झारखंड में अफसर की करतूत का हाई-वोल्टेज ड्रामा, पत्नी ने सरकारी आवास में प्रेमिका संग पकड़ा

झारखंड में अफसर की करतूत का हाई-वोल्टेज ड्रामा

प्रेषित समय :22:04:58 PM / Mon, Nov 3rd, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

रांची. झारखंड के गढ़वा जिले में एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के निजी जीवन का ऐसा हाई-वोल्टेज ड्रामा सामने आया है जिसने पूरे राज्य के अफसरशाही गलियारों को हिला दिया है. मजियावां के सर्किल ऑफिसर (सीओ) प्रमोद कुमार को उनकी पत्नी ने आधी रात उनके सरकारी आवास पर एक महिला के साथ रंगे हाथों पकड़ लिया. यह पूरा घटनाक्रम कैमरे में कैद हो गया और सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया. वीडियो में अधिकारी घर के अंदर से अपनी पत्नी से दया की भीख मांगते हुए दिखाई दे रहे हैं.

मिली जानकारी के अनुसार, यह घटना शनिवार तड़के करीब 4:30 बजे की है. प्रमोद कुमार की पत्नी, डॉ. श्यामा रानी, जो बिहार के पूर्व सांसद रामजी मांझी की बेटी हैं, लंबे समय से अपने पति पर विवाहेतर संबंधों का शक कर रही थीं. बताया जाता है कि उन्होंने कई दिनों तक अपने पति की गतिविधियों पर नज़र रखी और अंततः उसी शक की पुष्टि करने के लिए अचानक सरकारी क्वार्टर में छापा मारा. अंदर का दृश्य देखकर उनके पैरों तले ज़मीन खिसक गई — सीओ प्रमोद कुमार अपने सरकारी निवास में एक अन्य महिला के साथ मौजूद थे.

घटना के बाद डॉ. श्यामा रानी ने दरवाजा बाहर से बंद कर दिया और पुलिस को सूचना दी. इस दौरान अंदर से प्रमोद कुमार अपनी पत्नी से रहम की भीख मांगते हुए वीडियो में कहते सुने गए — “मुझे जाने दो, यह गलतफहमी है.” लेकिन उनकी पत्नी दरवाजा खोलने को तैयार नहीं हुईं. कुछ ही देर में यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और देखते ही देखते यह मामला पूरे झारखंड में चर्चा का विषय बन गया.

पुलिस के अनुसार, सूचना मिलने पर मजियावां थाने की टीम मौके पर पहुंची. अंदर फंसे अधिकारी ने कथित तौर पर छत से कूदकर भागने की कोशिश की, जिससे उन्हें हल्की चोटें आईं. वहीं, उनके साथ मौजूद महिला को पुलिस ने हिरासत में लिया और पूछताछ के लिए महिला थाना भेज दिया.

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, यह घटना न केवल अफसर के व्यक्तिगत जीवन को उजागर करती है, बल्कि प्रशासनिक साख पर भी सवाल खड़े करती है. बताया जाता है कि सीओ प्रमोद कुमार हाल के महीनों में कई बार अपनी पत्नी से विवादों के कारण अलग रह रहे थे. डॉ. श्यामा रानी ने मीडिया से बातचीत में कहा, “मुझे काफी समय से शक था. मैंने कई बार समझाने की कोशिश की, लेकिन आखिरकार मुझे खुद सच्चाई सामने लानी पड़ी. अब मैं इस मामले में कानूनी कार्रवाई करूंगी.”

वीडियो वायरल होने के बाद इस मामले ने झारखंड के नौकरशाही और राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है. अफसरों में चर्चा है कि इतनी वरिष्ठ प्रशासनिक स्थिति में मौजूद अधिकारी की इस तरह की हरकत न केवल नैतिकता बल्कि सरकारी मर्यादा पर भी प्रश्न उठाती है. सोशल मीडिया पर यह वीडियो हज़ारों बार साझा किया जा चुका है, जिसमें अधिकारी अपनी पत्नी से छूटने की गुहार लगा रहे हैं और बाहर से गुस्से में पत्नी और स्थानीय लोग आवाज़ लगा रहे हैं.

स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने कहा है कि मामले की जांच चल रही है और बयान दर्ज किए जा रहे हैं. हालांकि, प्रशासन ने फिलहाल कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है. सूत्रों का कहना है कि विभाग स्तर पर भी इस घटना की रिपोर्ट मंगाई गई है और सीओ के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.

इस बीच, जनता के बीच भी यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है. सोशल मीडिया पर लोगों ने अधिकारी की हरकत को “सरकारी मर्यादा की हद पार करने वाला” बताते हुए कड़ी आलोचना की है. वहीं, कुछ लोगों ने इसे “निजी विवाद” करार देते हुए सोशल मीडिया पर वीडियो के प्रसार को अनुचित बताया है.

गढ़वा और रांची दोनों जगहों पर पत्रकारों की भीड़ लगी रही, क्योंकि यह मामला एक सर्किल ऑफिसर और पूर्व सांसद की बेटी से जुड़ा होने के कारण राजनीतिक रंग भी ले चुका है. सूत्रों के अनुसार, डॉ. श्यामा रानी ने पहले ही वकीलों से संपर्क कर लिया है और पारिवारिक अदालत में याचिका दाखिल करने की तैयारी कर रही हैं.

प्रशासनिक गलियारों में अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या इस तरह की घटनाएं सरकारी सेवा में नैतिक अनुशासन और व्यक्तिगत आचरण के मानकों पर असर डालेंगी. विभागीय सूत्रों के मुताबिक, इस घटना की रिपोर्ट झारखंड सरकार के कार्मिक विभाग को भेजी जाएगी, जिसके बाद अफसर पर निलंबन या अन्य अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है.

झारखंड जैसे राज्य में, जहाँ अधिकारी समाज में सम्मानजनक भूमिका निभाते हैं, एक सीनियर अफसर के इस तरह के निजी विवाद का सार्वजनिक होना असामान्य है. लेकिन सोशल मीडिया के इस दौर में, निजी घटनाएँ अब बंद दरवाजों के भीतर नहीं रहतीं. यह घटना न केवल एक पारिवारिक टूटन की कहानी है, बल्कि इस बात का भी उदाहरण है कि डिजिटल युग में किसी भी उच्च पदस्थ व्यक्ति की निजी भूल किस तरह सार्वजनिक तमाशा बन सकती है.

गढ़वा का यह प्रकरण अब सिर्फ घरेलू विवाद नहीं रहा, बल्कि झारखंड की प्रशासनिक व्यवस्था के लिए एक चेतावनी बन गया है कि निजी जीवन में अनुशासन और नैतिकता की कमी किस तरह पूरे तंत्र की छवि को प्रभावित कर सकती है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-