जबलपुर. देवउठनी एकादशी के बाद से शुरू हुए शादियों के महाकुंभ के बीच आज सराफा बाजार से आई खबरों ने उन हजारों परिवारों की नींद उड़ा दी है जिनके घरों में शहनाई बजने की तैयारियां चल रही हैं. संस्कारधानी जबलपुर सहित पूरे प्रदेश के सराफा बाजारों में बुधवार को सोने और चांदी की कीमतों में एक बार फिर जबरदस्त उछाल दर्ज किया गया है. 19 नवंबर की सुबह जब सराफा बाजार खुला तो दरों में आई तेजी ने ग्राहकों के साथ-साथ व्यापारियों को भी चौंका दिया. पीली धातु यानी सोने की चमक जहां और तीखी हो गई है वहीं चांदी की खनक भी अब आम आदमी की पहुंच से दूर होती दिखाई दे रही है. विवाह के इस पीक सीजन में जब खरीदारी अपने चरम पर होनी चाहिए थी, तब आसमान छूते दामों ने बाजार के समीकरण और मध्यम वर्गीय परिवारों का बजट पूरी तरह से बिगाड़ कर रख दिया है. आज बाजार में ग्राहकों की भीड़ तो दिखी लेकिन उनके चेहरों पर उत्साह की जगह चिंता की लकीरें साफ नजर आ रही थीं, क्योंकि जो बजट उन्होंने महीनों पहले तय किया था, वह अब धरा का धरा रह गया है.
बाजार के जानकारों के अनुसार अंतरराष्ट्रीय बाजार में चल रही उथल-पुथल और डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिति में आए बदलाव का सीधा असर घरेलू सराफा बाजार पर देखने को मिल रहा है. लेकिन अर्थशास्त्र के इन भारी-भरकम तर्कों से दूर एक पिता के लिए यह स्थिति किसी सदमे से कम नहीं है जो अपनी बेटी की शादी के लिए पाई-पाई जोड़कर जेवर बनवाने की आस लगाए बैठा था. आज सराफा दुकानों पर आए कई ग्राहक ऐसे थे जिन्हें अपनी खरीदारी की लिस्ट में कटौती करनी पड़ी. स्थिति यह है कि कल तक जो सोने का भाव स्थिर नजर आ रहा था, आज उसमें अचानक हुई वृद्धि ने लोगों के गणित को उलझा दिया है. केवल सोना ही नहीं, बल्कि चांदी के बर्तनों और जेवरों की कीमतों में भी आग लगी हुई है. शादी-ब्याह में शगुन के तौर पर चांदी के सिक्के या बर्तन देने की पुरानी परंपरा रही है, लेकिन मौजूदा भाव को देखते हुए लोग अब चांदी की जगह अन्य विकल्पों या हल्के वजन के गिफ्ट आइटम्स की ओर रुख करने को मजबूर हो रहे हैं.
जबलपुर के प्रमुख सराफा बाजारों, जैसे कि फुहारा, लार्डगंज और सराफा चौक में आज दिन भर गहमागहमी का माहौल रहा, लेकिन यह गहमागहमी खरीदारी से ज्यादा मोलभाव और निराशा की थी. कई परिवारों ने बताया कि उन्होंने शादी के लिए एक निश्चित मात्रा में सोना खरीदने का प्लान बनाया था, लेकिन आज के रेट सुनने के बाद उन्हें या तो जेवरों का वजन कम करना पड़ रहा है या फिर डिजाइन के साथ समझौता करना पड़ रहा है. भारी-भरकम हार की जगह अब हल्के और 'लाइट वेट' ज्वेलरी की मांग अचानक बढ़ गई है. वहीं, व्यापारियों का कहना है कि दाम बढ़ने से उनकी बिक्री पर भी असर पड़ रहा है. हालांकि यह शादियों का सीजन है इसलिए लोग खरीदारी तो कर रहे हैं, लेकिन वह 'वैल्यू' में ज्यादा है और 'वॉल्यूम' यानी मात्रा में कम हो गई है. ग्राहक अब निवेश के तौर पर सोना खरीदने से कतरा रहे हैं और केवल रस्म अदायगी के लिए ही जेवर खरीद रहे हैं.
इस मूल्य वृद्धि का एक और पहलू यह है कि पुरानी ज्वैलरी की रीसाइक्लिंग यानी पुराने गहने देकर नए बनवाने के रुझान में तेजी आई है. लोग लॉकर में रखे पुराने जेवरों को तुड़वाकर नए फैशन के गहने बनवा रहे हैं ताकि अपनी जेब पर पड़ने वाले अतिरिक्त बोझ को कुछ हद तक कम किया जा सके. सोने की कीमतों में आए इस उछाल ने न केवल वधू पक्ष बल्कि वर पक्ष की चिंताओं में भी इजाफा किया है. भारतीय शादियों में लेन-देन और उपहारों का एक बड़ा हिस्सा सोने-चांदी के रूप में होता है. ऐसे में जब कीमतें आसमान छू रही हों, तो दोनों पक्षों के लिए अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा और बजट के बीच संतुलन बनाना एक टेढ़ी खीर साबित हो रहा है.
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले कुछ दिनों तक राहत मिलने के आसार कम ही नजर आ रहे हैं. वैश्विक स्तर पर जारी भू-राजनीतिक तनाव और केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने की खरीदारी ने इसे एक 'सुरक्षित निवेश' बना दिया है, जिससे इसकी कीमतें नीचे आने का नाम नहीं ले रही हैं. सट्टेबाजों और निवेशकों की सक्रियता ने भी बाजार को गरम कर रखा है. इसका सीधा खामियाजा उस अंतिम उपभोक्ता को भुगतना पड़ रहा है जिसके लिए सोना सिर्फ एक धातु नहीं बल्कि भावनाओं और परंपराओं का प्रतीक है. आज सराफा बाजार में देखी गई तेजी ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि महंगाई के दौर में आम आदमी की खुशियों पर ग्रहण लगने में देर नहीं लगती.
शाम होते-होते बाजार में यह चर्चा आम हो गई कि अगर यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में शादियों का स्वरूप बदल जाएगा. लोग सोने की जगह डायमंड या फिर आर्टिफिशियल ज्वैलरी की तरफ पूरी तरह शिफ्ट हो सकते हैं. फिलहाल, 19 नवंबर का यह दिन उन परिवारों के लिए एक कड़वी याद बनकर रह गया है जो आज बाजार में खुशियां खरीदने निकले थे लेकिन महंगाई के बोझ तले दबकर वापस लौटे. बढ़ती कीमतों ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या अब सोना-चांदी पहनना सिर्फ अमीरों का शौक बनकर रह जाएगा और मध्यम वर्ग के लिए यह केवल एक सपना बन जाएगा? बहरहाल, शादियों की शहनाइयों के बीच महंगाई का यह शोर भी साफ सुनाई दे रहा है और हर कोई बस यही दुआ कर रहा है कि जल्द ही कीमतों में कुछ नरमी आए ताकि वे अपने अरमानों को पूरा कर सकें.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

