तकनीक ने दी कोहरे को मात जबलपुर मंडल की 101 ट्रेनों कोहरे में भी समय पर चलेंगी , जीपीएस डिवाइस से मिली बड़ी राहत

तकनीक ने दी कोहरे को मात जबलपुर मंडल की 101 ट्रेनों कोहरे में भी समय पर चलेंगी , जीपीएस डिवाइस से मिली बड़ी राहत

प्रेषित समय :20:29:20 PM / Mon, Nov 17th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

जबलपुर . उत्तर भारत के रेल मार्गों पर हर साल सर्दियों में कहर बरपाने वाले घने कोहरे की चुनौती से निपटने के लिए पश्चिम मध्य रेलवे (WCR) जोन, जिसका मुख्यालय जबलपुर में है, ने इस बार तकनीक का सहारा लिया है. रेलवे ने घोषणा की है कि जबलपुर मंडल के अंतर्गत आने वाले महत्वपूर्ण मार्गों और जंक्शनों, विशेषकर इटारसी, कटनी और सतना जैसे व्यस्त रूटों पर चलने वाली 101 ट्रेनों को अब कोहरे के कारण होने वाली भीषण देरी का सामना नहीं करना पड़ेगा. रेलवे ने इन ट्रेनों में अत्याधुनिक जीपीएस-आधारित 'फॉग सेफ डिवाइस' (Fog Safe Device) का उपयोग शुरू कर दिया है. यह क्रांतिकारी पहल न केवल यात्रियों को समय पर उनके गंतव्य तक पहुँचाने का वादा करती है, बल्कि घने कोहरे में ट्रेन परिचालन की सुरक्षा को भी कई गुना बढ़ा देगी.

रेलवे प्रशासन ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब उत्तर भारत के कई हिस्सों में नवंबर के मध्य में ही कोहरे की दस्तक के कारण लंबी दूरी की ट्रेनें पाँच से आठ घंटे तक विलंब से चल रही हैं, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी हो रही है और स्टेशनों पर हंगामे की स्थिति बन रही है. जबलपुर मंडल के अंतर्गत आने वाले रूट मध्य और दक्षिण भारत को उत्तर भारत से जोड़ते हैं, इसलिए कोहरे के कारण इन रूटों पर होने वाली देरी का असर पूरे देश के रेल नेटवर्क पर पड़ता है.

फॉग सेफ डिवाइस, जिसे लोको पायलट के केबिन में लगाया जाता है, एक जीपीएस-संचालित उपकरण है. यह डिवाइस लोको पायलट को घने कोहरे या कम दृश्यता की स्थिति में भी आगे आने वाले महत्वपूर्ण स्थानों और सिग्नल की सटीक जानकारी देती है. पारंपरिक रूप से, कोहरे के दौरान लोको पायलटों को केवल अपनी आँखों और ट्रैक के किनारे लगे संकेतों पर निर्भर रहना पड़ता था, जिससे सुरक्षा कारणों से ट्रेनों की गति को 15 से 20 किलोमीटर प्रति घंटा तक कम करना पड़ता था. गति में यह कटौती ही ट्रेनों में घंटों की देरी का मुख्य कारण बनती थी.

पश्चिम मध्य रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस तकनीक की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया, "फॉग सेफ डिवाइस लोको पायलटों को यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि अगला रेलवे क्रॉसिंग, स्टेशन या सबसे महत्वपूर्ण, सिग्नल कितनी दूरी पर है. यह डिवाइस पटरियों पर ट्रेन की स्थिति और सिग्नलिंग डेटा का वास्तविक समय (रियल टाइम) में मिलान करता है. इससे उन्हें आत्मविश्वास मिलता है कि वे घने कोहरे में भी सुरक्षित रूप से अपनी गति को बनाए रख सकते हैं, जिससे अनावश्यक विलंब से बचा जा सकता है." उन्होंने आगे कहा कि जबलपुर मंडल की 101 ट्रेनों को इस तकनीक से लैस किया जा चुका है और यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि लोको पायलटों को इसका समुचित प्रशिक्षण दिया जाए.

इस तकनीक के उपयोग से सीधे तौर पर यात्रियों को बड़ी राहत मिलेगी, खासकर उन यात्रियों को जो लंबी दूरी की यात्रा करते हैं. कोहरे के कारण ट्रेनों में अक्सर बारह-बारह घंटे की देरी हो जाती थी, जिसके कारण यात्रियों की आगे की यात्राएं, बच्चों की परीक्षाएँ या व्यापारिक मीटिंग्स प्रभावित होती थीं. अब समय पर ट्रेनों के चलने से यात्रियों का समय बचेगा और स्टेशन पर होने वाले हंगामे और अव्यवस्था से भी निजात मिलेगी. सोशल मीडिया पर भी यात्रियों ने इस कदम का स्वागत किया है और #FOGSafeDevice जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं.

यह कदम भारतीय रेलवे द्वारा सुरक्षा और समयबद्धता सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा तकनीकी सुधार है. केवल गति बनाए रखने के लिए नहीं, बल्कि इस डिवाइस का उपयोग सुरक्षा के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. यह सिग्नल को ओवरशूट करने या क्रॉसिंग पर गलत आकलन से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने में एक ढाल का काम करता है, जो घने कोहरे में सबसे बड़ा खतरा होता है.

रेलवे ने स्पष्ट किया है कि यह तकनीक केवल जबलपुर मंडल तक ही सीमित नहीं रहेगी, बल्कि पश्चिम मध्य रेलवे जोन के सभी प्रमुख रूटों पर इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है. अधिकारियों का मानना है कि 'फॉग सेफ डिवाइस' आने वाले वर्षों में भारतीय रेलवे के शीतकालीन परिचालन का एक अभिन्न अंग बन जाएगा, जिससे देश के लाखों यात्रियों की यात्रा अनुभव में गुणात्मक सुधार आएगा. यह पहल दिखाती है कि कैसे तकनीक और नवाचार का उपयोग करके प्राकृतिक बाधाओं को सफलतापूर्वक पार किया जा सकता है और सार्वजनिक सेवाओं को बेहतर बनाया जा सकता है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-