नई दिल्ली : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (JNUSU) चुनाव में एक बार फिर वाम एकता (Left Unity) ने अपना परचम लहराते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) समर्थित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) को करारी शिकस्त दी है। मंगलवार को हुए मतदान के बाद बुधवार देर शाम घोषित परिणामों में वाम गठबंधन ने सभी चार महत्वपूर्ण केंद्रीय पैनल पदों पर क्लीन स्वीप करते हुए विश्वविद्यालय परिसर में अपनी मजबूत पकड़ को दोहराया है।
ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA), स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) और डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (DSF) को मिलाकर बने इस वाम मोर्चे ने एबीवीपी के उम्मीदवारों को स्पष्ट अंतर से हराया। यह चुनाव कैंपस में एक जीवंत लोकतांत्रिक भागीदारी का साक्षी बना, जहाँ छात्रों ने ढोल-नगाड़ों के बीच उत्साहपूर्वक मतदान किया, जिसने कुल 67 प्रतिशत मतदान दर्ज किया, हालांकि यह पिछले वर्ष के 70 प्रतिशत से थोड़ा कम रहा।
अध्यक्ष पद पर वामपंथी एकता की अदिति मिश्रा की शानदार जीत
सबसे प्रतिष्ठित पद, अध्यक्ष (President) की दौड़ में, वाम गठबंधन की उम्मीदवार अदिति मिश्रा ने शानदार जीत हासिल की। अदिति मिश्रा को कुल 1,937 वोट मिले, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी एबीवीपी के विकास पटेल को 1,488 वोट ही मिल पाए। यह जीत वाम एकता के लिए न केवल राजनीतिक प्रभुत्व की पुष्टि करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि जेएनयू परिसर में छात्रों का एक बड़ा हिस्सा वामपंथी विचारधारा और उसके प्रगतिशील एजेंडे पर भरोसा बनाए हुए है।
उपाध्यक्ष पद पर प्रचंड बहुमत
उपाध्यक्ष (Vice-President) पद के लिए वाम एकता की उम्मीदवार के. गोपिका बाबू ने तो लगभग प्रचंड जीत दर्ज की। गोपिका बाबू ने एबीवीपी की तान्या कुमारी के खिलाफ ज़बरदस्त बढ़त बनाई और 3,101 वोट हासिल किए। तान्या कुमारी को इस पद के लिए 1,787 वोट मिले। गोपिका बाबू की जीत का अंतर स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि इस पद पर वाम एकता का पलड़ा काफी भारी रहा और छात्रों ने एकतरफा रूप से वामपंथी उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया।
महासचिव पद पर करीबी मुकाबला, वाम का कब्ज़ा बरकरार
हालांकि, महासचिव (General Secretary) के पद पर मुकाबला थोड़ा करीबी रहा, लेकिन अंततः यहाँ भी जीत वाम एकता की ही हुई। वाम उम्मीदवार सुनील यादव ने एबीवीपी के राजेश्वर के. दुबे को बहुत कम अंतर से हराया। सुनील यादव को 2,005 वोट मिले, जबकि दुबे 1,901 वोट लेकर पीछे रह गए। यह करीबी जीत दिखाती है कि एबीवीपी ने इस महत्वपूर्ण पद पर वाम मोर्चे को कड़ी टक्कर दी थी, लेकिन अंतिम क्षणों में वाम एकता अपनी पकड़ बनाए रखने में सफल रही।
संयुक्त सचिव पद पर आरामदायक जीत
संयुक्त सचिव (Joint Secretary) के चुनाव में, वाम एकता के दानिश अली ने आरामदायक जीत दर्ज की। दानिश अली ने कुल 2,083 वोट प्राप्त किए, जबकि एबीवीपी के अनुज डामरा को 1,797 वोट मिले। दानिश अली की जीत के साथ ही वाम मोर्चे ने केंद्रीय पैनल के सभी चार पदों पर अपनी विजय सुनिश्चित की, जिसने कैंपस में एक बार फिर वामपंथी विचारधारा के प्रभाव को पुख्ता किया है।
जेएनयू छात्र संघ चुनाव, भारतीय राजनीति और अकादमिक जगत में हमेशा से ही महत्वपूर्ण माने जाते रहे हैं। इन चुनावों को देश के बुद्धिजीवी वर्ग के राजनीतिक रुझान का बैरोमीटर भी माना जाता है। वाम एकता की यह क्लीन स्वीप न केवल कैंपस में उनके जनाधार को मजबूत करती है, बल्कि यह भी संकेत देती है कि एबीवीपी, तमाम प्रयासों के बावजूद, जेएनयू के छात्र समुदाय के बीच अपनी पैठ को निर्णायक रूप से बढ़ा नहीं पाई है।
चुनावों के दौरान पूरे कैंपस में छात्रों ने ड्रम बजाकर और ज़ोरदार नारे लगाकर अपने उम्मीदवारों के लिए माहौल बनाया। जेएनयू की यह चुनावी प्रक्रिया, जो अपने जीवंत और विचारोत्तेजक वाद-विवादों के लिए जानी जाती है, एक बार फिर समाप्त हुई है, और अब विजयी वाम एकता छात्र संघ का नेतृत्व करेगी।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

