जबलपुर. मानस भवन के बाहर हुए आपत्तिजनक पुस्तक विवाद मामले में पुलिस को बुधवार दोपहर बड़ी सफलता मिली है. इस मामले के मुख्य आरोपी, पुस्तक विक्रेता को नागौद (सतना जिला) से गिरफ्तार कर लिया गया है. इस गिरफ्तारी से जहां एक तरफ पुलिस ने राहत की सांस ली है, वहीं इस मामले से जुड़े पुराने विवादों और धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोपों ने मामले की गंभीरता को और बढ़ा दिया है.
यह विवाद तब शुरू हुआ जब मानस भवन में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कुछ संगठनों ने आपत्तिजनक और हिंदू विरोधी साहित्य बेचे जाने का आरोप लगाया. इस आरोप के बाद ही बजरंग दल के कार्यकर्ताओं और पिछड़ा वर्ग के कार्यकर्ताओं के बीच बीती दोपहर जमकर झड़प हुई और दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए, जिसमें डंडे चलने की खबर भी सामने आई थी.
बजरंग दल के कार्यकर्ताओं का स्पष्ट आरोप था कि कार्यक्रम स्थल के बाहर जानबूझकर आपत्तिजनक पुस्तकें बेची जा रही थीं, जो धार्मिक भावनाओं को आहत करती हैं और समाज में वैमनस्य फैलाती हैं. वहीं, पिछड़ा वर्ग के कार्यकर्ताओं का कहना था कि बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने संविधान से संबंधित पुस्तकें बेच रहे लोगों को निशाना बनाया और उनके पास रखी संविधान की किताब तक फाड़ दी. दोनों पक्षों के अलग-अलग आरोपों ने इस विवाद को एक नया मोड़ दे दिया था, जिसके बाद पुलिस ने शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए कड़ी मशक्कत की थी.
पुलिस की त्वरित कार्रवाई के बाद आरोपी पुस्तक विक्रेता को नागौद से गिरफ्तार किया गया. पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, गिरफ्तार विक्रेता का आपत्तिजनक टिप्पणियों और विवादों से पुराना नाता रहा है. यह बात सामने आई है कि वह पहले भी धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाले कृत्यों में शामिल रहा है और अतीत में उसने मैहर माता (मैहर, सतना) के संबंध में आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिसके बाद उस पर कार्रवाई भी हुई थी.
इस नए खुलासे ने मामले को एक व्यक्तिगत विवाद से आगे बढ़कर समाज में वैमनस्य फैलाने के प्रयास के रूप में स्थापित कर दिया है. पुलिस अब आरोपी से सख्ती से पूछताछ कर रही है कि उसे ये विवादित पुस्तकें कहाँ से मिलीं और उनका वितरण करने के पीछे उसका क्या उद्देश्य था. पुलिस यह भी जांच कर रही है कि क्या इस पूरी घटना के पीछे कोई बड़ी साजिश या संगठन शामिल है, जो जानबूझकर जबलपुर जैसे शांत शहर का माहौल बिगाड़ना चाहता है.
गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने दोनों पक्षों से शांति बनाए रखने की अपील की है और कहा है कि कानूनी प्रक्रिया के तहत निष्पक्ष जांच की जाएगी. इस घटना ने एक बार फिर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और धार्मिक भावनाओं के सम्मान के बीच की पतली रेखा पर गंभीर बहस छेड़ दी है, जिसकी आंच सोशल मीडिया पर अभी भी महसूस की जा रही है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

