जबलपुर में दिवाली धनतेरस ने बढ़ाई बिजली की रिकॉर्ड खपत 55 लाख यूनिट, उपभोग ने ऊर्जा प्रबंधन पर दिया जोर

जबलपुर में दिवाली धनतेरस ने बढ़ाई बिजली की रिकॉर्ड खपत 55 लाख यूनिट

प्रेषित समय :21:51:50 PM / Tue, Oct 21st, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

जबलपुर. दीपावली और धनतेरस के पावन अवसर पर जबलपुर शहर ने इस वर्ष बिजली की खपत के मामले में एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड दर्ज किया. उत्सव की जगमगाहट और खरीदारी के जोश ने शहर की ऊर्जा मांग को इतना ऊँचा पहुँचा दिया कि बिजली वितरण कंपनियों को लोड प्रबंधन की नई परीक्षा से गुजरना पड़ा. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, अकेले धनतेरस के दिन जबलपुर शहर में करीब 55 लाख यूनिट बिजली का उपभोग हुआ, जो सामान्य दिनों की तुलना में कहीं अधिक है. यह वृद्धि न केवल त्यौहारी रौनक का प्रतीक है, बल्कि शहर की बढ़ती आर्थिक गतिविधियों और नागरिकों की समृद्धि का भी सूचक है.

धनतेरस के अवसर पर जबलपुर के बाजारों में खरीदारी की रफ्तार पूरे शबाब पर थी. इलेक्ट्रॉनिक दुकानों से लेकर सजावटी वस्तुओं की दुकानों तक ग्राहकों की भीड़ उमड़ पड़ी थी. लोग नए उपकरण, रेफ्रिजरेटर, वॉशिंग मशीन, टीवी और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुएं खरीद रहे थे. वहीं, घरों और दफ्तरों की रंगीन रोशनियों तथा झालरों ने बिजली की खपत में और तेजी ला दी. यह त्योहार जहां शहर के लिए खुशियों की रोशनी लेकर आया, वहीं ऊर्जा विभाग के लिए भी यह एक चुनौतीपूर्ण दौर साबित हुआ.

ऊर्जा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि त्योहारों के दौरान खपत बढ़ने की संभावना पहले से ही जताई गई थी. इसी कारण से ग्रिड स्तर पर अतिरिक्त बिजली की खरीद और ट्रांसफॉर्मर रखरखाव के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी. अधिकारियों ने बताया कि कई इलाकों में खपत सामान्य से लगभग दोगुनी तक पहुंच गई. इसके बावजूद बिजली आपूर्ति व्यवस्था बिना किसी बड़े व्यवधान के सुचारू रूप से चलती रही. कुछ स्थानों से वोल्टेज में हल्के उतार-चढ़ाव की शिकायतें मिलीं, लेकिन किसी बड़े ब्लैकआउट की स्थिति नहीं बनी.

धनतेरस की शाम से लेकर दिवाली की रात तक बिजली की चमक ने पूरे शहर को रोशन कर दिया. मुख्य बाजारों जैसे सराफा, गोलबाजार, रसल चौक, विजय नगर और नेपियर टाउन में रोशनी का ऐसा नजारा था मानो पूरा शहर बिजली के सितारों से जगमगा उठा हो. बिजली कंपनियों के नियंत्रण कक्ष लगातार सक्रिय रहे और उपभोक्ताओं की बढ़ती मांग पर बारीकी से नजर रखी गई. शहर में बिजली की मांग में इस अप्रत्याशित वृद्धि को संभालने के लिए लोड शिफ्टिंग और बैकअप पावर सप्लाई जैसी व्यवस्थाएँ लागू की गईं.

सोशल मीडिया पर भी इस विषय को लेकर व्यापक चर्चा रही. नागरिकों ने इस उछाल को शहर की आर्थिक सक्रियता का सकारात्मक संकेत बताया, वहीं कुछ लोगों ने चिंता जताई कि भविष्य में ऐसी स्थिति ऊर्जा संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव डाल सकती है. ट्विटर और फेसबुक पर #JabalpurElectricity, #Dhanteras2025 और #LoadSurge जैसे हैशटैग ट्रेंड में रहे. कई लोगों ने सुझाव दिया कि उत्सव के दौरान भी ऊर्जा संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए. एलईडी लाइट्स के प्रयोग और अनावश्यक उपकरणों को बंद रखने जैसे छोटे कदम बड़ी बचत साबित हो सकते हैं.

ऊर्जा विशेषज्ञों का कहना है कि 55 लाख यूनिट की यह खपत केवल एक सांख्यिकीय आंकड़ा नहीं, बल्कि शहर की सामाजिक और आर्थिक गतिशीलता का प्रतिबिंब है. त्यौहारी खरीदारी से लेकर सजावट तक, हर क्षेत्र में बढ़ी ऊर्जा मांग यह दर्शाती है कि जबलपुर प्रदेश के सबसे तेज़ी से विकसित हो रहे शहरों में शामिल हो चुका है. हालांकि विशेषज्ञों ने यह भी चेतावनी दी कि इस तरह के रिकॉर्ड उपभोग से यह स्पष्ट होता है कि आने वाले समय में बिजली वितरण नेटवर्क को और मज़बूत बनाने की आवश्यकता है. चरम मांग (पीक डिमांड) के समय किसी भी तकनीकी गड़बड़ी से बचने के लिए ट्रांसफॉर्मर क्षमता, ग्रिड लाइनें और सबस्टेशनों का उन्नयन आवश्यक है.

दिवाली के बाद बिजली विभाग अब इस बढ़ी हुई खपत के आंकड़ों का विश्लेषण कर रहा है. अधिकारियों के अनुसार, यह अध्ययन यह समझने के लिए किया जा रहा है कि किन इलाकों में सबसे अधिक खपत हुई और किन कारणों से. इस विश्लेषण से भविष्य के लिए बेहतर लोड प्रबंधन और ऊर्जा दक्षता की रणनीतियाँ तय की जा सकेंगी. वहीं उपभोक्ताओं से भी अपील की जा रही है कि ऊर्जा का विवेकपूर्ण उपयोग करें और आवश्यकतानुसार बिजली की खपत सीमित रखें.

त्यौहारी रौनक के बीच यह खबर जबलपुर की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों और तकनीकी क्षमता के बीच तालमेल का आईना बन गई. एक ओर जहां दीपों की जगमगाहट ने शहर को उत्सव की ऊर्जा से भर दिया, वहीं दूसरी ओर इसने यह संकेत भी दिया कि बढ़ती मांग को संतुलित करने के लिए भविष्य में बेहतर योजना, आधुनिक उपकरणों और ऊर्जा संरक्षण की आदतें जरूरी होंगी.

धनतेरस और दीपावली की यह बिजली कहानी सिर्फ चमक और रोशनी की नहीं, बल्कि जबलपुर की बढ़ती आर्थिक शक्ति, नागरिक सहभागिता और तकनीकी दक्षता की भी कहानी है. 55 लाख यूनिट की यह खपत शहर की खुशहाली का प्रतीक तो बनी ही, साथ ही ऊर्जा प्रबंधन के क्षेत्र में नए लक्ष्य तय कर गई.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-