दुनिया भर की हवा को जहरीली बनाने में चीन सबसे अव्वल, भारत और अमेरिका इस पायदान पर पहुंचे

दुनिया भर की हवा को जहरीली बनाने में चीन सबसे अव्वल, भारत और अमेरिका इस पायदान पर पहुंचे

प्रेषित समय :12:53:46 PM / Fri, Sep 26th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

नई दिल्ली. कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन में अहम भूमिका निभाता है. इससे पर्यावरण और गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं जन्म लेती हैं. स्टैटिस्टा के आंकड़ों के मुताबिक, इस गंभीर समस्या को जन्म देने में सबसे आगे चीन है. साल 2023 में चीन दुनिया का सबसे बड़ा कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) उत्सर्जन करने वाला देश था.उसने लगभग 11.9 अरब मीट्रिक टन सीओ2 का उत्सर्जन किया.

इसके बाद इस लिस्ट में अमेरिका दूसरे नंबर पर रहा. अमेरिका ने 4.9 अरब मीट्रिक टन सीओ2 उत्सर्जित किया.जहां एक ओर अमेरिका ने 2010-2023 के बीच सीओ2 उत्सर्जन में कमी लाई. वहीं चीन की ओर से ये उत्सर्जन और बढ़ गया. अमेरिका ने इन सालों के बीच करीब 13 प्रतिशत उत्सर्जन में कमी लाई. वहीं चीन में कार्बनडाई ऑक्साइड का उत्सर्जन 38 प्रतिशत ज्यादा बढ़ गया.चीन, दुनिया में प्रदूषण फैलाने में लिस्ट पर पहले नंबर पर बना हुआ है.

भारत और रूस का ये है नंबर

दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाले देश भारत कार्बनडाई ऑक्साइड का धुआं फैलाने में तीसरे नंबर पर है. 2023 के आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने 3 अरब बिलियन मेट्रिक टन का धुआं फैलाया है. वहीं रूस इस लिस्ट में चौथे नंबर पर है. रूस ने 1.8 अरब बिलियन मेट्रिक टन कार्बन उत्सर्जन किया है. इस लिस्ट में पांचवे नंबर पर जापान है. जापान ने 0.988 अरब बिलियन मेट्रिक टन का उत्सर्जन किया है.

चीन धुएं को फैलाना बंद करेगा

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 24 सितंबर को एक उच्च-स्तरीय जलवायु शिखर सम्मेलन में घोषणा की है. फिलहाल, चीन 2035 तक अपने कार्बन उत्सर्जन में 7-10 प्रतिशत की कटौती करेगा. मौजूदा समय में चीन दुनिया का सबसे बड़ा कार्बन प्रदूषण करने वाला देश है. ऐसे में शी जिनपिंग ने कहा कि चीन अगले 10 सालों के भीतर अपनी पवन और सौर ऊर्जा की स्थापित क्षमता को बढ़ाने की योजना बना रहा है.

ट्रंप ने क्या कहा?

शी जिंगपिंग ने का कि हरित और कम-कार्बन परिवर्तन हमारे समय की जरूरत है. भले ही कुछ देश इस दिशा के खिलाफ जा रहे हों, लेकिन वैश्विक समुदाय को सही रास्ते पर रहना चाहिए. इसे दृढ़ विश्वास, अटल कार्रवाई और निरंतर प्रयासों के साथ आगे बढऩा चाहिए. उन्होंने वैश्विक जलवायु सहयोग को बढ़ाने की अपील की. दूसरी ओर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मंगलवार को जलवायु परिवर्तन को धोखा करार दिया और यूरोपीय संघ व चीन की नवीकरणीय ऊर्जा (रिन्यूएबल एनर्जी) में भारी निवेश की आलोचना की. दशकों की बहस के बावजूद जलवायु परिवर्तन और बिगड़ रहा है. वैश्विक तापमान खतरनाक स्तर के करीब पहुंच रहा है. साथ ही ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ रहा है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-