जबलपुर. प्रदेश की संस्कारधानी के रूप में विख्यात जबलपुर शहर की हवा अब चिंताजनक रूप से प्रदूषित हो गई है। राजधानी भोपाल और इंदौर के नक्शेकदम पर चलते हुए, जबलपुर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) भी आज 'खराब' (Poor) श्रेणी में दर्ज किया गया है, जिसने नागरिकों और पर्यावरण विशेषज्ञों के माथे पर बल डाल दिए हैं।
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और स्थानीय निगरानी एजेंसियों के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 16 नवंबर 2025 को जबलपुर के प्रमुख निगरानी स्टेशनों पर AQI ने 201 से 300 के बीच की रीडिंग छू ली है, जिसे 'खराब' माना जाता है। इस स्तर की हवा में लंबे समय तक सांस लेना फेफड़ों की बीमारियों, अस्थमा और हृदय संबंधी समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है। यहां तक कि स्वस्थ व्यक्तियों में भी यह स्थिति सांस लेने में कठिनाई, गले में जलन और आंखों में पानी आने जैसी समस्याएं पैदा कर सकती है।
जबलपुर में प्रदूषण के अचानक इस खतरनाक स्तर पर पहुंचने के पीछे कई कारक जिम्मेदार माने जा रहे हैं। शहर में चल रहे बड़े निर्माण कार्य , सड़कों का चौड़ीकरण और अधूरे विकास कार्यों के कारण उड़ने वाली भारी मात्रा में धूल को इसका सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है। सड़कों पर उड़ती धूल के कण (Particulate Matter - PM2.5 और PM10) सीधे हवा में मिलकर उसकी गुणवत्ता को तेज़ी से गिरा रहे हैं।
इसके अलावा, ठंड के मौसम की शुरुआत भी एक महत्वपूर्ण कारक है। तापमान में गिरावट के साथ, हवा की गति धीमी हो जाती है, जिससे प्रदूषक कण जमीन के करीब ही फंसे रह जाते हैं और ऊपर नहीं उठ पाते। इसके परिणामस्वरूप, प्रदूषण का एक घना आवरण शहर के ऊपर जमा हो जाता है, जो सांस लेने वाली हवा को दूषित करता है। वाहनों से निकलने वाला धुआं और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में पराली जलाने की छिटपुट घटनाएं भी इसमें योगदान दे रही हैं।
शहर के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है। उन्होंने खासकर बुजुर्गों, बच्चों और पहले से ही सांस की बीमारी से ग्रस्त मरीजों को गैर-जरूरी यात्रा से बचने की और घर के अंदर रहने की सलाह दी है। डॉक्टरों का कहना है कि AQI के इस स्तर पर मास्क का उपयोग करना अत्यंत आवश्यक है, खासकर जब आप बाहर निकल रहे हों। उन्होंने पानी का सेवन बढ़ाने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने वाले आहार लेने की भी सलाह दी है।
प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती
जबलपुर को पर्यावरण की दृष्टि से स्वच्छ और सुंदर बनाने की चुनौती अब स्थानीय प्रशासन के सामने खड़ी हो गई है। वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए तत्काल कठोर उपायों की आवश्यकता है। इसमें निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण के लिए पानी का छिड़काव अनिवार्य करना, प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर सख्त कार्रवाई करना और सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को बढ़ावा देना शामिल हो सकता है।
जबलपुर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) की स्थिति पिछले एक सप्ताह यानी 9 नवंबर से 16 नवंबर 2025 के बीच संतोषजनक श्रेणी से ऊपर उठकर लगातार 'खराब' श्रेणी के इर्द-गिर्द घूमती रही है, जिसने शहर में स्वास्थ्य चिंताएं बढ़ा दी हैं। इस पूरे सप्ताह, शहर औसतन मध्यम से खराब वायु गुणवत्ता में फँसा रहा है, जो यह दर्शाता है कि सांस और हृदय रोगों से ग्रस्त लोगों के लिए लगातार जोखिम बना हुआ है।
निर्माण धूल सबसे बड़ी समस्या
जबलपुर में मेट्रोपॉलिटन और आधारभूत संरचनाओं के विकास के लिए बड़े पैमाने पर परियोजनाएं चल रही हैं। सड़कों का निर्माण, फ्लाईओवर का काम और नई आवासीय परियोजनाओं के कारण भारी मात्रा में धूल (PM10 और PM2.5) पैदा हो रही है। नागरिकों का कहना है कि प्रशासन द्वारा इन स्थलों पर पानी का छिड़काव या ग्रीन नेट लगाने जैसे नियमों का सख्ती से पालन नहीं कराया जा रहा है। उड़ने वाली यह धूल सीधे AQI को 'खराब' श्रेणी की ओर धकेल रही है।
जैसे-जैसे नवंबर का महीना बीत रहा है, जबलपुर में ठंड बढ़ रही है। ठंडे मौसम में, हवा भारी हो जाती है और प्रदूषक तत्व (जैसे वाहन का धुआँ और औद्योगिक उत्सर्जन) जमीन के करीब ही रह जाते हैं। यह स्थिति एक तरह का 'प्रदूषण लॉकडाउन' पैदा करती है, जिससे प्रदूषित हवा साँस लेने वाले स्तर पर बनी रहती है। रात और सुबह के समय धुंध के साथ मिलकर यह प्रदूषण की परत शहर को घेर लेती है, जिससे सुबह-शाम बाहर निकलना खतरनाक हो जाता है।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

