-प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी, बॉलीवुड एस्ट्रो एडवाइजर (व्हाट्सएप- 8875863494)
* उत्पन्ना एकादशी - 15 नवम्बर 2025, शनिवार
* पारण का समय - 01:25 पीएम से 03:37 पीएम, 16 नवम्बर 2025
* पारण के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय - 09:09 एएम
* एकादशी तिथि प्रारम्भ - 15 नवम्बर 2025 को 12:49 एएम बजे
* एकादशी तिथि समाप्त - 16 नवम्बर 2025 को 02:37 एएम बजे
पारण, व्रत को पूरा करने को कहा जाता है. एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण करते हैं.
एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना जरूरी माना जाता है. एकादशी व्रत का पारण हरिवासर की अवधि में भी नहीं होता है.
हरिवासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई समयावधि होती है.
व्रत पूर्ण हो जाने के बाद पहले भोजन के लिए सबसे सही समय सवेरे होता है.
मध्याह्नकाल में पारण से बचें लेकिन सवेरे किसी कारण से पारण नहीं हो पाए तो मध्याह्न के बाद पारण करना चाहिए.
कभी-कभी एकादशी व्रत दो दिनों के लिए लगातार हो जाता है तब स्थानीय मान्यताओं के अनुसार पहली या दूजी एकादशी करनी चाहिए.
श्रीविष्णुभक्त ऐसे अवसर पर दोनों एकादशी करते हैं.
संन्यास और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक श्रीनारायणभक्तों को दूजी एकादशी का व्रत करना चाहिए.
यथासंभव व्रत नियमों का पालन करना चाहिए तथा किसी भी प्रकार की उलझन होने पर स्थानीय धर्मगुरु के निर्देशानुसार निर्णय करना चाहिए.
जानबूझ कर नियमों के उल्लंघन से ही व्रतभंग होता है इसलिए अनजाने में हुई गलती के लिए मन में आशंकाएं नहीं पालें और व्रत के अंत में पारण के समय जाने-अनजाने हुई गलतियों के लिए अपनी भाषा और भाव में श्रीविष्णुदेव से क्षमा प्रार्थना कर भोजन ग्रहण करें!
श्री त्रिपुरा सुंदरी दैनिक धर्म-कर्म पंचांग - 15 नवम्बर 2025
शक सम्वत 1947, विक्रम सम्वत 2082, अमान्त महीना कार्तिक, पूर्णिमान्त महीना मार्गशीर्ष, वार शनिवार, पक्ष कृष्ण, तिथि एकादशी - 02:37 एएम (16 नवम्बर 2025) तक, नक्षत्र उत्तराफाल्गुनी - 11:34 पीएम तक, योग विष्कम्भ - 06:47 एएम (16 नवम्बर 2025) तक, करण बव - 01:40 पीएम तक, द्वितीय करण बालव - 02:37 एएम (16 नवम्बर 2025) तक, सूर्य राशि तुला, चन्द्र राशि कन्या, राहुकाल 09:35 एएम से 10:57 एएम, अभिजित मुहूर्त 11:58 एएम से 12:42 पीएम
दैनिक चौघड़िया - 15 नवम्बर 2025
* दिन का चौघड़िया
काल - 06:51 से 08:13
शुभ - 08:13 से 09:35
रोग - 09:35 से 10:57
उद्वेग - 10:57 से 12:20
चर - 12:20 से 01:42
लाभ - 01:42 से 03:04
अमृत - 03:04 से 04:26
काल - 04:26 से 05:48
* रात्रि का चौघड़िया
लाभ - 05:48 से 07:26
उद्वेग - 07:26 से 09:04
शुभ - 09:04 से 10:42
अमृत - 10:42 से 12:20
चर - 12:20 से 01:58
रोग - 01:58 से 03:36
काल - 03:36 से 05:14
लाभ - 05:14 से 06:52
* चौघडिय़ा का उपयोग कोई नया कार्य शुरू करने के लिए शुभ समय देखने के लिए किया जाता है.
* दिन का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* रात का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्यास्त से अगले दिन सूर्योदय के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* अमृत, शुभ, लाभ और चर, इन चार चौघडिय़ाओं को अच्छा माना जाता है और शेष तीन चौघडिय़ाओं- रोग, काल और उद्वेग, को उपयुक्त नहीं माना जाता है.
* यहां दी जा रही जानकारियां संदर्भ हेतु हैं, विभिन्न पंचांगों, धर्मग्रथों से साभार ली गई है, स्थानीय समय, परंपराओं और धर्मगुरु-ज्योतिर्विद् के निर्देशानुसार इनका उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि यहां दिया जा रहा समय अलग-अलग शहरों में स्थानीय समय के सापेक्ष थोड़ा अलग हो सकता है.
* अपने ज्ञान के प्रदर्शन एवं दूसरे के ज्ञान की परीक्षा में समय व्यर्थ न गंवाएं क्योंकि ज्ञान अनंत है और जीवन का अंत है!
AajKaDin: 15 नवम्बर 2025, एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना जरूरी माना जाता है!
प्रेषित समय :21:41:10 PM / Fri, Nov 14th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

