मध्य प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव प्रणाली में बड़ा बदलाव, कैबिनेट ने ‘डायरेक्ट इलेक्शन मॉडल’ को दी मंजूरी

मध्य प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव प्रणाली में बड़ा बदलाव, कैबिनेट ने ‘डायरेक्ट इलेक्शन मॉडल’ को दी मंजूरी

प्रेषित समय :19:41:53 PM / Wed, Nov 26th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

भोपाल. मध्य प्रदेश सरकार ने स्थानीय निकाय चुनाव प्रणाली में दो दशक बाद  सबसे बड़ा परिवर्तन करते हुए नगरपालिकाओं और नगर परिषदों में अध्यक्षों का चुनाव अब सीधे जनता से कराने का फैसला किया है. मंगलवार को हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में Municipal Laws Amendment Ordinance 2025 को मंजूरी दे दी गई, जिसके लागू होने के बाद अगली बार होने वाले नगरीय निकाय चुनाव पूर्व की तुलना में पूरी तरह नई संरचना के तहत कराए जाएंगे. यह निर्णय न केवल राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है, बल्कि स्थानीय लोकतंत्र की कार्यप्रणाली में भी व्यापक बदलाव लाने वाला कदम बताया जा रहा है. The Times of India की एक विस्तृत रिपोर्ट के अनुसार, सरकार का तर्क है कि प्रत्यक्ष चुनाव व्यवस्था जनता को अधिक अधिकार और पारदर्शिता प्रदान करेगी.

अब तक नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्षों का चुनाव चुने हुए पार्षदों द्वारा किया जाता था. इस व्यवस्था में अक्सर दलगत समीकरण, गुप्त मतदान, दबाव, सियासी जोड़तोड़ और क्रॉस-वोटिंग जैसी स्थितियाँ चर्चा का विषय रहती थीं. कई बार ऐसा भी देखने को मिलता था कि जिस दल को जनता ने अधिक सीटें दीं, वही दल अध्यक्ष का पद नहीं जीत पाया. लेकिन नई व्यवस्था लागू होने के बाद अब नगर प्रमुखों का चुनाव सीधे जनता करेगी—यानी जिस तरह महापौर का चुनाव होता है, वही मॉडल छोटे शहरी निकायों में भी लागू होगा. इस फैसले ने प्रदेश की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है, क्योंकि इसका सीधा असर स्थानीय सत्ता के समीकरणों पर पड़ेगा.

सरकार के अनुसार, इस संशोधन की आवश्यकता इसलिए महसूस की गई क्योंकि वर्तमान व्यवस्था में पार्षदों द्वारा चुना गया अध्यक्ष अक्सर नागरिकों से सीधा संवाद स्थापित नहीं कर पाता था. उसकी राजनीतिक जिम्मेदारी उन पार्षदों के प्रति अधिक होती थी जिन्होंने उसे चुना, जबकि जनता से उसका सीधा जवाबदेही तंत्र उतना मजबूत नहीं था. वहीं, प्रत्यक्ष चुनाव के मॉडल में जनता और नगर प्रमुख के बीच एक स्पष्ट संबंध स्थापित होगा. जनता सीधे अपना नेता चुनेगी और उसी से विकास का हिसाब भी मांग सकेगी. यह पारदर्शिता बढ़ाएगा, राजनीतिक अस्थिरता कम करेगा और निकायों में नेतृत्व की निरंतरता सुनिश्चित करेगा.

कैबिनेट में इस प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कुछ मंत्रियों ने इसका समर्थन करते हुए कहा कि इससे चुनाव प्रक्रिया अधिक पारदर्शी होगी और निकायों को मजबूत नेतृत्व मिलेगा. उन्होंने तर्क दिया कि जब जनता सीधे अध्यक्ष चुनेगी, तो विकास कार्यों में रुकावट कम होंगी और भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगेगा. वहीं, विपक्षी दलों ने इस निर्णय को सरकार की “राजनीतिक रणनीति” करार देते हुए कहा कि यह बदलाव निकायों में सत्ताधारी दल की पकड़ बनाए रखने की योजना है. विपक्ष के एक वरिष्ठ नेता का कहना था कि प्रत्यक्ष चुनावों में धनबल और बाहुबल का प्रभाव बढ़ने की संभावना रहती है. उन्होंने यह भी प्रश्न उठाया कि क्या छोटे नगरों में जनता के पास पर्याप्त जानकारी होती है कि वे किस प्रकार के उम्मीदवार का चयन करें?

वहीं, चुनाव प्रक्रिया को लेकर राज्य चुनाव आयोग के स्तर पर भी तैयारियां शुरू हो गई हैं. आयोग के अधिकारियों ने संकेत दिया है कि यदि अध्यादेश समय पर अधिसूचित हो जाता है, तो अगला निकाय चुनाव नई प्रणाली के तहत कराए जाने की पूरी संभावना है. हालांकि इसके लिए निर्वाचन क्षेत्रों, आरक्षण, नामांकन और मतगणना से संबंधित कई तकनीकी पहलुओं में परिवर्तन करना होगा. आयोग ने बताया कि प्रत्यक्ष चुनाव में बैलेट की संरचना और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की सेटिंग भी अलग होती है. अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवारों की संख्या अधिक होने की संभावना रहती है, जिससे ईवीएम में तकनीकी तैयारी अलग करनी होगी.

स्थानीय निकाय विशेषज्ञों और शहरी विकास विश्लेषकों का कहना है कि यह परिवर्तन दूरगामी प्रभाव रखेगा. उनकी राय में प्रत्यक्ष चुनावों से निकाय प्रमुखों की वैधता बढ़ेगी, लेकिन इससे पार्षदों और अध्यक्षों के बीच शक्ति-संतुलन का समीकरण भी बदलेगा. अभी तक अध्यक्ष को बहुमत के पार्षदों का समर्थन प्राप्त करना आवश्यक होता था, जो कई बार उसे निर्णय लेने में बाध्य करता था. लेकिन सीधे चुने गए अध्यक्ष के सामने पार्षदों का प्रभाव सीमित हो सकता है, जिससे टकराव की स्थिति भी पैदा हो सकती है. कई विशेषज्ञों ने यह संकेत दिया कि यदि अध्यक्ष और पार्षद अलग-अलग दलों से हुए, तो स्थानीय निकायों में राजनीतिक गतिरोध भी देखने को मिल सकता है.

इसके विपरीत, प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली के समर्थकों का तर्क है कि मजबूत जनादेश से राजनीतिक अस्थिरता का खतरा कम होता है. यदि जनता किसी व्यक्ति को स्पष्ट बहुमत से अध्यक्ष चुनती है, तो उसके पास मजबूत निर्णय क्षमता होती है और प्रशासनिक कार्यों को गति मिलती है. वे यह भी कहते हैं कि नगरों में निरंतर विकास के लिए एक स्थिर नेतृत्व आवश्यक होता है, और प्रत्यक्ष चुनाव इस आवश्यकता को पूरा कर सकता है.

राजनीतिक विश्लेषक इस कदम को बड़ा चुनावी संकेत मान रहे हैं. उनका मानना है कि आने वाले कुछ महीनों में प्रदेश में निकाय चुनाव करवाए जा सकते हैं और प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली लागू करके सरकार शहरी वोटरों में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है. पिछले कुछ सालों में शहरी निकायों में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर रही है, लेकिन प्रत्यक्ष चुनावों में व्यक्तिगत लोकप्रियता अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है. ऐसे में सत्ताधारी दल को लाभ मिल सकता है, क्योंकि उसके पास संसाधन और संगठन दोनों अधिक मजबूत हैं.

जनता स्तर पर प्रतिक्रिया मिश्रित दिखाई दे रही है. कई नागरिक सोशल मीडिया पर सक्रियता से इस विषय पर चर्चा कर रहे हैं. कुछ लोगों का मानना है कि यह निर्णय लोकतंत्र को मजबूत करेगा और स्थानीय स्तर पर पारदर्शिता बढ़ाएगा. वे कहते हैं कि जनता को यह अधिकार मिलना चाहिए कि वह अपने शहर का प्रमुख खुद चुने और अगर वह नेता अच्छा काम न करे तो उसे अगले चुनाव में बाहर कर सके. वहीं, कुछ नागरिकों का कहना है कि चुनाव की लागत और शोरशराबा बढ़ेगा. उनका मानना है कि छोटे नगरों में प्रत्यक्ष चुनाव की आवश्यकता नहीं थी.

इसके बावजूद, कैबिनेट द्वारा मंजूरी दिए जाने के बाद अब इस अध्यादेश को लागू होना लगभग तय माना जा रहा है. विधानसभा अधिवेशन में इसे विधेयक के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है. यदि इसे विधानसभा में पास कर दिया गया, तो मध्य प्रदेश उन राज्यों में शामिल हो जाएगा जहां स्थानीय निकायों में प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली विस्तार से लागू है.

कुल मिलाकर, स्थानीय निकाय चुनावों में प्रत्यक्ष लोकतांत्रिक भागीदारी को बढ़ाने की दिशा में यह एक बड़े परिवर्तन का संकेत है. यह देखा जाना दिलचस्प होगा कि नई व्यवस्था वास्तव में स्थानीय शासन को कितना मजबूत करती है और प्रदेश की राजनीति पर इसका क्या असर पड़ता है. लेकिन इतना तय है कि यह बदलाव आने वाले महीनों में न केवल नगरीय निकायों, बल्कि पूरे प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य में नई हलचल पैदा करेगा.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-