बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर जबलपुर में जनजातीय गौरव का भव्य उद्घोष, प्रधानमंत्री ने वर्चुअली दिया 'धरती आबा' को नमन

बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर जबलपुर में जनजातीय गौरव का भव्य उद्घोष

प्रेषित समय :19:54:59 PM / Sat, Nov 15th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

जबलपुर. मध्य प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर आज जनजातीय गौरव दिवस के भव्य राज्य स्तरीय समारोह का साक्षी बनी, जिसने पूरे देश में जनजातीय समुदाय के योगदान और शौर्य की गाथा को पुनर्जीवित कर दिया. भगवान बिरसा मुंडा, जिन्हें प्रेम और सम्मान से 'धरती आबा' कहा जाता है, की 150वीं जयंती के समापन वर्ष के अवसर पर आयोजित इस मुख्य कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने किया, जहां उन्होंने जनजातीय नायकों के चित्रों पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए.

समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के नर्मदा जिले से वर्चुअल माध्यम से जुड़े और देश को संबोधित किया. प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में 'धरती आबा' बिरसा मुंडा के जीवन, ब्रिटिश उपनिवेशवाद और सामंती शोषण के विरुद्ध उनके 'उलगुलान' (महाविरोध) आंदोलन की चर्चा करते हुए कहा कि जनजातीय नायकों के त्याग को एक समय कुछ परिवारों की राजनीति के लिए नकार दिया गया था, लेकिन आज देश उनके योगदान को पूरे गौरव के साथ स्वीकार कर रहा है. उन्होंने सिकल सेल एनीमिया जैसी बीमारियों से निपटने और जनजातीय ज्ञान व विरासत को बढ़ावा देने के लिए कई नई डिजिटल परियोजनाओं का भी वर्चुअली शुभारंभ किया.

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने उद्बोधन में कहा कि जनजातीय समाज हमारी मुकुट मणि है और राज्य सरकार उनके अधिकारों और सम्मान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने घोषणा की कि राज्य के जनजातीय बहुल क्षेत्रों में पेसा कानून को प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा ताकि ग्राम सभाओं को सशक्त बनाया जा सके. कार्यक्रम स्थल पर जनजातीय गौरव को दर्शाने वाली एक विशाल प्रदर्शनी लगाई गई, जिसमें गोंडवाना साम्राज्य की वीरांगना रानी दुर्गावतीशंकर शाहरघुनाथ शाह और टंट्या भील जैसे महानायकों के जीवन और संघर्ष को चित्रों तथा कलाकृतियों के माध्यम से दर्शाया गया.

इस अवसर पर, हाल ही में महिला क्रिकेट विश्वकप में शानदार प्रदर्शन करने वाली छतरपुर की तेज गेंदबाज क्रांति गौड़ को मुख्यमंत्री द्वारा एक करोड़ रुपये का चेक सौंपकर सम्मानित किया गया, जिसने पूरे जनजातीय समुदाय में उत्साह भर दिया. उनके अलावा, पद्मश्री अर्जुन सिंह घुर्वे और फुलझारिया बाई समेत कई अन्य जनजातीय प्रतिभाओं और विक्रम अवॉर्डी को भी सम्मानित किया गया. समारोह में विभिन्न जिलों से निकली जनजातीय गौरव रथ यात्राओं का समागम हुआ, जिसने एकता और गौरव के संदेश को और मजबूत किया. यह आयोजन, जो जनजातीय गौरव वर्ष का हिस्सा है, केवल एक जयंती समारोह नहीं था, बल्कि देश के पांच आदिवासी बहुल राज्यों (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड और महाराष्ट्र) के जनजातीय समाज को एक सूत्र में पिरोने की एक रणनीतिक और भावनात्मक पहल भी रही.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-