पटना. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने राज्य के राजनीतिक इतिहास में एक ऐसा मोड़ दर्ज कर दिया है, जिसने न सिर्फ गठबंधन समीकरण को नया आकार दिया है, बल्कि यह भी साफ कर दिया है कि मतदाताओं की प्राथमिकताएँ तेज़ी से बदल रही हैं. चुनाव परिणामों ने एनडीए को अभूतपूर्व बढ़त दिलाई है और इसी उत्साह के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी मुख्यालय पहुंचकर कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. उन्होंने इस विजय को जनता के भरोसे का प्रमाण बताते हुए कहा कि इस जीत के पीछे सबसे बड़ी ताकत बिहार की महिलाएं और युवा हैं, जिन्हें उन्होंने “नया MY फॉर्मूला” बताया.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बिहार ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि विकास और सुशासन ही उसकी पहली पसंद है. एनडीए को मिली 200 से अधिक सीटों की बढ़त ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आज का मतदाता जाति और तुष्टिकरण की राजनीति से ऊपर उठकर प्रदर्शन आधारित राजनीति को प्राथमिकता देता है. पीएम मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार सरकार के विकास मॉडल को लोगों ने लगातार स्वीकार किया है और ‘सुशासन की सरकार’ के प्रति उनका विश्वास एक बार फिर जनता के वोटों में झलक गया है. प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में विपक्ष पर तीखा हमला करते हुए कहा कि बिहार ने आज के फैसले से ना सिर्फ वंशवाद को अस्वीकार किया है, बल्कि तुष्टिकरण की राजनीति को भी साफ तौर पर नकार दिया है.
चुनाव नतीजों के शुरुआती घंटों से ही एनडीए ने ऐसी बढ़त बनानी शुरू कर दी थी, जिसने धीरे-धीरे एकतरफा रूप ले लिया. 12 घंटे की मतगणना के बाद तस्वीर पूरी तरह साफ हो गई. बीजेपी ने 76 सीटों पर जीत दर्ज की और 14 पर बढ़त हासिल की, जबकि नीतीश कुमार की जेडीयू ने 60 सीटें अपने नाम कीं. चिराग पासवान की एलजेपी-आरवी ने 14 सीटें जीतकर इस बढ़त में योगदान दिया. दूसरी ओर, महागठबंधन की स्थिति बेहद कमजोर रही. आरजेडी 26 सीटों तक सीमित दिखी, जबकि कांग्रेस केवल 5 सीटों पर ही बढ़त बनाए रख सकी. महागठबंधन की यह स्थिति न सिर्फ उसके चुनावी अभियान के केंद्रीय मुद्दों की विफलता को दर्शाती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि बिहार की जनता का मूड इस बार पूरी तरह अलग था.
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार ने साफ शब्दों में “जंगलराज को नो एंट्री” का संदेश दे दिया है. वहीं, गृहमंत्री अमित शाह ने बिहार चुनाव से पहले हुए SIR (शुद्ध मतदाता सूची) अभियान की सराहना करते हुए कहा कि मतदाताओं की साफ-सुथरी सूची लोकतंत्र की मजबूती की दिशा में एक निर्णायक कदम है. उन्होंने कहा कि देश अब इस दिशा में आगे बढ़ चुका है कि मतदाता सूची की शुद्धि अनिवार्य हो चुकी है और इस पर राजनीति नहीं हो सकती.
नीतीश-प्रधान नरेंद्र मोदी जुगलबंदी पर प्रधानमंत्री ने कहा कि यह गठबंधन सिर्फ राजनीतिक सुविधा का गठबंधन नहीं है, बल्कि विकास आधारित सोच और नीतियों पर आधारित साझेदारी है, जिसका लाभ लगातार बिहार के नागरिकों तक पहुंच रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि बिहार के वोटरों ने एनडीए के “ट्रैक रिकॉर्ड” पर भरोसा जताकर काम की राजनीति को आगे बढ़ाया है.
इसी बीच कई रोचक राजनीतिक घटनाएं भी सामने आईं. AIMIM ने सीमांचल क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करते हुए 5 सीटें जीतीं, जिनमें से अमौर, कोचाधामन, बैसी और जोकीहाट जैसी सीटों पर उनके उम्मीदवारों ने उल्लेखनीय बढ़त दर्ज की. ये नतीजे संकेत देते हैं कि सीमांचल में राजनीतिक ध्रुवीकरण और स्थानीय नेतृत्व का महत्व बढ़ रहा है.
एक और दिलचस्प नतीजा तब सामने आया जब शहाबुद्दीन के बेटे उसामा शहाब ने रघुनाथपुर सीट से जीत हासिल की. परिणाम ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी क्योंकि एनडीए ने बार-बार RJD के खिलाफ इस मुद्दे को उठाया था कि ऐसे उम्मीदवारों की मौजूदगी कानून-व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगाती है. उसामा ने 9,248 वोटों की बढ़त के साथ जीत दर्ज की, और यह परिणाम विपक्ष व सत्ता पक्ष दोनों के लिए चर्चा का विषय बना रहा.
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि इस चुनाव में एनडीए की जीत केवल संयोग नहीं, बल्कि एक व्यवस्थित रणनीति और पिछले वर्षों में किए गए कामों का मिश्रित परिणाम है. बेहतर बुनियादी ढांचा, ग्रामीण कनेक्टिविटी, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार ने मतदाताओं के बीच सकारात्मक माहौल बनाया. साथ ही, प्रधानमंत्री मोदी का चुनाव प्रचार अभियान और केंद्र-राज्य के संयुक्त प्रयासों ने एनडीए की चुनावी जमीन को मजबूत किया.
इस चुनाव में एक और महत्वपूर्ण पहलू यह रहा कि प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी को लेकर बनाए जा रहे चर्चाओं के बावजूद पार्टी किसी भी सीट पर प्रभावी पकड़ नहीं दिखा सकी. यह परिणाम दर्शाता है कि बिहार का राजनीतिक परिदृश्य अभी भी राष्ट्रीय और स्थापित क्षेत्रीय दलों के इर्द-गिर्द घूमता है, न कि नए प्रयोगों के.
अंततः, बिहार चुनाव 2025 के नतीजे एक स्पष्ट संदेश देते हैं—राज्य अब राजनीतिक स्थिरता और विकास को प्राथमिकता देता है. महिलाओं, युवाओं और पहली बार वोट डालने वाली पीढ़ी ने इस चुनाव को निर्णायक बनाया. प्रधानमंत्री मोदी का “न्यू MY फॉर्मूला—महिलाएँ और युवा” वास्तव में बिहार की नई राजनीतिक ताकत के रूप में उभरा है. यह चुनाव परिणाम न सिर्फ आज का राजनीतिक संकेत है, बल्कि बिहार के भविष्य की दिशा भी तय कर रहा है, जहाँ सुशासन, स्थिरता और विकास आने वाले वर्षों की सबसे बड़ी मांग होंगे.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

