प्राइवेट नौकरी में रिटायरमेंट के बाद कितनी मिलेगी पेंशन जानिए पूरा गणित और आपकी जेब पर इसका असर

प्राइवेट नौकरी में रिटायरमेंट के बाद कितनी मिलेगी पेंशन जानिए पूरा गणित और आपकी जेब पर इसका असर

प्रेषित समय :20:18:42 PM / Wed, Nov 26th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

नई दिल्ली .  देश में सरकारी कर्मचारियों की पेंशन को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है—किसे कितना मिलता है, ओल्ड पेंशन स्कीम लौटेगी या नहीं, ग्रेच्युटी और अन्य सुविधाएं क्या होंगी। लेकिन भारत की बड़ी आबादी, जो निजी क्षेत्र यानी प्राइवेट जॉब करती है, उसकी पेंशन पर शायद ही कभी बात होती है। लाखों कर्मचारी अपने पूरे करियर में ईपीएफ कटवाते हैं, लेकिन रिटायरमेंट के बाद उन्हें आखिर कितनी पेंशन मिलेगी, इसका सही अंदाज़ा कम लोगों को होता है। ऐसे में यह समझना ज़रूरी है कि प्राइवेट कर्मचारियों की पेंशन का पूरा स्ट्रक्चर कैसे काम करता है, किस फॉर्मूले से पेंशन तय होती है और आखिरकार रिटायरमेंट के बाद जेब में हर महीने कितना पैसा आएगा।

प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले हर व्यक्ति की तनख्वाह से पीएफ यानी भविष्य निधि कटता है। यही कटौती उसकी रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा की नींव बनाती है। ईपीएफ का यह हिस्सा दो भागों में बंटता है—एक हिस्सा कर्मचारी के खाते में जाता है और दूसरा नियोक्ता की ओर से एम्प्लॉयीज़ पेंशन स्कीम (EPS) में जमा होता है। यही EPS आगे चलकर पेंशन तय करता है। मगर आम धारणा है कि जो लोग प्राइवेट जॉब करते हैं, उन्हें पेंशन लगभग मिलती ही नहीं। जबकि सच्चाई यह है कि EPF से जुड़े कर्मचारी और कम से कम 10 साल की सेवा पूरी करने वाले हर कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिलती है।

यह पेंशन कितनी होगी, इसका पूरा हिसाब EPS के फॉर्मूले से तय होता है। पेंशन की गणना के लिए ‘पेंशन योग्य सैलरी’ पर नजर डालना जरूरी है। यह आपकी आखिरी 12 महीने की बेसिक पे और डीए का औसत होता है। हालांकि EPS नियमों के अनुसार, भले ही आपकी तनख्वाह 30,000, 40,000 या इससे अधिक क्यों न हो, पेंशन की गणना में अधिकतम 15,000 रुपये तक की सैलरी ही मान्य होती है। यही वजह है कि निजी क्षेत्र में लंबे समय तक काम करने के बावजूद पेंशन का अमाउंट कम दिखाई देता है।

पेंशन निकालने का फॉर्मूला बेहद आसान है—
पेंशन = (पेंशन योग्य सैलरी × सेवा के वर्ष) ÷ 70

अगर मान लें कि किसी कर्मचारी की पेंशन योग्य सैलरी 15,000 रुपये है और उसने 25 साल नौकरी की है, तो उसकी पेंशन होगी:
(15,000 × 25) ÷ 70 = 5,357 रुपये प्रति माह।
यानी रिटायर होने के अगले महीने से यह पैसा हर महीने उसके खाते में आएगा। लेकिन यहां एक बड़ी हकीकत यह है कि महंगाई लगातार बढ़ रही है और लगभग तीन दशक बाद रिटायर होते समय पांच या छह हजार रुपये प्रति माह की पेंशन किसी भी परिवार के लिए पर्याप्त नहीं होगी। यही वजह है कि वित्तीय विशेषज्ञ बार-बार सलाह देते हैं कि सिर्फ EPS पेंशन पर निर्भर रहना भविष्य के लिए जोखिम भरा हो सकता है।

सरकार ने प्राइवेट कर्मचारियों के लिए पेंशन लेने की उम्र भी तय की है। नियमित पेंशन 58 वर्ष की आयु से मिलती है। लेकिन अगर कोई कर्मचारी समय से पहले पेंशन लेना चाहता है, तो वह 50 साल की उम्र से ‘रिड्यूस्ड पेंशन’ ले सकता है। 50 से 58 वर्ष की अवधि के बीच प्रत्येक वर्ष पहले लेने पर पेंशन में कटौती होती है। दूसरी ओर, यदि कोई कर्मचारी रिटायरमेंट की उम्र पार करते हुए पेंशन को 60 वर्ष तक टाल देता है, तो उसे पेंशन में 4% प्रतिवर्ष की अतिरिक्त बढ़ोतरी मिलती है। यह निर्णय उन कर्मचारियों के लिए फायदेमंद हो सकता है जो रिटायरमेंट के बाद भी आय के किसी स्रोत से जुड़े रहते हैं और कुछ वर्षों तक पेंशन की आवश्यकता महसूस नहीं करते।

लेकिन सवाल यह है कि क्या सिर्फ EPS पेंशन से भविष्य सुरक्षित हो सकता है? मौजूदा समय को देखें तो औसत शहरी परिवार के खर्च डेढ़ से दो लाख रुपये सालाना से कम नहीं होते। आने वाले 20–30 वर्षों में महंगाई की रफ्तार इन खर्चों को और बढ़ा देगी। ऐसे में केवल पांच से सात हजार रुपये की पेंशन किसी भी तरह पर्याप्त नहीं मानी जा सकती। यही कारण है कि विशेषज्ञों का सुझाव है कि नौकरी के शुरुआती दिनों से ही कुछ अन्य विकल्पों में निवेश करना चाहिए—जैसे कि NPS (नेशनल पेंशन सिस्टम), म्यूचुअल फंड SIP, कंपनी पेंशन प्लान या फिर दीर्घकालीन फिक्स्ड डिपॉजिट। ये विकल्प रिटायरमेंट के समय एक बड़ा कोष तैयार करने में मदद करते हैं।

आजकल कई कंपनियों में नौकरी के साथ-साथ NPS का विकल्प भी मिलता है, जिसे कर्मचारी खुद चुन सकता है। NPS में मिलने वाली पेंशन EPS की तुलना में काफी अधिक होती है, क्योंकि इसका फंड मार्केट-लिंक्ड होता है और समय के साथ रिटर्न भी बढ़ता है। दूसरी तरफ म्यूचुअल फंड SIP भी 15–20 साल में अच्छा कोर्पस बना देती है, जिसका उपयोग रिटायरमेंट के बाद मासिक आय बनाने के लिए किया जा सकता है।

लेकिन समस्या यह है कि प्राइवेट सेक्टर के अधिकतर कर्मचारी पेंशन की योजना को गंभीरता से नहीं लेते। कई युवा कर्मचारी मानते हैं कि रिटायरमेंट अभी बहुत दूर है, इसलिए बचत या निवेश की शुरुआत बाद में भी की जा सकती है। लेकिन वित्तीय गणित कहता है कि जितनी जल्दी निवेश शुरू होगा, उतनी ही अधिक कमाई लंबी अवधि में मिलेगी। 25 साल की उम्र में शुरू किया गया 2,000 रुपये प्रति माह का SIP भी 60 वर्ष की उम्र तक एक बड़ा फंड तैयार कर देता है।

रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली EPS पेंशन लाखों प्राइवेट कर्मचारियों के लिए एक आधार जरूर है, लेकिन यह आधार काफी कमजोर है। जिस तरह से महंगाई बढ़ रही है, उससे यह पेंशन खर्चों की सिर्फ छोटी सी भरपाई कर पाएगी। इसलिए यह रिपोर्ट आम कर्मचारियों के लिए एक चेतावनी की तरह भी है—यदि आपने निवेश की शुरुआत नहीं की है, तो आज ही करें। EPS पेंशन को अपने रिटायरमेंट का ‘एडिशनल सपोर्ट’ मानें, मुख्य सहारा नहीं।

भविष्य के लिए आर्थिक तैयारी सिर्फ सरकारी कर्मचारियों की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति की आवश्यकता है जो जिंदगी भर मेहनत करता है और बुजुर्गावस्था में बिना तनाव के जीवन जीने का सपना देखता है। प्राइवेट नौकरी करने वालों के लिए यह समय है कि वे पेंशन के इस पूरे गणित को समझकर अपने आर्थिक भविष्य को मजबूत बनाने की दिशा में कदम बढ़ाएं।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-