जबलपुर में संदिग्ध भ्रूण परीक्षण पर प्रशासन की सख्ती और बढ़ी, नोटिस के जवाब का इंतजार जारी

जबलपुर में संदिग्ध भ्रूण परीक्षण पर प्रशासन की सख्ती और बढ़ी

प्रेषित समय :20:18:55 PM / Tue, Nov 18th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

जबलपुर. जिले में भ्रूण परीक्षण को लेकर बीते दिनों सामने आए संदिग्ध मामले ने प्रशासन को सतर्क कर दिया है. जिला स्वास्थ्य विभाग ने न सिर्फ जांच की रफ्तार बढ़ा दी है बल्कि संबंधित सेंटर को जारी किए गए नोटिस के जवाब का भी इंतजार किया जा रहा है. सोमवार शाम करीब 5 बजे सीएमएचओ डॉ. संजय मिश्रा ने मीडिया से बातचीत में पूरे मामले की जानकारी साझा करते हुए बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने हाल ही में जिस सोनोग्राफी सेंटर पर छापा मारा था, उसकी जांच में कई गंभीर अनियमितताएँ सामने आई हैं. जांच टीम को संदेह इसलिए हुआ क्योंकि जिस सेंटर में गर्भवती महिलाओं की सोनोग्राफी की गई थी, उनमें से अधिकांश पहले से दो या तीन पुत्रियों की माताएँ हैं. इसके अलावा यह तथ्य भी सामने आया कि लगभग सभी मरीजों को एक ही निजी डॉक्टर द्वारा इस सेंटर में रेफर किया गया था. इन दोनों संकेतों ने स्वास्थ्य विभाग के शक को गहरा कर दिया कि संभवतः यहां अवैध रूप से भ्रूण परीक्षण किया जा रहा था.

पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत भ्रूण परीक्षण एक गंभीर अपराध है और सरकार ने इसे रोकने के लिए सख्त कानून और निगरानी व्यवस्था लागू की है. ऐसे में जब किसी सेंटर पर ऐसे पैटर्न दिखते हैं जहाँ पुत्रियों वाली महिलाओं को विशेष तौर पर किसी एक ही डॉक्टर द्वारा एक ही सेंटर भेजा जा रहा हो, तो यह कानूनन गंभीर संकेत माना जाता है. स्वास्थ्य विभाग की टीम ने अपनी प्रारंभिक जांच में दस्तावेजों की गहराई से पड़ताल की. यह भी पता चला कि जिन मरीजों की सोनोग्राफी की गई थी, उनके पंजीकरण में कई जगह गड़बड़ियाँ थीं. कुछ जगह फॉर्म ‘एफ’ अधूरे भरे गए थे, तो कुछ जगह मशीन के रिकॉर्ड मेल नहीं खा रहे थे. यह सब मिलकर विभाग के संदेह को और मजबूत करता है कि सेंटर में कुछ ऐसा हो सकता है जो कानून के दायरे में नहीं आता.

सीएमएचओ डॉ. मिश्रा ने बताया कि छापेमारी के बाद सेंटर संचालक को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया गया है. विभाग ने उनसे यह स्पष्ट करने को कहा है कि आखिर एक ही डॉक्टर ने इतनी बड़ी संख्या में मरीजों को उनके सेंटर में क्यों भेजा. विभाग यह भी जानना चाहता है कि सोनोग्राफी के दौरान चिकित्सकीय मानकों का पालन किस तरह किया गया और फॉर्म ‘एफ’ में पाई गई अनियमितताओं को किस आधार पर नजरअंदाज किया गया. फिलहाल नोटिस का जवाब आने तक विभाग ने सेंटर की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखने के निर्देश दिए हैं. डॉ. मिश्रा ने कहा कि यदि जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया, तो पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी और सेंटर को सील भी किया जा सकता है.

जबलपुर जिला प्रशासन पहले से ही ऐसे मामलों पर विशेष नजर रखे हुए है, क्योंकि प्रदेश में कुछ महीनों से लगातार यह शिकायतें आ रही थीं कि बेटियों की संख्या घटाने वाली कुप्रथाएं आज भी कई क्षेत्रों में जीवित हैं. राज्य सरकार भी इस विषय को लेकर संवेदनशील है. महिला एवं बाल विकास विभाग और स्वास्थ्य विभाग मिलकर ‘बेटी बचाओ’ अभियान को मजबूती से आगे बढ़ा रहे हैं, लेकिन संदिग्ध सेंटरों की बढ़ती संख्या प्रशासन के लिए चुनौती बनती जा रही है. जबलपुर में सामने आया यह नया मामला भी प्रशासन के लिए इसलिए चिंता का विषय है क्योंकि यह मामला एक ऐसे क्षेत्र से जुड़ा है जहां कुछ समय से जनसंख्या अनुपात में असमानता दर्ज की जा रही थी. इससे पहले भी जिले में दो छोटे क्लीनिकों पर कार्रवाई की गई थी, जहाँ बिना उचित अनुमति के सोनोग्राफी और प्रसूति सेवाओं का संचालन किया जा रहा था. इन घटनाओं ने जिले की हेल्थ मॉनिटरिंग टीम को पहले से अधिक सतर्क रहने पर मजबूर किया है.

स्वास्थ्य विभाग की जांच टीम, जिसमें जिला कार्यक्रम अधिकारी, रेडियोलॉजी विशेषज्ञ, महिला स्वास्थ्य अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी शामिल थे, ने छापेमारी के दौरान मशीन के लॉग, वीडियो रिकॉर्डिंग, मरीजों की फाइलें और रजिस्टरों की जाँच की. सूत्रों के अनुसार, कुछ फाइलें ऐसी मिलीं जो दिनांक से छेड़छाड़ किये जाने की ओर इशारा करती हैं, जबकि कुछ मरीजों के हस्ताक्षर भी संदिग्ध पाए गए. विभाग इन दस्तावेजों की फॉरेंसिक जांच कराने पर भी विचार कर रहा है. इस मामले में जिस डॉक्टर का नाम सामने आया है, वह शहर के एक निजी क्लिनिक में अपनी प्रैक्टिस चलाते हैं. हालांकि डॉक्टर ने अब तक इस मामले पर कोई बयान नहीं दिया है, लेकिन उनके क्लिनिक के आसपास सोमवार को हलचल तेज थी और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी उनसे संपर्क करने की कोशिश में जुटे रहे. यदि डॉक्टर का रोल साबित हुआ, तो उनके खिलाफ भी लाइसेंस निलंबन से लेकर कानूनी कार्रवाई तक का प्रावधान है.

जबलपुर की कई सामाजिक संस्थाओं और महिला संगठनों ने इस कार्रवाई का स्वागत किया है. एक्टिविस्ट्स का कहना है कि प्रशासन की इस सक्रियता से बेटियों के प्रति समाज का नजरिया बदलेगा और चिकित्सकीय संस्थानों में बैठी उस मानसिकता पर भी चोट होगी जो भ्रूण परीक्षण को पैसे कमाने का माध्यम समझती है. शहर की महिला संगठनों ने मांग की है कि ऐसे मामलों में प्रशासन को और कठोर होना चाहिए और दोषियों को तत्काल गिरफ्तार किया जाना चाहिए. वहीं कुछ नागरिकों ने यह भी कहा कि कई बार भ्रूण परीक्षण का लालच परिवारों के स्तर से भी आता है, जिसे रोकने के लिए जनजागरूकता अभियान को और तेज किया जाना जरूरी है.

उधर, जिले के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों ने भी स्वास्थ्य विभाग को पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं. जिला कलेक्टर ने कहा है कि भ्रूण परीक्षण जैसी सामाजिक बुराई को किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषी पाए जाने पर कठोरतम कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले दिनों में जिले के सभी सोनोग्राफी सेंटरों की आकस्मिक जांच की जाएगी ताकि भविष्य में कोई भी सेंटर कानून से खिलवाड़ न कर सके.

जबलपुर में कानून व्यवस्था और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े मामलों की निगरानी पहले से ही कड़ी है, लेकिन इस घटना ने प्रशासन को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि समाज में कहीं न कहीं अभी भी बेटा-बेटी के भेद की मानसिकता जड़ें जमाए बैठी है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अब तक मिले सबूतों और दस्तावेजों की तहकीकात में जुटे हुए हैं. आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सेंटर संचालक द्वारा दिया जाने वाला जवाब कितना ठोस और संतोषजनक होता है. यदि जवाब संतोषजनक नहीं मिला, तो जबलपुर जिला प्रशासन बड़ा कदम उठाने में देर नहीं करेगा.

फिलहाल, जिले में भ्रूण परीक्षण के इस संदिग्ध मामले ने समाज, प्रशासन और स्वास्थ्य व्यवस्था को एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि कानून का डर और सामाजिक जागरूकता दोनों को एक साथ बढ़ाना ही इस समस्या का स्थायी समाधान है. नोटिस के जवाब और प्रशासनिक निर्णय का इंतजार अब जिले का सबसे बड़ा सवाल बन गया है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-