हिंदू धर्म में दीपावली केवल लक्ष्मी पूजन और दीप प्रज्वलन का पर्व नहीं, बल्कि यह अपने पितरों को सम्मान देने और उन्हें सही दिशा दिखाने का भी शुभ समय माना गया है। मान्यता है कि दीपावली की रात जब घरों में दीप जलते हैं, तब पितरों की आत्माएँ अपने वंशजों के घर आती हैं। इस समय उन्हें प्रकाश द्वारा मार्ग दिखाना आवश्यक होता है ताकि वे संतुष्ट होकर अपने परिवार को सुख, समृद्धि और आशीर्वाद दे सकें। आइए जानते हैं — दिवाली की रात दीप जलाने का ज्योतिषीय और धार्मिक महत्व।
1. पितरों को मार्ग दिखाने की परंपरा
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कार्तिक अमावस्या और चतुर्दशी के दिन, विशेष रूप से प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद का समय) में दीप जलाकर पितरों को मार्ग दिखाना अत्यंत शुभ माना गया है।
यह केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि कृतज्ञता और श्रद्धा का प्रतीक भी है। इस दिन जलाया गया दीपक केवल घर को प्रकाशमान नहीं करता, बल्कि यह पितरों की आत्माओं के लिए मार्गदर्शक दीप बनता है।
2. दीप जलाने का महत्व
पौराणिक ग्रंथों में कहा गया है कि जब अमावस्या की अंधेरी रात में दीपक जलाए जाते हैं, तो पितर प्रसन्न होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।
यदि दीपावली की रात घर के प्रत्येक कोने, मुख्य द्वार, आँगन और छत पर दीपक जलाकर पितरों को मार्ग दिखाया जाए, तो परिवार पर सुख, धन और सौभाग्य का प्रवाह होता है।
यह भी माना जाता है कि जो व्यक्ति इस रात दीपक जलाकर पितरों का स्मरण करता है, उसकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और घर में अन्न व लक्ष्मी की वृद्धि होती है।
3. प्रदोष काल और अमावस्या का विशेष योग
अमावस्या की रात प्रदोष काल में दीपक जलाने का विशेष महत्व बताया गया है।
ज्योतिष के अनुसार, यह वह समय होता है जब भौतिक और आध्यात्मिक ऊर्जा का संगम होता है। इस समय पितरों की आत्माएँ पृथ्वी पर आती हैं और अपने परिवार की दशा देखती हैं।
यदि इस समय श्रद्धा से दीप जलाकर उन्हें मार्ग दिखाया जाए, तो वे प्रसन्न होकर अपने वंशजों को आयु, आरोग्य और ऐश्वर्य का वरदान देते हैं।
पितरों के लिए दीप जलाने के लाभ
दीपावली पर पितरों को दीपक दिखाने की परंपरा केवल धार्मिक मान्यता नहीं, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का माध्यम भी है।
इसके कई शुभ प्रभाव देखे जाते हैं —
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पितरों की कृपा: पितर प्रसन्न होकर परिवार को आशीर्वाद देते हैं और घर में शांति बनी रहती है।
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सुख-समृद्धि का आगमन: पितरों के आशीर्वाद से जीवन में स्थिरता और आर्थिक उन्नति होती है।
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दरिद्रता का नाश: दीप जलाने और पितरों का स्मरण करने से घर से दरिद्रता, क्लेश और असफलता दूर होती है।
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आध्यात्मिक लाभ: पितरों की स्मृति से आत्मा में विनम्रता, कृतज्ञता और सकारात्मकता का संचार होता है।
दीपावली की रात सिर्फ लक्ष्मी पूजा का पर्व नहीं, बल्कि अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा, स्मरण और आभार का अवसर भी है।
यदि हम श्रद्धा और निष्ठा से दीप जलाकर पितरों को मार्ग दिखाएँ, तो उनके आशीर्वाद से न केवल हमारा घर आलोकित होता है, बल्कि जीवन भी समृद्धि और सुख से भर जाता है।जहाँ दीप जले श्रद्धा से, वहाँ दरिद्रता नहीं टिकती।”

