नई दिल्ली. राजधानी में 14 नवंबर को लाल किले के पास हुए कार बम धमाके के बाद केंद्र सरकार ने न सिर्फ टीवी चैनलों बल्कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और कंटेंट क्रिएटर्स को भी कड़े निर्देश जारी किए हैं। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने मंगलवार को एडवाइजरी जारी कर कहा कि किसी भी आरोपी या संदिग्ध के ऐसे वीडियो, बयान या कंटेंट को प्रसारित न किया जाए जिनमें हिंसा या आतंकवादी कृत्यों को सही ठहराया गया हो। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि टीवी प्रसारण हो या सोशल मीडिया फ़ीड—ऐसा कोई भी कंटेंट राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।
सरकार ने यह एडवाइजरी तब जारी की जब कुछ टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पेजों पर उमर उन नबी का एक कथित पुराना, अनडेडेटेड वीडियो शेयर किया गया। वही उमर उन नबी, जिस पर आरोप है कि 10 नवंबर को लाल किले के पास विस्फोटक से भरी कार में वही मौजूद था। इस वीडियो में संदिग्ध को कथित रूप से हिंसा को जायज़ ठहराते दिखाया गया, जिसके बाद सरकार ने इसे “अत्यंत संवेदनशील और खतरनाक” मानते हुए तत्काल हस्तक्षेप किया।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कहा कि बिना सत्यापन के ऐसे वीडियो को टीवी स्क्रीन या सोशल मीडिया पर चलाना न सिर्फ मीडिया दिशानिर्देशों का उल्लंघन है, बल्कि यह चल रही जांच को भ्रमित कर सकता है, प्रभावित कर सकता है और अपराधियों के नैरेटिव को मजबूती दे सकता है। मंत्रालय ने चेतावनी दी कि “ऐसा प्रसारण आतंकवादी नेटवर्क्स के लिए प्रोपेगेंडा उपकरण बन सकता है,” इसलिए इसे तुरंत रोका जाए।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए जारी भाग में सरकार ने कहा कि Meta, X, YouTube, Instagram, Telegram और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को सक्रिय रूप से ऐसे वीडियो और पोस्ट हटाने चाहिए जो आतंकवाद को महिमामंडित करें, हिंसा को उचित ठहराएँ या आरोपी का पक्ष दिखाते हुए समाज में तनाव बढ़ाएँ। सरकार ने प्लेटफॉर्म्स से कहा है कि “रियल-टाइम मॉडरेशन बढ़ाया जाए, गलत सूचना हटाई जाए और सुरक्षा एजेंसियों को आवश्यक डेटा सहयोग प्राथमिकता दी जाए।”
सरकार के मुताबिक सोशल मीडिया पर फैल रहा गलत या भ्रामक कंटेंट टीवी चैनलों से कहीं अधिक तेज़ी से प्रभाव डालता है और लाखों लोगों तक मिनटों में पहुँच जाता है। कई उपयोगकर्ताओं ने संदिग्ध वीडियो को क्लिप बनाकर, रील के रूप में या स्क्रीन रिकॉर्डिंग के जरिए प्लेटफॉर्म्स पर अपलोड किया, जिससे गलत सूचना का प्रसार और बढ़ गया। मंत्रालय ने कहा कि सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर, पेज एडमिन और कंटेंट क्रिएटर्स पर भी जिम्मेदारी है कि वे सनसनी और लाइक्स के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी झूठी या खतरनाक सामग्री साझा न करें।
एडवाइजरी में कहा गया कि “कानून स्पष्ट है—कोई भी सामग्री जो आतंकवाद, हिंसा, राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों को प्रमोट करे या अपराधियों की विचारधारा को मंच दे, वह प्रतिबंधित है।” मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि उल्लंघन की स्थिति में न केवल टीवी चैनलों बल्कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और कंटेंट अपलोड करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
धमाके के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने लाल किले और आसपास के इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। जांच एजेंसियाँ कार में लगे विस्फोटक की प्रकृति, कार की उत्पत्ति, आरोपी के नेटवर्क और डिजिटल गतिविधियों की गहन जांच कर रही हैं। अधिकारियों का कहना है कि किसी भी संदिग्ध वीडियो या बयान का प्रसार जांच की दिशा को भ्रमित कर सकता है और यह आतंकवादी तंत्र की रणनीति के अनुकूल भी हो सकता है।
सरकार के निर्देशों के बाद मीडिया संगठनों और सोशल मीडिया कंपनियों ने आश्वासन दिया है कि वे एडवाइजरी के अनुरूप कार्रवाई करेंगे। कुछ चैनलों ने संबंधित वीडियो हटा दिए, जबकि कई प्लेटफॉर्म्स ने कंटेंट मॉडरेशन बढ़ा दिया है। विशेषज्ञों ने भी चेताया है कि “डिजिटल युग में गलत सूचना किसी भी धमाके या आतंकी घटना से होने वाले नुकसान को कई गुना बढ़ा सकती है,” इसलिए जिम्मेदार मीडिया और जिम्मेदार डिजिटल नागरिकता दोनों अनिवार्य हैं।
इस घटनाक्रम के बीच यह बात एक बार फिर उभरकर सामने आई है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था से जुड़े मामलों में मीडिया और सोशल मीडिया दोनों की भूमिका बेहद संवेदनशील है। लाल किले के पास हुआ यह धमाका न सिर्फ सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती है, बल्कि यह भी याद दिलाता है कि सूचना के युग में एक वायरल वीडियो भी कितना खतरनाक सिद्ध हो सकता है।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

