अंतिम चरण से पहले सट्टा बाजार ने एनडीए को थमाया सत्ता का परचा, महागठबंधन को कड़ी चुनौती

अंतिम चरण से पहले सट्टा बाजार ने एनडीए को थमाया सत्ता का परचा, महागठबंधन को कड़ी चुनौती

प्रेषित समय :20:33:23 PM / Sat, Nov 8th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

पटना, नगर संवाददाता. बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की रिकॉर्डतोड़ वोटिंग के बाद अब सट्टा बाजार में राजनीतिक तापमान तेजी से बढ़ गया है. ताज़ा रिपोर्ट्स और जारी किए गए ‘भाव’ बताते हैं कि इस बार राज्य की सत्ता एक बार फिर एनडीए के हाथों में जा सकती है. बाजार का अनुमान है कि भाजपा-जदयू गठबंधन बहुमत के जादुई आंकड़े को सहज रूप से पार कर 128 से 138 सीटों तक जीत हासिल कर सकता है. कुछ सूत्रों के अनुसार यह आंकड़ा 135 से 138 सीटों तक पहुंचने का अनुमान है, जो एनडीए की बड़ी बढ़त का स्पष्ट संकेत माना जा रहा है.राजनीति के जानकारों का मानना है कि सट्टा बाजार को एक ‘सामाजिक तापमान’ के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन इसे न तो सर्वेक्षण कहा जा सकता है और न ही विश्वसनीय भविष्यवाणी. भारत में सट्टेबाजी कानूनन प्रतिबंधित है, फिर भी चुनावी मौसम में यह बाजार जनमानस के झुकाव का एक अनौपचारिक संकेत देने का माध्यम बन जाता है.

सट्टा बाजार में किसी भी राजनीतिक संभावना का मूल्य (‘भाव’) जितना कम होता है, उसके सच साबित होने की संभावना उतनी ही अधिक मानी जाती है. मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फिर से सत्ता में लौटने के भाव 40 से 45 पैसे के बीच चल रहे हैं, जो इस बात का सूचक है कि सटोरिए उनके मुख्यमंत्री बनने को लगभग तय मान रहे हैं. उदाहरण के तौर पर यदि कोई व्यक्ति नीतीश कुमार की जीत पर ₹1000 लगाता है, तो जीत की स्थिति में उसे केवल ₹400 से ₹450 का ही लाभ मिलेगा, क्योंकि जीत की संभावना को लगभग निश्चित माना जा रहा है.

इसके उलट, तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन के लिए सट्टा बाजार का रुझान उतना आशावादी नहीं है. राजद, कांग्रेस और वाम दलों के इस गठबंधन को सट्टा बाजार ने मात्र 93 से 100 सीटों के दायरे में आंका है. कुछ पोल महागठबंधन को बढ़त दे रहे हैं, परंतु सट्टा बाजार के आंकड़े यह संकेत दे रहे हैं कि विपक्ष बहुमत से काफी पीछे रह सकता है. महागठबंधन की जीत पर ₹1 से ₹1.50 तक के भाव चल रहे हैं — यानी निवेश का जोखिम अधिक और जीत की संभावना कम.

सट्टा बाजार के विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा को इस बार 66 से 81 सीटों तक मिल सकती हैं, जिससे वह गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी बन सकती है. जदयू के हिस्से 42 से 56 सीटें आने का अनुमान है, जबकि लोजपा(रा) और अन्य छोटे सहयोगी मिलकर एनडीए के आंकड़े को बहुमत से आगे ले जा सकते हैं. सटोरियों का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता, केंद्र की योजनाओं का असर और नीतीश कुमार की प्रशासनिक छवि ने एनडीए की स्थिति को मज़बूत बनाया है.

वहीं, महागठबंधन की ओर से राजद को 69 से 78 सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि कांग्रेस का प्रदर्शन पिछली बार की तुलना में कमजोर रहने की संभावना जताई जा रही है. हालांकि, विपक्षी दल यह दावा कर रहे हैं कि जमीनी स्तर पर जनता बदलाव चाहती है और सट्टा बाजार में दिख रही तस्वीर ‘हकीकत से कोसों दूर’ है.

राजनीतिक गलियारों में सट्टा बाजार के इन भावों ने नई हलचल पैदा कर दी है. एनडीए खेमे के नेता इन आंकड़ों को जनता के मूड का संकेत मान रहे हैं, वहीं महागठबंधन ने इसे ‘भ्रम फैलाने का प्रयास’ बताया है. विपक्ष का कहना है कि यह बाजार पूंजीपतियों और प्रभावशाली वर्गों की मानसिकता को दर्शाता है, न कि आम मतदाता की सोच को. तेजस्वी यादव के करीबी नेताओं का कहना है कि “बिहार की जनता अपने भविष्य के लिए सोच-समझकर मतदान करती है, और उसका फैसला किसी बाजार की दरों से तय नहीं हो सकता.”

पहले चरण में 64.66 प्रतिशत से अधिक मतदान ने चुनावी परिदृश्य को और पेचीदा बना दिया है. बड़े राजनीतिक विश्लेषकों से लेकर साधारण मतदाता तक अब यह देखने को उत्सुक हैं कि सट्टा बाजार का अनुमान कितनी सटीकता से वास्तविक नतीजों में बदलता है. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ऊँची वोटिंग दर महागठबंधन के लिए फायदेमंद हो सकती है, जबकि कुछ इसे एनडीए के पक्ष में साइलेंट वोट की लहर मान रहे हैं.

फिलहाल सट्टा बाजार के ‘भाव’ यह बता रहे हैं कि हवा एनडीए की ओर बह रही है, लेकिन यह हवा कितनी स्थायी है, यह मतगणना के दिन ही तय होगा. बिहार की राजनीति में कई बार ऐसा हुआ है कि सट्टा बाजार का अनुमान पूरी तरह उलट गया. इसलिए यह कहना जल्दबाज़ी होगी कि नीतीश कुमार की कुर्सी सुरक्षित है या नहीं.

फिलहाल इतना तय है कि बिहार में सट्टा बाजार ने एक बार फिर चुनावी चर्चा को नई दिशा दे दी है. अब मतदाता, विश्लेषक और राजनीतिक दल सभी इस इंतज़ार में हैं कि 14 नवंबर को जब मतगणना होगी, तो क्या बाजार की भविष्यवाणी सच साबित होगी या बिहार की जनता कोई अप्रत्याशित फैसला सुनाएगी.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-