मिथिला की बेटी ने रचा नया इतिहास, 25 वर्ष की मैथिली ठाकुर बनीं बिहार की सबसे कम उम्र की विधायक

मिथिला की बेटी ने रचा नया इतिहास, 25 वर्ष की मैथिली ठाकुर बनीं बिहार की सबसे कम उम्र की विधायक

प्रेषित समय :21:57:59 PM / Fri, Nov 14th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

पटना. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में इतिहास रचने वाली सबसे बड़ी खबरों में से एक के रूप में उभरकर सामने आई है—अलीनगर सीट पर बीजेपी प्रत्याशी और युवा लोकगायिका मैथिली ठाकुर की प्रचंड जीत. जून में 25 वर्ष की हुईं मैथिली ठाकुर ने न केवल अपने राजनीतिक जीवन की पहली लड़ाई शानदार अंदाज़ में जीती, बल्कि बिहार की सबसे कम उम्र की विधायक बनने का रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया. यह जीत कई मायनों में प्रतीकात्मक है, क्योंकि 2008 में अलीनगर सीट के अस्तित्व में आने के बाद से बीजेपी यहाँ कभी जीत दर्ज नहीं कर सकी थी. ऐसे में एक युवा, सांस्कृतिक पहचान वाली नेता का लगभग 11,700 से अधिक मतों के निर्णायक अंतर से जीतना निश्चित ही राजनीतिक समीकरणों के बदलते संकेत देता है.

अलीनगर की मतगणना सुबह से ही रोचक मोड़ लेती दिखी. जब मतगणना के पहले ही दौर में मैथिली ठाकुर ने बढ़त बनानी शुरू की, तो बीजेपी खेमे में जोश का माहौल बन गया. शुरुआती राउंड में ही वे दो से तीन हज़ार मतों की दूरी पर आगे निकल गईं और यह बढ़त धीरे-धीरे बढ़ती चली गई. दोपहर के बाद भाजपा समर्थकों में उत्साह साफ़ झलकने लगा था. हालाँकि कुछ राउंड ऐसे भी आए, जब उनकी लीड कम होती दिखाई दी, लेकिन कुल रुझान लगातार उनके पक्ष में रहा. 27 राउंड की गिनती पूरी होने तक वे 84,915 मत हासिल कर चुकी थीं, जबकि उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी RJD उम्मीदवार बिनोद मिश्रा को 73,185 वोट मिले.

अलीनगर की राजनीति में हमेशा से करीबी मुकाबले की स्थिति देखने को मिलती रही है. 2020 के चुनाव में भी जीत का अंतर महज़ 3,101 वोटों का था, जब VIP के मिश्री लाल यादव ने सीट जीती थी. इस बार स्थिति बिल्कुल अलग दिशा में गई और भाजपा ने पहली बार अपनी उपस्थिति न केवल दर्ज कराई बल्कि दमदार तरीके से स्थापित भी की. दिलचस्प तथ्य यह रहा कि पूरे बिहार में दो चरणों में मतदान हुआ और रिकॉर्ड 67.13 प्रतिशत वोटिंग ने कई पुराने राजनीतिक पैटर्न को बदलते हुए दिखाया. इसी नए माहौल में युवा वोटरों का प्रभाव सबसे अधिक प्रभावशाली बनकर उभरा.

मैथिली ठाकुर की लोकप्रियता केवल राजनीतिक अभियान पर आधारित नहीं थी. उन्होंने पिछले कई वर्षों से अपनी लोकगायन, सांस्कृतिक गतिविधियों और सोशल मीडिया पर व्यापक उपस्थिति के कारण एक बड़ी फैन फॉलोइंग अर्जित की थी. उनकी आवाज़ मिथिला संस्कृति की पहचान बन चुकी है. उन्होंने मैथिली, हिंदी और भोजपुरी गीतों से देश भर में अपनी जगह बनाई. लोक संगीत को आधुनिक सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों तक पहुँचाने में वे एक परिचित चेहरा बन चुकी थीं, और इसी लोकप्रियता ने अलीनगर के युवा मतदाताओं को भी प्रभावित किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व द्वारा समय-समय पर उनकी प्रशंसा ने भी उनके पक्ष में व्यापक माहौल तैयार किया.

चुनाव से कुछ सप्ताह पहले ही बीजेपी में शामिल हुईं मैथिली ठाकुर ने पूरे क्षेत्र में व्यापक जनसंपर्क अभियान चलाया. उन्होंने अपनी सभाओं में स्थानीय मुद्दों, विकास योजनाओं और सांस्कृतिक पहचान को केंद्र में रखा. दूसरी ओर, RJD के उम्मीदवार बिनोद मिश्रा पारंपरिक वोटबैंक के सहारे मैदान में डटे रहे और शुरू से ही मुकाबले को कड़ा बनाने का प्रयास करते दिखे. RJD को उम्मीद थी कि पिछली बार वे दूसरे स्थान पर रहे थे, इसलिए इस बार सत्ता विरोधी माहौल का लाभ मिल सकता है, लेकिन विस्तृत रुझानों ने दिखाया कि क्षेत्र में माहौल स्पष्ट रूप से नए चेहरे और युवा नेतृत्व के समर्थन में बदल चुका था.

राज्यभर में चुनाव आयोग ने कड़े सुरक्षा इंतज़ामों के बीच मतगणना कराई. सुबह डाक मतपत्रों की गिनती शुरू हुई और देखते ही देखते रुझान सामने आने लगे. अलीनगर के 24 राउंडों की गिनती के साथ ही यह स्पष्ट हो चला था कि मुकाबला एक सामान्य प्रतिस्पर्धा से आगे बढ़कर एक ऐतिहासिक फैसला बनने की दिशा में जा रहा है. उच्च मतदान प्रतिशत ने भी यह संकेत दिया था कि युवा, महिलाएँ और पहली बार वोट डालने वाले मतदाता इस चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं. मैथिली ठाकुर की सांस्कृतिक पहचान और सोशल मीडिया प्रभाव ने इस समूह तक उनकी पहुँच को काफी मज़बूत किया.

दिनभर की मतगणना के दौरान कभी-कभी बढ़त कम होती दिखाई दी, खासकर जब 20वें राउंड में अंतर लगभग सात हज़ार पर सिमट गया, लेकिन अगले ही दौर में यह बढ़त फिर बढ़ गई. राउंड दर राउंड बढ़ते आंकड़ों ने यह स्पष्ट कर दिया कि अलीनगर की जनता इस बार एक नए नेतृत्व को सामने लाने का मन बना चुकी थी. जब अंतिम परिणाम घोषित हुआ, तो भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों में जमकर खुशी मनाई गई. अलीनगर के साथ-साथ राज्यभर में एनडीए की प्रचंड जीत ने भी इस उत्साह को और बढ़ाया.

मैथिली ठाकुर की जीत बिहार में राजनीति के बदलते रंगों का एक महत्वपूर्ण संकेत है. यह सिर्फ एक सीट का परिणाम नहीं बल्कि युवा नेतृत्व, सांस्कृतिक प्रभाव और सोशल मीडिया-प्रेरित नई पीढ़ी की सोच का प्रतिनिधित्व करता है. यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि बढ़ती तकनीक और संचार माध्यमों के साथ आज के युवा उम्मीदवार न केवल पारंपरिक राजनीति को चुनौती दे रहे हैं, बल्कि उसे नये आयाम भी दे रहे हैं.

अलीनगर की जनता ने एक नए नेतृत्व को न केवल स्वीकार किया बल्कि बड़े अंतर से विजयी बनाकर उनकी क्षमता पर विश्वास भी जताया. यह देखना दिलचस्प होगा कि मिथिला की इस युवा नेता की अगली राजनीतिक यात्रा किस दिशा में आगे बढ़ती है और वे अपने सांस्कृतिक प्रभाव को विकास और शासन की दिशा में कैसे परिवर्तित करती हैं. फिलहाल, वे बिहार की नई राजनीतिक पहचान बनकर उभरी हैं और यह जीत न केवल उनके लिए बल्कि युवा राजनीति के लिए भी ऐतिहासिक क्षण कही जा रही है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-