वैवाहिक जीवन में सुख और सामंजस्य के लिए वास्तु के ये नियम अपनाएं, गलत दिशा और धातु का फर्नीचर बिगाड़ सकता संबंधों की ऊर्जा

वैवाहिक जीवन में सुख और सामंजस्य के लिए वास्तु के ये नियम अपनाएं, गलत दिशा और धातु का फर्नीचर बिगाड़ सकता संबंधों की ऊर्जा

प्रेषित समय :21:53:12 PM / Thu, Nov 13th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

वास्तु शास्त्र केवल घर बनाने की दिशा या कमरे की सजावट का विज्ञान नहीं, बल्कि यह मानव जीवन के मानसिक और भावनात्मक संतुलन का भी गहरा अध्ययन है। खास तौर पर वैवाहिक जीवन में वास्तु के सिद्धांतों का पालन करने से दांपत्य संबंधों में स्थिरता, प्रेम और सामंजस्य बना रहता है। विशेषज्ञों का मानना है कि शयनकक्ष यानी बेडरूम का वातावरण केवल नींद की गुणवत्ता पर नहीं, बल्कि पति-पत्नी के बीच के भावनात्मक संबंधों पर भी गहरा प्रभाव डालता है।

वास्तु के अनुसार, विवाहित जोड़ों का बेड हमेशा लकड़ी का होना चाहिए। लकड़ी का तत्व पृथ्वी से जुड़ा होता है, जो स्थिरता और भरोसे का प्रतीक है। इसके विपरीत लोहे या स्टील के बने बिस्तर घर में नेगेटिव एनर्जी यानी नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं। धातु से बनी वस्तुएं चुंबकीय तरंगों को प्रभावित करती हैं और कमरे के ऊर्जा प्रवाह को असंतुलित करती हैं। इस कारण दांपत्य जीवन में तनाव या अनावश्यक बहस जैसी स्थितियां पैदा हो सकती हैं।

इसके साथ ही एक और महत्वपूर्ण नियम है कि डबल बेड में दो अलग-अलग गद्दे नहीं रखने चाहिए। वास्तु विशेषज्ञों का कहना है कि अलग गद्दे रखने से दोहरी ऊर्जा बनती है, जिससे पति-पत्नी के विचारों और भावनाओं में दूरी बढ़ती है। इसके विपरीत एक ही गद्दे का उपयोग करने से रिश्तों में एकता और सामंजस्य बना रहता है। यह न केवल शारीरिक आराम देता है, बल्कि भावनात्मक जुड़ाव को भी मजबूत करता है।

वास्तु शास्त्र में शयनकक्ष की दिशा भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी गई है। पति-पत्नी का बेडरूम आदर्श रूप से दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। यह दिशा स्थिरता, दीर्घायु और विश्वास से जुड़ी मानी जाती है। इस दिशा में स्थित कमरा घर के सबसे परिपक्व और जिम्मेदार सदस्यों के लिए उपयुक्त होता है। वास्तु के अनुसार, इस दिशा में सोने से संबंधों में स्थायित्व आता है और अनावश्यक मतभेद कम होते हैं।

कमरे की दीवारों और सजावट पर भी विशेष ध्यान देने की सलाह दी जाती है। वास्तु शास्त्र के विशेषज्ञ बताते हैं कि बेडरूम की दीवारों पर लगाए गए चित्र और फोटो मनोवैज्ञानिक रूप से गहरा प्रभाव डालते हैं। युद्ध, हिंसा, दुख या उदासी दर्शाने वाली तस्वीरें व्यक्ति के अवचेतन मन में नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करती हैं। ऐसे चित्र तनाव, चिड़चिड़ापन और मतभेद बढ़ा सकते हैं। इसके स्थान पर प्रेम, शांति और खुशहाली दर्शाने वाली कलाकृतियां लगानी चाहिए।

विशेष रूप से पति-पत्नी की मुस्कुराती हुई फोटो दक्षिण दिशा की दीवार पर लगाना शुभ माना गया है। यह दिशा अग्नि तत्व से संबंधित है, जो ऊर्जा और उत्साह का प्रतीक है। इस दिशा में प्रेमपूर्ण तस्वीर लगाने से दांपत्य संबंधों में स्नेह और अपनापन बढ़ता है। साथ ही, यह संबंधों में स्थायी गर्मजोशी और सकारात्मकता लाती है।

वास्तु यह भी कहता है कि बेड के ठीक सामने आईना नहीं होना चाहिए। माना जाता है कि यह रात के समय ऊर्जा प्रवाह को बाधित करता है और दंपति के रिश्तों में अशांति ला सकता है। इसी तरह, बेड के नीचे भारी सामान या अनावश्यक वस्तुएं नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि यह अवचेतन स्तर पर मन में बोझ का अहसास कराता है। कमरा जितना खुला और सुसंगठित रहेगा, मन उतना ही शांत और स्थिर बना रहेगा।

फर्श और दीवारों के रंग भी शांति और प्रेम की भावना को प्रभावित करते हैं। वास्तु के अनुसार, हल्के गुलाबी, क्रीम या हल्के नीले रंग दंपति के बेडरूम के लिए सबसे शुभ माने जाते हैं। ये रंग मन को शांत करते हैं और वातावरण में कोमलता बनाए रखते हैं। वहीं, बहुत गहरे या तीखे रंग जैसे लाल या काला तनाव और अस्थिरता बढ़ा सकते हैं।

वास्तु विशेषज्ञों का मानना है कि जब पति-पत्नी अपने कमरे की ऊर्जा को सकारात्मक रखते हैं, तो उनका रिश्ता भी अधिक स्थायी और सुखद बनता है। लकड़ी का बेड, एक गद्दा, शांत रंग और शुभ चित्र—ये सब तत्व मिलकर जीवन में एक ऐसा वातावरण तैयार करते हैं, जिसमें प्रेम और विश्वास का प्रवाह सहज बना रहता है।

आज के आधुनिक समय में जहां जीवन की गति तेज है और रिश्तों में समय की कमी महसूस होती है, वहां वास्तु के ये सरल नियम न केवल घर के माहौल को संतुलित रखते हैं, बल्कि मानसिक शांति और पारिवारिक एकता को भी मजबूत करते हैं। इसलिए कहा गया है कि सही दिशा, सही ऊर्जा और सही वातावरण—यही वैवाहिक जीवन की सबसे बड़ी नींव हैं।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-