रणवीर सिंह अभिनीत 'धुरंधर' कानूनी पचड़े में फंसी, शहीद मेजर मोहित शर्मा के परिवार ने रिलीज़ रोकने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया

रणवीर सिंह अभिनीत

प्रेषित समय :21:12:43 PM / Fri, Nov 28th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

नई दिल्ली. अभिनेता रणवीर सिंह अभिनीत बहुप्रतीक्षित फिल्म 'धुरंधर' अपनी रिलीज़ से ठीक पहले एक बड़े कानूनी विवाद में घिर गई है। अशोक चक्र और सेना मेडल से सम्मानित शहीद मेजर मोहित शर्मा के परिवार ने फिल्म की तत्काल रिलीज़ पर रोक लगाने की मांग करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। परिवार का आरोप है कि फिल्म निर्माता उनकी अनुमति के बिना और शहीद की गरिमा का उल्लंघन करते हुए कथित तौर पर मेजर शर्मा के जीवन और उनके गुप्त अभियानों पर आधारित कहानी का चित्रण कर रहे हैं।

फिल्म 'धुरंधर' 5 दिसंबर को सिनेमाघरों में रिलीज़ होने वाली है, लेकिन परिवार की याचिका ने इसकी रिलीज़ की योजना पर संकट खड़ा कर दिया है। बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, याचिका में कहा गया है कि फिल्म का ट्रेलर, किरदारों का प्रस्तुतीकरण और सैन्य पृष्ठभूमि की कथावस्तु मेजर मोहित शर्मा के वास्तविक जीवन, उनके अंडरकवर ऑपरेशन (जैसे कि वह 'इफ्तिखार भट्ट' बनकर आतंकवादियों के बीच रहे थे) और वर्ष 2009 में कुपवाड़ा में हुई उनकी शहादत से अस्पष्ट रूप से मेल खाती है।

मेकर्स का खंडन और कानूनी दांव-पेंच

यह विवाद सोशल मीडिया पर तब गरमाया जब कुछ दिनों पहले अटकलें लगाई गईं कि 'धुरंधर' की कहानी मेजर मोहित शर्मा से प्रेरित है। इस पर संज्ञान लेते हुए, फिल्म के निर्देशक और सह-निर्माता आदित्य धर ने 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर एक सार्वजनिक स्पष्टीकरण जारी किया था। उन्होंने स्पष्ट रूप से इनकार करते हुए लिखा था, "हमारी फिल्म 'धुरंधर' बहादुर मेजर मोहित शर्मा एसी(पी) एसएम के जीवन पर आधारित नहीं है। यह एक आधिकारिक स्पष्टीकरण है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ, अगर हम भविष्य में मोहित सर पर कभी बायोपिक बनाते हैं, तो हम परिवार की पूरी सहमति और सलाह के साथ, और उनके बलिदान का सम्मान करते हुए ऐसा करेंगे।"

हालांकि, परिवार का तर्क है कि फिल्म के प्रचार सामग्री में समानताएँ इतनी अधिक हैं कि मेकर्स का खंडन पर्याप्त नहीं है। परिवार ने याचिका में कहा है कि एक शहीद वाणिज्यिक वस्तु नहीं है और उनके जीवन की कहानी को लाभ के लिए, सत्य और गरिमा को बनाए रखे बिना, बदला या इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

निजता और राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा

याचिका में शहीद के मरणोपरांत व्यक्तित्व अधिकारों (Posthumous Personality Rights) के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है, जिसे संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित माना जाता है। परिवार का तर्क है कि बिना अनुमति के यह चित्रण न केवल शहीद की गरिमा का अपमान है, बल्कि उनके (परिवार के) निजता, सम्मान और भावनात्मक सुरक्षा के अधिकार का भी उल्लंघन करता है।

याचिका में एक प्रमुख चिंता राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर भी उठाई गई है। परिवार ने आशंका जताई है कि फिल्म में मेजर शर्मा द्वारा किए गए गुप्त अभियानों से संबंधित संवेदनशील जानकारी का खुलासा हो सकता है। उनका कहना है कि फिल्म में विशेष बलों की रणनीति, घुसपैठ के पैटर्न और आतंकवाद विरोधी तकनीकों का चित्रण हो सकता है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े गोपनीय विवरण सामने आ सकते हैं।

परिवार ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC), भारतीय सेना के एडीजीपीआई (ADGPI), निर्देशक आदित्य धर, और निर्माता जियो स्टूडियोज को प्रतिवादी बनाया है।

परिवार की व्यापक मांग

फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मुख्य मांग के अलावा, परिवार ने अदालत से यह भी अनुरोध किया है कि सार्वजनिक प्रदर्शन से पहले फिल्म की एक निजी स्क्रीनिंग उनके लिए अनिवार्य की जाए। साथ ही, उन्होंने एक व्यापक निर्देश की मांग की है: कि भविष्य में किसी भी वास्तविक सैन्य शहीद पर आधारित फिल्म को रिलीज़ करने से पहले फिल्म निर्माताओं के लिए शहीद के कानूनी वारिसों और भारतीय सेना, दोनों से अनिवार्य रूप से अनुमति प्राप्त करना आवश्यक किया जाए।

दिल्ली हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई अगले सप्ताह होने की उम्मीद है। यह देखना बाकी है कि यह कानूनी लड़ाई 5 दिसंबर को निर्धारित 'धुरंधर' की नाटकीय रिलीज़ की योजना को प्रभावित करती है या नहीं।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-