एशिया की शीर्ष 100 यूनिवर्सिटीज में पांच आईआईटी, दिल्ली विश्वविद्यालय और आईआईएससी ने दर्ज की शानदार मौजूदगी

एशिया की शीर्ष 100 यूनिवर्सिटीज में पांच आईआईटी, दिल्ली विश्वविद्यालय और आईआईएससी ने दर्ज की शानदार मौजूदगी

प्रेषित समय :21:52:02 PM / Tue, Nov 4th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

नई दिल्ली. भारतीय उच्च शिक्षा जगत के लिए मंगलवार का दिन गौरवपूर्ण रहा. प्रतिष्ठित QS एशिया यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2025 में भारत के पांच भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IITs)भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) बेंगलुरु और दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) ने एशिया की शीर्ष 100 यूनिवर्सिटीज़ में जगह बनाकर देश की अकादमिक क्षमता का डंका बजाया है.

इस सूची में आईआईटी दिल्ली ने एक बार फिर देश के सर्वश्रेष्ठ संस्थान का खिताब अपने नाम किया है. यह लगातार पांचवां साल है जब आईआईटी दिल्ली ने शीर्ष भारतीय संस्थानों की सूची में पहला स्थान हासिल किया है. QS की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, आईआईटी दिल्ली ने 59वां स्थान प्राप्त किया है, जबकि आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी मद्रास, आईआईटी खड़गपुर और आईआईटी कानपुर भी टॉप 100 में शामिल हुए हैं.

विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित संस्था क्वाक्वेरेली साइमंड्स (QS) द्वारा जारी इस रैंकिंग में शोध, अकादमिक प्रतिष्ठा, फैकल्टी-स्टूडेंट अनुपात, अंतरराष्ट्रीय सहयोग, और रोजगार क्षमता जैसे कई मापदंडों के आधार पर विश्वविद्यालयों का मूल्यांकन किया गया.

रिपोर्ट के अनुसार, भारत की शिक्षा प्रणाली तेजी से एशिया के अग्रणी देशों के बराबर खड़ी हो रही है. आईआईएससी बेंगलुरु, जिसने लंबे समय से भारत में शोध के क्षेत्र में अग्रणी स्थान बनाए रखा है, इस बार भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है. विशेषज्ञों के अनुसार, IISc की रिसर्च पब्लिकेशन और सिटेशन इम्पैक्ट ने इसे शीर्ष 100 में जगह दिलाने में अहम भूमिका निभाई.

दिल्ली विश्वविद्यालय, जो देश के सबसे पुराने और लोकप्रिय विश्वविद्यालयों में से एक है, ने भी QS की इस सूची में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है. लगातार वैश्विक रैंकिंग में सुधार के संकेतों के बीच DU का शीर्ष 100 में शामिल होना इस बात का प्रमाण है कि भारत की पारंपरिक विश्वविद्यालय प्रणाली भी अब वैश्विक मानकों की ओर अग्रसर है.

आईआईटी दिल्ली (59वां स्थान)
रैंकिंग में सबसे आगे रहने वाले भारतीय संस्थान के रूप में IIT दिल्ली ने एक बार फिर अपनी अंतरराष्ट्रीय साख को मजबूत किया है. इसके डायरेक्टर ने इस उपलब्धि पर कहा, “यह सफलता हमारे छात्रों, फैकल्टी और शोधकर्ताओं की सामूहिक मेहनत का परिणाम है. हमने पिछले कुछ वर्षों में नवाचार, बहु-विषयक अनुसंधान और उद्योग साझेदारी पर विशेष ध्यान दिया है.”

अन्य प्रमुख भारतीय संस्थानों का प्रदर्शन
आईआईटी बॉम्बे और आईआईटी मद्रास ने भी इस वर्ष बेहतर प्रदर्शन किया है. आईआईटी बॉम्बे को शोध और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्किंग के लिए उच्च अंक प्राप्त हुए, जबकि आईआईटी मद्रास को ‘एम्प्लॉयर रेपुटेशन’ (नियोजक प्रतिष्ठा) श्रेणी में सराहा गया. आईआईटी खड़गपुर और आईआईटी कानपुर ने भी अपने-अपने क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान के दम पर टॉप 100 में अपनी जगह बनाई.

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के उच्च शिक्षा संस्थान अब केवल तकनीकी शिक्षा तक सीमित नहीं हैं. वे स्टार्टअप, नवाचार, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग जैसे क्षेत्रों में भी अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं. यही कारण है कि वैश्विक स्तर पर भारत की शैक्षणिक छवि निरंतर सशक्त हो रही है.

एशियाई प्रतिस्पर्धा में भारत की बढ़त
रैंकिंग रिपोर्ट बताती है कि चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर जैसे देशों के साथ प्रतिस्पर्धा के बावजूद भारत की उपस्थिति लगातार मजबूत हो रही है. बीते पांच वर्षों में QS एशिया यूनिवर्सिटी रैंकिंग में भारतीय संस्थानों की संख्या दोगुनी हो गई है. इस बार टॉप 200 में भारत के कुल 22 संस्थान शामिल हुए हैं, जो देश की शिक्षा गुणवत्ता में हो रहे सुधार का स्पष्ट संकेत है.

शिक्षा मंत्रालय ने इस उपलब्धि पर सभी संस्थानों को बधाई दी है. मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह रैंकिंग दिखाती है कि भारत में शिक्षा नीति 2020 के बाद से अनुसंधान, नवाचार और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को जो प्राथमिकता दी जा रही है, उसके परिणाम अब सामने आने लगे हैं.”

रैंकिंग के मापदंड और भारत की स्थिति
QS रैंकिंग में विश्वविद्यालयों का मूल्यांकन 11 प्रमुख पैरामीटर्स पर किया गया, जिनमें अकादमिक प्रतिष्ठा, फैकल्टी की योग्यता, छात्र-शिक्षक अनुपात, अंतरराष्ट्रीय छात्र संख्या, रिसर्च इम्पैक्ट, और एम्प्लॉयर फीडबैक शामिल हैं. भारत के कई संस्थानों ने विशेष रूप से “एम्प्लॉयर रेपुटेशन” और “रिसर्च इम्पैक्ट” श्रेणी में अच्छा प्रदर्शन किया है.

QS रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में STEM (Science, Technology, Engineering, Mathematics) क्षेत्रों में अनुसंधान की गति अन्य एशियाई देशों की तुलना में तेज़ी से बढ़ रही है. वहीं, आईआईटी और आईआईएससी जैसे संस्थान वैश्विक विश्वविद्यालयों के साथ साझेदारी कर रहे हैं, जिससे भारत का शोध-परिदृश्य और व्यापक हुआ है.

चुनौतियाँ और आगे की राह
हालांकि विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि भारत को अब भी कुछ चुनौतियों का सामना करना होगा — जैसे कि शिक्षा में धनराशि का अनुपात, अंतरराष्ट्रीय फैकल्टी की सीमित उपस्थिति, और वैश्विक शोध पत्रिकाओं में प्रतिनिधित्व का स्तर. लेकिन इस रैंकिंग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत अब शिक्षा की दुनिया में “पिछलग्गू” नहीं, बल्कि “प्रतिस्पर्धी खिलाड़ी” बन चुका है.

दिल्ली विश्वविद्यालय की कुलपति ने इस उपलब्धि पर कहा, “यह हमारे शिक्षकों, छात्रों और प्रशासन के सामूहिक प्रयासों का परिणाम है. हमारा लक्ष्य न केवल रैंकिंग में सुधार करना है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारतीय शिक्षा की पहचान को सुदृढ़ करना भी है.”

QS एशिया यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2025 में भारत की यह सफलता केवल एक सूची में नाम आने की बात नहीं है, बल्कि यह एक संकेत है कि देश की उच्च शिक्षा अब वैश्विक मंच पर आत्मविश्वास के साथ खड़ी है.आईआईटी, आईआईएससी और दिल्ली विश्वविद्यालय जैसे संस्थान आने वाले वर्षों में “ज्ञान के ग्लोबल हब” के रूप में उभर सकते हैं — जहां भारतीय प्रतिभा न केवल सीखती है, बल्कि दुनिया को दिशा भी देती है.यह उपलब्धि शिक्षा के क्षेत्र में भारत की बढ़ती साख और “विश्वगुरु” बनने की दिशा में उठाए गए एक और ठोस कदम के रूप में देखी जा रही है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-