जबलपुर. नगर निगम ने कर वसूली और संपत्तियों की वास्तविक स्थिति की जाँच को लेकर अब तक का सबसे बड़ा और सबसे सख्त अभियान शुरू कर दिया है. निगमायुक्त रामप्रकाश अहिरवार ने पूरे राजस्व अमले को साफ निर्देश दे दिए हैं कि इस बार अभियान केवल औपचारिकता नहीं होगा, बल्कि सख्त मॉनिटरिंग, दैनिक लक्ष्य और ज़मीनी कार्रवाई के साथ इसे पूरी गंभीरता से अंजाम दिया जाएगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि शहर का विकास सीधे-सीधे करदाताओं के सहयोग और समय पर जमा होने वाले करों पर निर्भर करता है, और जिन क्षेत्रों में कर बकाया है, वहाँ अभियान अब और आक्रामक रूप लेगा.
निगमायुक्त के आदेश के बाद 28 नवंबर से 24 दिसंबर तक शहर के सभी 16 संभागीय कार्यालयों के अधीन आने वाले वार्डों में विशेष वसूली शिविर लगाए जा रहे हैं. इनमें हर संभाग में राजस्व निरीक्षकों, सहायक निरीक्षकों, नोटिस सर्वरों और कंप्यूटर ऑपरेटरों की विशेष टीम गठित कर दी गई है, जिन्हें प्रतिदिन का वसूली लक्ष्य दिया गया है. नगरपालिका प्रशासन की प्राथमिकता स्पष्ट है—वित्तीय वर्ष समाप्त होने से पहले जितनी भी बकाया राशि है, उसे शून्य के करीब पहुँचाया जाए.
नगर निगम के रिकॉर्ड बताते हैं कि शहर की कुल 1,32,900 संपत्तियों पर लगभग 110 करोड़ रुपये की भारी-भरकम बकाया राशि दर्ज है. यह राशि इतनी अधिक है कि शहर के विकास कार्यों, सड़क निर्माण, नालों की मरम्मत, स्वच्छता और अन्य योजनाओं पर इसका सीधा असर पड़ता है. निगम प्रशासन इसलिए इस बार किसी प्रकार की ढील देने के मूड में नहीं है.
अभियान का बड़ा और महत्वपूर्ण हिस्सा संपत्तियों के निर्मित क्षेत्र और उनके वास्तविक उपयोग की जांच है. निगमायुक्त रामप्रकाश अहिरवार ने यह स्पष्ट किया है कि यह जाँच केवल कागज़ी दस्तावेज़ों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि दल मौके पर जाकर संपत्तियों का निरीक्षण करेंगे. देखा जाएगा कि जिसने जिस उपयोग का विवरण दिया है, वह सही है या नहीं. कई जगहों पर शिकायतें थीं कि आवासीय संपत्तियों में व्यावसायिक गतिविधियाँ संचालित हैं, लेकिन कर अभी भी आवासीय दर पर भरा जा रहा है. ऐसी संपत्तियों की पहचान इस बार प्राथमिकता में है, और किसी भी तरह की विसंगति मिलने पर नियमानुसार संशोधित करारोपण किया जाएगा, साथ ही दंडात्मक कार्रवाई भी संभव है.
निगमायुक्त ने कहा है कि करदाताओं को इस बीच एक महत्वपूर्ण सुविधा दी जा रही है—कि वे 31 दिसंबर तक बकाया राशि को केवल 7 प्रतिशत अधिभार के साथ जमा कर सकते हैं. लेकिन 1 जनवरी 2026 से यह अधिभार बढ़कर सीधे 15 प्रतिशत हो जाएगा. यह बड़ा बदलाव है और इसका असर हजारों करदाताओं पर पड़ेगा. इसके अलावा, 1 अप्रैल से बकाया संपत्ति कर राशि को दुगना कर देने का प्रावधान भी लागू किया जाएगा. आरोही अधिभार और दोगुने कर का यह प्रावधान उन लोगों के लिए चेतावनी है जो लंबे समय से बकाया राशि को लेकर उदासीन बने हुए हैं.
अभियान को लेकर निगमायुक्त अहिरवार का यह भी कहना है कि शहर के विकास में हर नागरिक की भूमिका महत्वपूर्ण है. करदाता जितनी तत्परता से कर जमा करेंगे, उतनी तेज़ी से शहर में सड़कों, पेयजल, ड्रेनेज, स्वच्छता और अन्य सुविधाओं का विस्तार होगा. उनका कहना है कि अक्सर लोग शिकायत करते हैं कि विकास धीमा क्यों है, लेकिन इसका सीधा संबंध राजस्व संग्रह से होता है. अगर बकाया राशि का बड़ा हिस्सा अटका रहे, तो कामों की रफ्तार अपने आप प्रभावित होती है.
वसूली शिविरों में नागरिकों को समय पर भुगतान करने के लिए जागरूक भी किया जा रहा है. कई स्थानों पर टीमों को यह निर्देश है कि वे लोगों को यह समझाएँ कि समय रहते कर जमा करने से उन्हें अधिभार और कानूनी कार्रवाई से राहत मिल सकती है. निगम प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि 31 दिसंबर के बाद जारी होने वाले नोटिस और कार्यवाहियाँ पहले की तुलना में ज्यादा सख्त होंगी.
शहर के कई क्षेत्रों में पहले ही संपत्ति मालिकों को नोटिस देकर जानकारी सत्यापित करने को कहा जा चुका है. जहाँ उपयोग में बदलाव मिला, वहाँ संपत्ति कर में तत्काल संशोधन किया जा रहा है. निगम का यह भी कहना है कि जो लोग वर्षों से कर नहीं दे रहे, उन्हें इस बार किसी भी तरह की ढील नहीं दी जाएगी.
अभियान के चलते शहर में एक तरह से फील्ड एक्टिविटी बढ़ गई है. अधिकारी रोज़ाना सुबह से शाम तक वार्डों में जाकर डेटा सत्यापन, वसूली, नोटिस वितरण और ऑन-स्पॉट अपडेट का काम कर रहे हैं. वसूली दलों की निगरानी स्वयं निगमायुक्त कर रहे हैं, और प्रतिदिन की समीक्षा बैठकों में यह आकलन किया जाता है कि किस संभाग में कितनी वसूली हुई और कहाँ सुधार की जरूरत है.
नागरिकों में भी इस अभियान को लेकर अलग-अलग स्वर सुनाई दे रहे हैं. कई लोगों का कहना है कि समय रहते सूचना देना अच्छा कदम है, इससे लोग अधिभार बढ़ने से पहले अपनी राशि जमा कर सकेंगे. वहीं कुछ लोग इसे सख्त लेकिन आवश्यक निर्णय मान रहे हैं, क्योंकि शहर में तेज़ी से विकास के लिए राजस्व का मजबूत होना अनिवार्य है.
निगमायुक्त की अपील बहुत स्पष्ट है—जो भी करदाता बकाया राशि जमा करने में विलंब करते आए हैं, वे 31 दिसंबर से पहले अपनी राशि अदायगी कर दें. इससे न केवल वे बढ़े हुए अधिभार से बच सकेंगे, बल्कि शहर विकास में अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन भी कर पाएंगे. उन्होंने दोहराया कि 1 जनवरी के बाद ब्याज दर लगभग दोगुनी और 1 अप्रैल के बाद संपत्ति कर भी दुगुना होने का प्रावधान लागू हो जाएगा, इसलिए समय पर भुगतान ही करदाताओं के हित में है.
नगर निगम का यह अभियान आने वाले महीनों में शहर की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने का निर्णायक कदम माना जा रहा है. प्रशासन का विश्वास है कि अगर नागरिक सहयोग करते हैं, तो आगामी वर्ष में विकास कार्यों की गति कई गुना बढ़ सकती है. शहर से जुड़ी उम्मीदें इसी पर टिक़ी हैं कि करदाता अपनी जिम्मेदारी समझेंगे और समय रहते भागीदारी करेंगे.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

