30 फ़ीसदी गिरावट के बीच बिटकॉइन में निवेश का मौका या जोखिम निवेशकों की उलझन बढ़ी

30 फ़ीसदी गिरावट के बीच बिटकॉइन में निवेश का मौका या जोखिम निवेशकों की उलझन बढ़ी

प्रेषित समय :21:43:09 PM / Sun, Nov 23rd, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

क्रिप्टो बाजार बीते छह हफ्तों में जिस तेज़ी से धराशायी हुआ है, उसने निवेशकों को फिर एक बार असमंजस में डाल दिया है। 6 अक्टूबर को सर्वकालिक उच्च स्तर—लगभग 1,25,000 डॉलर—को छूने के बाद बिटकॉइन की कीमतों में तेज़ गिरावट का सिलसिला जारी है। 23 नवंबर तक बिटकॉइन 30 फ़ीसदी से अधिक टूटकर 86,000 डॉलर के आसपास कारोबार कर रहा है। कीमतों में इस गहरी गिरावट ने जहां बाजार मूल्य से 1.2 ट्रिलियन डॉलर से अधिक साफ कर दिया है, वहीं उन निवेशकों के चेहरे पर मुस्कान भी लौटी है जो लंबे समय से ‘करैक्शन’ का इंतज़ार कर रहे थे। बाजार में यह सवाल फिर उभर रहा है कि क्या यह निवेश का सही समय है या जोखिम पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गया है?

बिटकॉइन में भारी गिरावट के पीछे कई कारण गिनाए जा रहे हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि अमेरिकी आर्थिक संकेतक इस गिरावट के सबसे बड़े कारणों में से एक हैं। फेडरल रिज़र्व की दिसंबर बैठक से पहले यह उम्मीद की जा रही थी कि ब्याज दरों में आक्रामक कटौती की जा सकती है, जिससे क्रिप्टो बाजार को सहारा मिलता। लेकिन अब यह अनुमान कमजोर पड़ गया है। दरअसल फेडरल रिज़र्व की कड़ी टिप्पणी और डेटा ने संकेत दिया है कि महंगाई पर दबाव अब भी बना हुआ है और दरों में तेज़ कटौती की संभावना धुंधली हो गई है। यह खबरें क्रिप्टो निवेशकों की भावना पर सीधी चोट कर रही हैं।

इसके अलावा, अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध की आशंकाएं एक बार फिर गहरा रही हैं। व्यापारिक तनाव बढ़ने से महंगाई का खतरा उभरता है और ऐसी स्थिति में जोखिम वाले निवेश, जैसे कि क्रिप्टो संपत्तियां, सबसे पहले दबाव में आती हैं। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं ने बाजार के सभी जोखिमपूर्ण एसेट क्लासेज़ पर असर डाला है और क्रिप्टो भी इससे अछूता नहीं है।

बाजार में गिरावट का एक बड़ा कारण बिटकॉइन ईटीएफ में भारी स्तर पर निकासी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक नवंबर महीने में अमेरिकी स्पॉट बिटकॉइन ईटीएफ में लगभग 3 बिलियन डॉलर की आउटफ्लो देखी गई है। ईटीएफ को क्रिप्टो के लिए एक सुरक्षित निवेश माध्यम माना जाता रहा है, लेकिन जब बड़े निवेशक रिडेम्प्शन की ओर बढ़ते हैं, तो इसका सीधा असर बिटकॉइन की कीमतों पर पड़ता है।

इन तमाम कारणों के बीच सवाल उठता है कि क्या यह गिरावट निवेशकों के लिए अवसर है या सतर्क रहने की चेतावनी? विशेषज्ञों की राय में इस प्रश्न का कोई सरल उत्तर नहीं है, क्योंकि सही स्तर पर पहुंचकर बाजार कब पलटेगा, इसकी भविष्यवाणी संभव नहीं। मौजूदा गिरावट को कई विश्लेषक ‘लॉन्ग-टर्म बुल साइकिल’ में एक गहरी करैक्शन मान रहे हैं। यानी दीर्घकाल में ऊपरी रुझान बरकरार रहने की उम्मीद अभी भी है। लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं कि यह गिरावट यहां थमेगी। ऐसे में निवेशक या तो इस स्तर पर धीरे-धीरे निवेश शुरू कर सकते हैं या फिर और गिरावट का इंतज़ार कर सकते हैं। लेकिन यह स्पष्ट है कि क्रिप्टो की भविष्य की कीमतों को सटीकता से कोई भी नहीं बता सकता।

बिटकॉइन के साथ-साथ अन्य प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी भी जोरदार गिरावट की गिरफ्त में हैं। पिछले एक महीने में एथेरियम 28 फ़ीसदी, एक्सआरपी 18.70 फ़ीसदी, बाइनैंस कॉइन 23.87 फ़ीसदी, सोलाना 32.91 फ़ीसदी, डोजकॉइन 27.64 फ़ीसदी और कार्डानो 37.24 फ़ीसदी टूटे हैं। यह गिरावट दर्शाती है कि करैक्शन सिर्फ बिटकॉइन तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे क्रिप्टो बाजार में व्यापक दबाव बना हुआ है।

भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कानूनी स्थिति अभी भी धुंधली है। क्रिप्टो लेनदेन पर टैक्स लगते हैं, लेकिन इसे आधिकारिक तौर पर न तो प्रतिबंधित किया गया है और न ही सरकारी रूप से वैध संपत्ति की श्रेणी में रखा गया है। सितंबर में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार क्रिप्टो पर तुरंत कोई विधेयक लाने के मूड में नहीं है, क्योंकि इससे इसे ‘वैधता’ मिलने का जोखिम है। ऐसे में निवेशकों को ध्यान रखना चाहिए कि भारतीय कानून क्रिप्टो को अभी भी अनियमित क्षेत्र मानता है।

कराधान के मामले में भी क्रिप्टो निवेशकों को काफी सख्त नियमों का पालन करना होता है। क्रिप्टो लेनदेन पर 1 फ़ीसदी टीडीएस लागू है और मुनाफे पर सीधे 30 फ़ीसदी का कैपिटल गेन टैक्स देना पड़ता है। इस सख्ती के कारण भी निवेशकों की रुचि में समय-समय पर कमी आती रही है।

सुरक्षा को लेकर निवेशकों की चिंता और बढ़ जाती है जब वे एक्सचेंज घोटालों और साइबर हैकिंग की खबरें सुनते हैं। पिछले साल वज़ीरएक्स पर 230 मिलियन डॉलर से अधिक का बड़ा हैक हुआ था, जिससे 42 लाख निवेशक प्रभावित हुए। इस मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग द्वारा क्लास एक्शन याचिका खारिज किए जाने के बाद निवेशकों में चिंता और गहरी हो गई कि क्रिप्टो एसेट क्लास को अभी भी कानूनी सुरक्षा नहीं मिलती। ऐसे घटनाक्रम क्रिप्टो बाजार की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करते हैं और निवेशकों के भरोसे को कमजोर करते हैं।

हालांकि, क्रिप्टो विशेषज्ञ मानते हैं कि जोखिम के साथ-साथ अवसर भी क्रिप्टो बाजार का स्वभाव है। गिरावट के वक्त ही अक्सर दीर्घकालिक निवेशकों को आकर्षक एंट्री-लेवल मिलते हैं, लेकिन इसकी शर्त यह है कि निवेशक जोखिम को समझें, सीमित धन लगाएं और उतना ही निवेश करें जितना खोने की स्थिति में आर्थिक रूप से बोझ न बने। ट्रेडिंग या शॉर्ट-टर्म रिटर्न की उम्मीद रखने वाले निवेशकों को इस समय अत्यधिक सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि बाजार पर अनिश्चितताओं का दबाव ऊपर से बढ़ रहा है।

क्रिप्टो बाजार में जारी यह उतार-चढ़ाव दर्शाता है कि निवेशकों को बिना पूरी जानकारी और पेशेवर सलाह के कदम नहीं उठाना चाहिए। यह भी सच है कि डिजिटल एसेट्स की दुनिया तेजी से बदल रही है और आने वाले महीनों में वैश्विक आर्थिक वातावरण का सीधा असर इस बाजार पर पड़ सकता है। जहां एक ओर क्रिप्टो को वैकल्पिक निवेश वर्ग के रूप में देखा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर इसकी अस्थिर प्रकृति इसे अत्यधिक जोखिमपूर्ण भी बनाती है।

इन सबके बावजूद, एक बात साफ है—बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य बड़े पैमाने पर वैश्विक नीतियों, अमेरिकी फेड के रुख, भू-राजनीतिक हालात, निवेशक मनोवृत्ति और तकनीकी उन्नति पर निर्भर करेगा। मौजूदा माहौल में समझदारी इसी में है कि निवेश का फैसला जल्दबाज़ी में न लिया जाए, बल्कि जोखिम, टैक्स और कानूनी स्थिति को समझकर ही आगे बढ़ा जाए। जैसा कि विशेषज्ञ हमेशा सलाह देते हैं, क्रिप्टो निवेश करने से पहले SEBI-रजिस्टर्ड निवेश सलाहकार से परामर्श लेना निवेशक हित में होगा।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-