कोलकाता. अमेरिकी H-1B वीजा धारक भारतीयों के बीच तनाव और असमंजस की स्थिति लगातार बढ़ती जा रही है. कई भारतीय कर्मचारियों और उनके परिवारों ने इस चिंता को खुले तौर पर व्यक्त किया है कि यदि वीजा नियमों में लगातार बदलाव जारी रहे, तो अमेरिकी कंपनियों की उनकी नौकरी बनाए रखने की तत्परता कम हो सकती है.
कोलोराडो में काम करने वाले एक भारतीय, जिनकी उम्र लगभग 38 वर्ष है और जिन्होंने पिछले 10 वर्षों से H-1B वीजा पर अमेरिका में काम किया है, ने कहा कि कई भारतीय कर्मचारियों में अब घबराहट का माहौल है. उन्होंने बताया कि उनका कोलकाता आने का प्लान रद्द कर दिया गया क्योंकि उन्हें अपनी यात्रा के दौरान वीजा नियमों के बदलने का डर था. “हम नहीं जानते कि आगे क्या होने वाला है. हर दिन नई घोषणाएं हो रही हैं और हम लगातार अनिश्चितता में जी रहे हैं,” उन्होंने बताया.
इस बीच व्हाइट हाउस प्रेस सचिव कैरोलिन लीविट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर स्पष्ट किया कि नया $1,00,000 शुल्क केवल नए वीजा आवेदनों पर लागू होगा और मौजूदा वीजाधारकों को इसका सामना नहीं करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि यह वार्षिक शुल्क नहीं है और यह केवल आगामी लॉटरी चक्र में नए वीजा पर लागू होगा.
हालांकि, इन स्पष्टीकरणों के बावजूद भारतीय कर्मचारियों में तनाव कम नहीं हुआ है. कोलोराडो के एक कर्मचारी ने कहा, “सरकार जितनी तेजी से नियम बदल रही है, उससे किसी को भी पता नहीं कि अगले पल क्या होगा. मेरे दोस्त का वीजा कुछ महीनों में समाप्त हो रहा है और वह बेहद चिंतित है. यदि वीजा रिन्यू नहीं होता, तो उसे देश छोड़ना पड़ेगा और नौकरी भी चली जाएगी. उसके दो बच्चे हैं.”
कुछ छात्रों की चिंताएं और भी गंभीर हैं. शिकागो में क्वांटम कंप्यूटिंग में पीएचडी कर रहे 29 वर्षीय छात्र ने कहा कि लगातार बदलते नियम उनकी दीर्घकालिक योजना को प्रभावित कर रहे हैं. “हमें अमेरिका में काम करने के लिए तीन साल की छूट मिलती थी, उसके बाद H-1B के लिए आवेदन करना होता. लेकिन अब यह व्यवस्था और कठिन होती जा रही है. दुनिया की बेहतरीन यूनिवर्सिटी और काम के स्थान हैं, लेकिन रहने में कठिनाई बढ़ती जा रही है,” उन्होंने बताया.
कोलकाता में रहने वाले एक पिता ने अपनी बेटी के अक्टूबर में कोलकाता आने की योजना पर चिंता जताई. “सबसे मुश्किल हिस्सा यह है कि घोषणाओं के बाद बहुत कम समय मिलता है. नियम इतनी तेजी से बदल रहे हैं कि लोग बहुत सतर्क और सावधान रहने लगे हैं. अभी हाल ही में बढ़ाए गए H-1B शुल्क ने हमें चिंतित कर दिया कि क्या हमारी बेटी वापस अमेरिका आसानी से जा पाएगी या नहीं,” उन्होंने कहा.
एक अन्य माता ने कहा कि अमेरिका में काम करने की अनिश्चितता हर गुजरते दिन के साथ बढ़ती जा रही है. “लोग डर और अनिश्चितता के बीच जीवन जी रहे हैं. अब हर कदम सोच-समझ कर उठाना पड़ता है और हर शब्द पर ध्यान देना पड़ता है कि कहीं उसका नकारात्मक असर न पड़े. यह तनाव हमारे परिवारों में भी महसूस किया जा रहा है,” उन्होंने बताया.
इस समय H-1B वीजा धारक भारतीय कर्मचारी न केवल अपने पेशेवर भविष्य को लेकर चिंतित हैं, बल्कि परिवार के साथ यात्रा और शिक्षा की योजनाओं को लेकर भी तनाव में हैं. अमेरिका में नौकरी, पढ़ाई और जीवन की स्थिरता को लेकर लगातार बदलते नियम उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डाल रहे हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी प्रशासन के इस तरह के अचानक बदलाव और अस्पष्ट दिशानिर्देश भारतीय कर्मचारियों के मनोबल और काम की उत्पादकता को प्रभावित कर सकते हैं. इसके अलावा, लंबे समय तक जारी अनिश्चितता परिवारों के आर्थिक और सामाजिक जीवन पर भी दबाव डालती है.
कोलकाता से अमेरिका में काम कर रहे अन्य भारतीयों का कहना है कि वे अपनी नौकरी और बच्चों की शिक्षा को लेकर लगातार सतर्क हैं. किसी भी छोटे बदलाव से उन्हें तुरंत योजना बदलनी पड़ सकती है. “हमारे पास हर समय अलर्ट रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. यह मानसिक और भावनात्मक रूप से अत्यंत थकावट भरा है,” एक H-1B कर्मचारी ने कहा.
वर्तमान स्थिति में, H-1B वीजा धारकों की चिंता केवल नौकरी और निवास तक सीमित नहीं है. यह उनके सामाजिक और पारिवारिक जीवन, यात्रा योजनाओं और बच्चों की शिक्षा तक फैली हुई है. डिजिटल मीडिया और सोशल प्लेटफॉर्म पर भी इनकी भावनाओं और डर का व्यापक असर देखा जा रहा है.
संक्षेप में कहा जाए तो, अमेरिकी H-1B वीजा नियमों में बदलाव और उनसे जुड़े स्पष्टीकरणों के बावजूद भारतीय कर्मचारियों में चिंता और तनाव व्याप्त है. नौकरी की सुरक्षा, परिवार के साथ यात्रा और बच्चों की शिक्षा जैसी प्राथमिकताओं के बीच, यह अनिश्चितता उनके जीवन में एक बड़ा दबाव पैदा कर रही है. यह स्थिति दिखाती है कि स्पष्ट और स्थिर नीति के अभाव में कर्मचारियों का मानसिक स्वास्थ्य और जीवन संतुलन कितना प्रभावित हो सकता है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

