बैतूल .मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में सोमवार का दिन ग्राम सोनघाटी और कड़ाई के लगभग साठ परिवारों के लिए जीवन भर न भूलने वाला त्रासदी लेकर आया। रेलवे ने बिना किसी पूर्व सूचना, सुनवाई या पुनर्वास की व्यवस्था किए, इन गरीब परिवारों के कच्चे-पक्के मकानों पर बुलडोजर चला दिया। देखते ही देखते दशकों पुरानी उनकी बस्तियां मलबे के ढेर में बदल गईं और ये परिवार नवंबर की इस सर्द शाम में खुले आसमान के नीचे बेघर हो गए। रेलवे की इस अमानवीय और अचानक की गई कार्रवाई से आक्रोशित और हताश ग्रामीण अपने छोटे बच्चों और बिखरे हुए सामान के साथ न्याय की गुहार लगाने के लिए जिला कलेक्ट्रेट पहुंचे, जहाँ उन्होंने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर तत्काल वैकल्पिक व्यवस्था और पट्टे की मांग की।
ग्राम सोनघाटी और कड़ाई के ये परिवार पिछले 25 वर्षों से भी अधिक समय से रेलवे की जमीन पर अपना जीवन-यापन कर रहे थे। अधिकांश परिवार खेतिहर मजदूर या दिहाड़ी श्रमिक हैं, जिनकी पूरी जमापूंजी और मेहनत इन टूटे हुए घरों में लगी थी। ग्रामीणों का आरोप है कि रेलवे के अमले ने सुबह बिना किसी पूर्व सूचना या वैध नोटिस के अचानक धमक दी। जब तक ग्रामीण कुछ समझ पाते और विरोध दर्ज कराते, तब तक उनके घरों को जमींदोज करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी। महिलाओं और बच्चों के चीखने-चिल्लाने, विरोध करने और विनती करने का भी अधिकारियों पर कोई असर नहीं हुआ।
प्रभावित ग्रामीण रामदयाल यादव ने रोते हुए बताया, "हम 25 साल से यहीं रह रहे हैं। किसी ने कभी नहीं कहा कि यह रेलवे की ज़मीन है। अगर कहा भी जाता तो हमें कम से कम एक महीने का समय दिया जाता ताकि हम कहीं और जगह देख सकें। लेकिन आज सुबह अचानक बुलडोजर आ गया। हमारे घर का सामान निकालने तक का समय नहीं मिला। बच्चों की किताबें, बर्तन, कपड़े सब मिट्टी में मिल गए हैं। हमने मजदूरी करके एक-एक रुपया जोड़कर यह छत बनाई थी, जो एक झटके में छीन ली गई।" एक अन्य महिला श्रीमती फुलिया बाई ने कहा, "मेरा पति बीमार है और हम मजदूरी करके खाते हैं। अब रात कहाँ काटेंगे? हमारे पास टेंट लगाने के लिए भी पैसे नहीं हैं। रेलवे ने हमें बेघर करके बीच सड़क पर छोड़ दिया है।"
ग्रामीणों ने कलेक्टर को सौंपे गए ज्ञापन में स्पष्ट रूप से बताया है कि रेलवे की यह कार्रवाई न केवल अमानवीय है, बल्कि यह रेलवे संपत्ति (अनधिकृत कब्जा) अधिनियम, 1966 और भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 के मूलभूत प्रावधानों का भी घोर उल्लंघन है। कानून के अनुसार, किसी भी विस्थापन या अतिक्रमण हटाने से पहले प्रभावित परिवारों को समुचित नोटिस देना, उनकी सुनवाई करना और उन्हें पुनर्वास का अवसर देना अनिवार्य होता है। ग्रामीणों का दावा है कि उन्हें न तो कोई नोटिस मिला और न ही उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया। यह सीधे-सीधे प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का हनन है।
कलेक्ट्रेट पहुंचे बेघर परिवारों की दयनीय हालत देखकर वहां मौजूद अन्य लोग भी भावुक हो गए। 60 परिवारों के लगभग 300 सदस्य, जिनमें छोटे बच्चे और बुजुर्ग शामिल थे, कलेक्ट्रेट परिसर में टेंट और मुआवजे की मांग करते हुए बैठ गए। उनका कहना है कि वे अब वापस नहीं जाएंगे, जब तक उन्हें रहने के लिए वैकल्पिक जमीन या व्यवस्था नहीं दी जाती। ग्रामीणों की प्रमुख मांगों में तत्काल ठंड से बचने के लिए अस्थायी आश्रय और भोजन की व्यवस्था करना, और सबसे महत्वपूर्ण, ग्राम पंचायत कड़ाई क्षेत्र में ही उन्हें स्थायी आवासीय पट्टा आवंटित करना शामिल है।
जिला प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए मामले को गंभीरता से लिया है। कलेक्टर ने रेलवे अधिकारियों से तत्काल इस कार्रवाई की विस्तृत रिपोर्ट तलब की है और यह जानने का प्रयास किया जा रहा है कि क्या नियमानुसार नोटिस जारी किए गए थे या नहीं। प्रशासन अब इन बेघर हुए परिवारों के लिए अस्थायी रैन बसेरों और सरकारी योजनाओं के तहत मदद पहुँचाने की योजना पर काम कर रहा है।
रेलवे के एक स्थानीय अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि रेलवे अपनी भविष्य की परियोजनाओं, संभवतः तीसरी लाइन बिछाने या किसी अन्य बुनियादी ढांचे के विस्तार के लिए अपनी जमीन खाली करा रहा था। उन्होंने कहा कि अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया एक लंबी कानूनी प्रक्रिया होती है और नियमानुसार नोटिस जारी किए गए होंगे, लेकिन ग्रामीण लंबे समय से उन्हें अनदेखा कर रहे थे। हालांकि, 60 परिवारों को बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के बेघर कर देने की कार्रवाई पर रेलवे का शीर्ष नेतृत्व फिलहाल चुप्पी साधे हुए है।
फिलहाल, सोनघाटी और कड़ाई के ये बेघर हुए परिवार कलेक्ट्रेट परिसर में ठंड और अनिश्चित भविष्य की चिंता में बैठे हैं। यह घटना एक बार फिर विकास परियोजनाओं और मानवीय संवेदनाओं के बीच की खाई को उजागर करती है, जहाँ नियमों की आड़ में गरीब और कमजोर तबके के लोगों का आशियाना छीन लिया जाता है। जिला प्रशासन पर अब यह दबाव है कि वह जल्द से जल्द इन बेघर हुए लोगों को मानवीय आधार पर न्याय दिलाए और उनके लिए छत की व्यवस्था करे।
Source : palpalindia
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प्रेषित समय :21:40:51 PM / Mon, Nov 10th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर



