जबलपुर की व्हीकल फैक्ट्री का फौलादी वाहन फिर बना चर्चा का केंद्र, माइन प्रोटेक्टिव व्हीकल की धमाकों को झेलने की क्षमता ने फिर दिलाया देश को गर्व

जबलपुर की व्हीकल फैक्ट्री का फौलादी वाहन फिर बना चर्चा का केंद्र

प्रेषित समय :19:13:10 PM / Sat, Nov 8th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

जबलपुर, नगर संवाददाता. रक्षा निर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत को नई ताकत देने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है. जबलपुर की ऐतिहासिक व्हीकल फैक्ट्री ने ऐसा आधुनिक माइन प्रोटेक्टिव व्हीकल (MPV) तैयार किया है, जो दुश्मन के ब्लास्ट को न केवल झेल सकता है बल्कि उसके असर को हवा में दो हिस्सों में विभाजित कर सैनिकों को सुरक्षित रखता है. यह स्वदेशी तकनीक से बना वाहन अब रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और सेना दोनों के बीच चर्चा का केंद्र बना हुआ है.

फैक्ट्री सूत्रों के अनुसार, यह नया मॉडल पूरी तरह ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत तैयार किया गया है और इसे देश की सीमाओं और नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात करने की योजना बनाई जा रही है. इस वाहन को विशेष रूप से बारूदी सुरंग (माइन) हमलों, आईईडी धमाकों और फायरिंग झेलने के लिए डिज़ाइन किया गया है. इसके फौलादी ढांचे और विशेष “V-शेप्ड अंडरबॉडी” डिज़ाइन के कारण ब्लास्ट का झटका सीधे वाहन के ऊपर की ओर बंट जाता है, जिससे उसमें बैठे सैनिक सुरक्षित रहते हैं.

व्हीकल फैक्ट्री के मुख्य अभियंता ए.के. त्रिपाठी ने बताया कि यह वाहन 14 से 16 सैनिकों को लेकर दुर्गम इलाकों में सुरक्षित रूप से संचालित हो सकता है. उन्होंने कहा, “यह माइन प्रोटेक्टिव व्हीकल पहले की तुलना में दो गुना अधिक टिकाऊ है. इसके पहियों और अंडरबॉडी को विशेष मिश्र धातु से तैयार किया गया है, जो 21 किलो टीएनटी तक के धमाके को झेलने में सक्षम है. साथ ही, इसका सस्पेंशन सिस्टम ऐसा है कि भारी झटके के बाद भी वाहन का संतुलन नहीं बिगड़ता.”

इस वाहन का निर्माण रक्षा मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुरूप किया गया है. इसका परीक्षण हाल ही में जबलपुर के बाहर स्थित डायनामिक टेस्टिंग रेंज में किया गया, जहाँ इसने 20 किलो के बारूदी धमाके को सफलतापूर्वक झेल लिया. परीक्षण के बाद मौजूद सैन्य अधिकारियों ने इसकी मजबूती और डिजाइन की सराहना की. सेना के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “इस स्तर का indigenous वाहन अब तक देश में नहीं बना था. यह हमारे जवानों के लिए एक जीवन रक्षक कवच साबित होगा.”

जबलपुर की व्हीकल फैक्ट्री, जो ब्रिटिश काल से लेकर आज तक भारतीय सेना की ज़रूरतों को पूरा करती आई है, एक बार फिर अपने नवाचार के लिए सुर्खियों में है. यह फैक्ट्री भारतीय ऑर्डनेंस फ़ैक्ट्रीज़ (OFB) नेटवर्क की प्रमुख इकाइयों में से एक है और अब भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) और DRDO के सहयोग से रक्षा उपकरणों के आधुनिकीकरण की दिशा में काम कर रही है.

तकनीकी विशेषज्ञों के अनुसार, इस वाहन में सुरक्षा और गतिशीलता दोनों को प्राथमिकता दी गई है. MPV की लंबाई करीब 6.2 मीटर, चौड़ाई 2.8 मीटर और ऊँचाई 2.6 मीटर है. इसमें 300 हॉर्सपावर का शक्तिशाली इंजन लगाया गया है जो कठिन पहाड़ी रास्तों और ऊबड़-खाबड़ इलाकों में भी आसानी से चल सकता है. वाहन की अधिकतम रफ्तार 80 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुँच सकती है, जबकि यह 1 मीटर गहरे पानी और 30 डिग्री ढलान पर भी सुचारू रूप से चल सकता है.

सुरक्षा की दृष्टि से इसमें ब्लास्ट रेजिस्टेंट सीटेंरन-फ्लैट टायर, और फायर सप्रेशन सिस्टम जैसी अत्याधुनिक सुविधाएँ दी गई हैं. इसके अलावा, इसमें रात्रि दृष्टि कैमरा (Night Vision Camera) और GPS आधारित नेविगेशन सिस्टम भी लगाया गया है, जिससे यह हर प्रकार की स्थिति में ऑपरेशन के लिए उपयुक्त बनता है.

व्हीकल फैक्ट्री प्रशासन के अनुसार, इस परियोजना पर लगभग ₹12 करोड़ की लागत आई है और इसका पूरा डिजाइन भारतीय इंजीनियरों द्वारा तैयार किया गया है. इस वाहन के निर्माण में इस्तेमाल हुए सभी प्रमुख घटक — इंजन, स्टील प्लेट, इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम और चेसिस — स्वदेशी हैं. यह आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत ‘मेड इन इंडिया फॉर द वर्ल्ड’ दृष्टिकोण को मजबूत करता है.

सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि यह MPV विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे इलाकों में उपयोगी होगा, जहाँ बारूदी सुरंगों और घात लगाकर किए जाने वाले हमलों का खतरा अधिक होता है. यह वाहन न केवल जवानों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा बल्कि युद्धक्षेत्र में उनकी गतिशीलता भी बढ़ाएगा.

रक्षा विश्लेषकों का कहना है कि इस वाहन के सफल परीक्षण के बाद भारत अब विदेशी कंपनियों पर निर्भरता कम कर सकेगा. अभी तक भारतीय सेना को माइन प्रोटेक्टिव वाहन मुख्यतः दक्षिण अफ्रीका और रूस से आयात करने पड़ते थे. लेकिन अब जबलपुर की इस फैक्ट्री ने जो सफलता हासिल की है, उससे रक्षा उत्पादन क्षेत्र में भारत की क्षमता साबित होती है.

रक्षा विशेषज्ञ ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) अनिल सिंह का कहना है, “जबलपुर की यह उपलब्धि केवल तकनीकी नहीं बल्कि सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. यह हमारे जवानों को नक्सल और सीमा क्षेत्रों में नई सुरक्षा प्रदान करेगी. भारत अब न केवल आत्मनिर्भर हो रहा है बल्कि वैश्विक रक्षा उद्योग को भी प्रतिस्पर्धा दे रहा है.”

व्हीकल फैक्ट्री के श्रमिकों और अभियंताओं में भी इस सफलता को लेकर गर्व की भावना है. वरिष्ठ तकनीशियन मनोज दुबे ने बताया, “हमने इस परियोजना पर डेढ़ साल तक लगातार काम किया. जब यह वाहन ब्लास्ट के बाद भी स्थिर खड़ा रहा, तो सभी की आँखों में खुशी और गर्व के आँसू थे. यह हमारे देश की ताकत का प्रतीक है.”

केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने संकेत दिए हैं कि जल्द ही इस वाहन के बड़े पैमाने पर उत्पादन की मंजूरी दी जाएगी. मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “देश की सुरक्षा के लिए ऐसी तकनीकें बहुत आवश्यक हैं. जबलपुर फैक्ट्री की यह पहल आत्मनिर्भर भारत के विजन को साकार करने की दिशा में बड़ा कदम है.”

स्थानीय स्तर पर भी इस उपलब्धि को लेकर उत्साह देखा जा रहा है. जबलपुर के नागरिकों का कहना है कि शहर लंबे समय से देश के रक्षा उद्योग का केंद्र रहा है, और अब इस उपलब्धि ने उसका गौरव और बढ़ा दिया है. नगर के उद्योगपति और तकनीकी विशेषज्ञों ने कहा कि इस सफलता से युवाओं में इंजीनियरिंग और रक्षा अनुसंधान के प्रति रुचि बढ़ेगी.

मौजूदा समय में देश जिन सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है, उनमें बारूदी हमले और आईईडी ब्लास्ट प्रमुख हैं. ऐसे में जबलपुर की व्हीकल फैक्ट्री का यह फौलादी वाहन सेना के लिए एक गेम चेंजर साबित हो सकता है. यह न केवल सैनिकों की रक्षा करेगा, बल्कि भविष्य में देश की सीमाओं पर तैनात जवानों के आत्मविश्वास को भी नई ऊँचाई देगा.

इस तरह जबलपुर की धरती ने एक बार फिर देश को गर्व का अवसर दिया है. व्हीकल फैक्ट्री की यह उपलब्धि न केवल तकनीकी प्रगति का प्रतीक है बल्कि उस संकल्प का भी प्रमाण है जिसके तहत भारत रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में दृढ़ता से आगे बढ़ रहा है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-