में भी इस मुद्दे पर जागरूकता फैल रही है और राहुल गांधी की इस बात को लेकर चर्चा है कि “वोट चोरी लोकतंत्र पर परमाणु बम” है. कई सामाजिक संगठनों ने कहा है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए ताकि सच्चाई सामने आए.

राहुल गांधी ने युवाओं से अपील की है कि वे इस खतरे को समझें और लोकतंत्र की रक्षा के लिए आगे आएं. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र केवल नेताओं की जिम्मेदारी नहीं बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है और अगर इस समय आवाज़ नहीं उठाई गई तो आने वाली पीढ़ियां एक ऐसे सिस्टम में जीने को मजबूर होंगी जहाँ जनता की आवाज़ को दबा दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को बचाना आज सबसे बड़ी लड़ाई है और यह तभी संभव होगा जब हर नागरिक अपनी भूमिका निभाए.

इस तरह एक ओर राहुल गांधी का आरोप है कि चुनाव आयोग खुद उन ताकतों को बचा रहा है जो लोकतंत्र को नष्ट करना चाहती हैं, वहीं दूसरी ओर चुनाव आयोग का कहना है कि वह अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है और किसी भी तरह की अनियमितता नहीं होने दी जाएगी. भाजपा राहुल गांधी के आरोपों को सिरे से खारिज कर रही है जबकि विपक्ष और सामाजिक संगठन इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं. आने वाले दिनों में यह मुद्दा किस दिशा में जाता है यह देखना होगा, लेकिन इतना तय है कि वोट चोरी का यह विवाद अब राष्ट्रीय राजनीतिक विमर्श का अहम हिस्सा बन चुका है और इससे चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-