AajKaDin: 22 नवम्बर 2025, ऋणमुक्ति श्री गणेश स्तोत्रम्!

AajKaDin: 22 नवम्बर 2025, ऋणमुक्ति श्री गणेश स्तोत्रम्!

प्रेषित समय :08:01:23 AM / Sat, Nov 22nd, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

-प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी, बॉलीवुड एस्ट्रो एडवाइजर (व्हाट्सएप- 8875863494)
* विनायक चतुर्थी - 24 नवम्बर 2025, सोमवार
* चतुर्थी तिथि प्रारम्भ - 23 नवम्बर 2025 को 07:24 पीएम बजे
* चतुर्थी तिथि समाप्त - 24 नवम्बर 2025 को 09:22 पीएम बजे

॥ ऋणमुक्ति श्री गणेश स्तोत्रम् ॥
॥ विनियोग ॥
ॐ अस्य श्रीऋणविमोचनमहागणपति-स्तोत्रमन्त्रस्य शुक्राचार्य ऋषिः ऋणविमोचनमहागणपतिर्देवता अनुष्टुप् छन्दः ऋणविमोचनमहागणपतिप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः.
॥ स्तोत्र पाठ ॥
ॐ स्मरामि देवदेवेशंवक्रतुण्डं महाबलम्.
षडक्षरं कृपासिन्धुंनमामि ऋणमुक्तये॥1॥
महागणपतिं वन्देमहासेतुं महाबलम्.
एकमेवाद्वितीयं तुनमामि ऋणमुक्तये॥2॥
एकाक्षरं त्वेकदन्तमेकंब्रह्म सनातनम्.
महाविघ्नहरं देवंनमामि ऋणमुक्तये॥3॥
शुक्लाम्बरं शुक्लवर्णंशुक्लगन्धानुलेपनम्.
सर्वशुक्लमयं देवंनमामि ऋणमुक्तये॥4॥
रक्ताम्बरं रक्तवर्णंरक्तगन्धानुलेपनम्.
रक्तपुष्पैः पूज्यमानंनमामि ऋणमुक्तये॥5॥
कृष्णाम्बरं कृष्णवर्णंकृष्णगन्धानुलेपनम्.
कृष्णयज्ञोपवीतं चनमामि ऋणमुक्तये॥6॥
पीताम्बरं पीतवर्णपीतगन्धानुलेपनम्.
पीतपुष्पैः पूज्यमानंनमामि ऋणमुक्तये॥7॥
सर्वात्मकं सर्ववर्णंसर्वगन्धानुलेपनम्.
सर्वपुष्पैः पूज्यमानंनमामि ऋणमुक्तये॥8॥
एतद् ऋणहरं स्तोत्रंत्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः.
षण्मासाभ्यन्तरे तस्यऋणच्छेदो न संशयः॥9॥
सहस्रदशकं कृत्वाऋणमुक्तो धनी भवेत्॥
श्री त्रिपुरा सुंदरी दैनिक धर्म-कर्म पंचांग - 22 नवम्बर 2025
शक सम्वत 1947, विक्रम सम्वत 2082, अमान्त महीना मार्गशीर्ष, पूर्णिमान्त महीना मार्गशीर्ष, वार शनिवार, पक्ष शुक्ल, तिथि द्वितीया - 05:11 पीएम तक, नक्षत्र ज्येष्ठा - 04:47 पीएम तक, योग सुकर्मा - 11:30 एएम तक, करण कौलव - 05:11 पीएम तक, द्वितीय करण तैतिल - 06:19 एएम (23 नवम्बर 2025) तक, सूर्य राशि वृश्चिक, चन्द्र राशि वृश्चिक - 04:47 पीएम तक, राहुकाल 09:39 एएम से 11:00 एएम, अभिजित मुहूर्त 12:00 पीएम से 12:43 पीएम 
दैनिक चौघड़िया - 22 नवम्बर 2025
* दिन का चौघड़िया
काल - 06:56 से 08:17
शुभ - 08:17 से 09:39
रोग - 09:39 से 11:00
उद्वेग - 11:00 से 12:21
चर - 12:21 से 01:43
लाभ - 01:43 से 03:04
अमृत - 03:04 से 04:25
काल - 04:25 से 05:46
* रात्रि का चौघड़िया
लाभ - 05:46 से 07:25
उद्वेग - 07:25 से 09:04
शुभ - 09:04 से 10:43
अमृत - 10:43 से 12:22
चर - 12:22 से 02:00
रोग - 02:00 से 03:39
काल - 03:39 से 05:18
लाभ - 05:18 से 06:57 
* चौघडिय़ा का उपयोग कोई नया कार्य शुरू करने के लिए शुभ समय देखने के लिए किया जाता है.
* दिन का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* रात का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्यास्त से अगले दिन सूर्योदय के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* अमृत, शुभ, लाभ और चर, इन चार चौघडिय़ाओं को अच्छा माना जाता है और शेष तीन चौघडिय़ाओं- रोग, काल और उद्वेग, को उपयुक्त नहीं माना जाता है.
* यहां दी जा रही जानकारियां संदर्भ हेतु हैं, विभिन्न पंचांगों, धर्मग्रथों से साभार ली गई है, स्थानीय समय, परंपराओं और धर्मगुरु-ज्योतिर्विद् के निर्देशानुसार इनका उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि यहां दिया जा रहा समय अलग-अलग शहरों में स्थानीय समय के सापेक्ष थोड़ा अलग हो सकता है.
* अपने ज्ञान के प्रदर्शन एवं दूसरे के ज्ञान की परीक्षा में समय व्यर्थ न गंवाएं क्योंकि ज्ञान अनंत है और जीवन का अंत है!

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-