एक ही दिन अक्षय नवमी और गोपाष्टमी का अद्भुत संयोग पुण्य, समृद्धि और गौसेवा का महापर्व

एक ही दिन अक्षय नवमी और गोपाष्टमी का अद्भुत संयोग पुण्य, समृद्धि और गौसेवा का महापर्व

प्रेषित समय :21:24:25 PM / Wed, Oct 29th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

भारतीय सनातन धर्म में गुरुवार, 30 अक्टूबर 2025 का दिन विशेष महत्व रखता है। इस दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है, जिस कारण आज अक्षय नवमी (आंवला नवमी) का महान पर्व मनाया जा रहा है। इसी के साथ, गोपाष्टमी का पावन पर्व भी आज ही के दिन मनाया जा रहा है, जो गौ-सेवा के महत्व को रेखांकित करता है। इन दोनों पर्वों का एक साथ होना इस दिन के महत्व को कई गुना बढ़ा देता है, जिससे यह दिन अक्षय पुण्य और धन-समृद्धि की प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ हो जाता है।

अक्षय नवमी: किए गए कर्म होते हैं 'अक्षय'

अक्षय नवमी को करने योग्य कार्यों का उल्लेख हमारे वेदों और ऋषियों ने विस्तार से किया है। "अक्षय" का अर्थ है जिसका कभी नाश न हो। इसीलिए, मान्यता है कि आज के दिन किया गया कोई भी शुभ कार्य, दान-पुण्य या जप-तप अक्षय फल प्रदान करता है।

अक्षय नवमी पर विशेष कार्य:

  • गुप्त दान और भोज: इस दिन कुष्मांड (कद्दू/पेठा) के अंदर सोने या चांदी की कोई वस्तु छिपाकर, ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद गुप्त दान करना चाहिए। यह माना जाता है कि ऐसा करने से गुप्त दान का पूर्ण फल प्राप्त होता है और वह अक्षय हो जाता है।

    लिखा है: "रत्नगर्भकुष्मांडादि दानम् । धात्रीमूले ब्राह्मण भोजनम्।।"

  • आंवला वृक्ष की पूजा: अक्षय नवमी को आंवला नवमी भी कहा जाता है। इस दिन आंवला (धात्री) के वृक्ष के नीचे भोजन करना और पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

  • धार्मिक परिक्रमा: आज नवमी तिथि को अयोध्या और मथुरा जैसे पवित्र तीर्थों की परिक्रमा करना भी मोक्षदायक बताया गया है।

  • विष्णु पूजा: आज सौवर्णमयीं श्रीविष्णुमूर्ति और तुलसी की पूजा करने का विधान है, जिसके उपरांत द्वादशी को दान किया जाता है।

  • अन्य पर्व: बंगाल में आज जगद्धात्री पूजन और उड़ीसा में दुर्गा नवमी भी मनाई जाती है। आज गौरी व्रत तथा जैन धर्म का णमोकार 34 व्रत एवं 34 उपवास भी है।

आज रवि योग एवं यायीजययोग का शुभ संयोग भी बन रहा है, जो इस दिन की शुभता को और बढ़ाता है।

गोपाष्टमी: गौ-चारण और गौसेवा का आरंभ

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। यह वह दिन है जब भगवान श्री कृष्ण ने पहली बार गायों को चराना (गौ-चारण) शुरू किया था। भगवान श्री कृष्ण स्वयं गायों की सेवा करते थे और उन्होंने सभी को गौसेवा का महत्व भी बताया। गोपाष्टमी पर गौ-पूजन से श्री कृष्ण की कृपा के साथ-साथ घर में धन-समृद्धि और सुख-शांति भी प्राप्त होती है।

गोपाष्टमी की कथा:

पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान कृष्ण की आयु केवल छह वर्ष की हुई, तो उन्होंने माता यशोदा से जिद की कि वह भी गायों को चराने वन जाएंगे। माता यशोदा ने नंद बाबा को बताया, तो उन्होंने गौ-चारण के लिए ऋषि शांडिल्य से शुभ मुहूर्त निकलवाया। ऋषि शांडिल्य ने घोषणा की कि उस दिन (कार्तिक शुक्ल अष्टमी) के अतिरिक्त कोई अन्य शुभ मुहूर्त नहीं है। उस दिन मैया यशोदा ने श्रीकृष्ण का श्रृंगार किया और पूजा के बाद उन्हें गायों को चराने वन भेजा। यह भी कहा जाता है कि जब यशोदा माँ ने कृष्ण को चरण पादुका पहनाने को कहा, तो उन्होंने यह कहकर मना कर दिया कि गौमाता ने चरण पादुका नहीं पहन रखी, इसलिए वह भी नंगे पैर ही जाएंगे। इसी घटना के बाद भगवान श्री कृष्ण गोपाल के नाम से भी पुकारे जाने लगे।

गोपाष्टमी की पूजा विधि और महत्व:

  1. गौ-पूजा: गोपाष्टमी के दिन गाय और उसके बछड़े को नहलाकर साफ-सुथरा किया जाता है, उन्हें आभूषण पहनाकर सजाया जाता है। रोली-चावल से तिलक किया जाता है और सींग पर चुनरी बांधी जाती है।

  2. भोजन और आरती: गाय और बछड़े को हरा चारा, गुड़ व जलेबी आदि खिलाकर धूप-दीप से उनकी आरती उतारी जाती है।

  3. परिक्रमा और ग्वालों का सम्मान: गौमाता के चरण छूकर उनकी परिक्रमा की जाती है, और संध्या के समय उनके वापस आने पर दंडवत् प्रणाम किया जाता है। ग्वालों को तिलक करके दान-दक्षिणा दी जाती है।

  4. सेवा और दान: जिनके घरों में गाय न हो, उन्हें गौशाला जाकर गायों की सेवा-पूजा करनी चाहिए और दान-पुण्य करना चाहिए। मंदिरों में अन्नकूट का आयोजन भी किया जाता है।

गौसेवा का महत्व हिंदू धर्म में अतुलनीय है। यह माना जाता है कि गौमाता के अंदर सभी देवी-देवताओं का वास होता है। गौसेवा करने से जातक को महान पुण्य प्राप्त होता है, शरीर निरोगी रहता है, दुख-संतापों का नाश होता है और मृत्यु के पश्चात सद्गति प्राप्त होती है।

गुरुवार के दिन के लिए विशेष नियम

आज गुरुवार का दिन होने के कारण कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना आवश्यक है:

  • वर्जित कार्य: गुरुवार के दिन तेल का मर्दन (मालिश) करने से धनहानि होती है। इस दिन धोबी को वस्त्र धुलने या प्रेस करने नहीं देने चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, गुरुवार को न तो सर धोना चाहिए, न शरीर में साबुन लगाकर नहाना चाहिए और न ही कपड़े धोने चाहिए, ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है।

  • शुभ कार्य: गुरुवार को पीतल के बर्तन में चने की दाल, हल्दी, और गुड़ डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाना चाहिए और धूप-दीपक जलाना चाहिए। इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होते हैं और दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है।

इस पावन अवसर पर, सभी सनातनियों को आंवला नवमी अथवा अक्षय नवमी और गोपाष्टमी के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।

मङ्गल श्री विष्णु मंत्र:

मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः। मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-