कविता / मुनीष भाटिया

कविता / मुनीष भाटिया

प्रेषित समय :22:46:09 PM / Sun, Nov 16th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

आजकल 

- मुनीष भाटिया 

आजकल हर रिश्ता भी

मोल पर नज़र करता है,

रोते हुए इंसान पर

ताली बजा देते हैं लोग।

हर कोई दुखी है यहाँ

किसी न किसी बात से,

कोई अपने ग़म से,

कोई दूसरे की खुशी से।

सहानुभूति के दो बोल भी

उम्रभर याद रहते हैं,

जैसे मरुस्थल को छू ले

पहली बूंद बारिश की।

मतलब के लिए अब

बोल भी मीठे हो जाते हैं,

हर मुस्कान के पीछे

कोई हिसाब छिपा होता है।

जो दिल से निकले

वही दुआ असर करती है,

वरना हर रिश्ते में अब

सौदे की गंध आती है।

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