राहु जिस भाव में बैठता है, उसी भाव के फल को असामान्य, अचानक और चमत्कारिक तरीके से प्रकट करता

राहु जिस भाव में बैठता है, उसी भाव के फल को असामान्य, अचानक और चमत्कारिक तरीके से प्रकट करता

प्रेषित समय :18:25:52 PM / Fri, Nov 28th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

राहु महराज: भाव और भावाधिपति के अनुसार परिणाम
 

  1. राहु जिस भाव में बैठता है, उसी भाव के फल को असामान्य, अचानक और चमत्कारिक तरीके से प्रकट करता है।
    यह ग्रह सामान्य फल नहीं देता—या तो अत्यधिक लाभ देता है या अत्यधिक हानि, सब कुछ अचानक।

  2. भावाधिपति (घर के स्वामी) की स्थिति राहु के फल को पूरी तरह मोड़ देती है।
    यदि भावाधिपति शुभ स्थान में हो तो राहु के परिणाम भी सकारात्मक और उन्नति देने वाले बन जाते हैं।
    यदि भावाधिपति नीच, शत्रु स्थान या छठे-अष्टम-बारहवें में हो तो परिणाम चुनौतीपूर्ण भी हो सकते हैं।

  3. धन भाव (2nd house) में राहु

    • यदि धनेश पंचम में हो: शेयर मार्केट, सट्टा, क्रिप्टो, लॉटरी, स्पेक्युलेशन से अचानक लाभ। भाषण से लाभ, मीडिया या कंसल्टेंसी में ग्रोथ।
    • यदि धनेश छठे में हो: ऋण बढ़ने, रोग आने, कोर्ट-कचहरी, झगड़े और खर्च बढ़ने की संभावना। धन रुकावट भी दिखाता है।
  4. लग्न भाव में राहु

    • लग्नेश शुभ स्थान में: प्रसिद्धि, अचानक नाम, सोशल मीडिया सफलता, विदेश योग, करियर में छलांग।
    • लग्नेश अशुभ स्थान में: भ्रम, निर्णय गलत, स्वास्थ्य समस्या, इमेज खराब होने की संभावना।
  5. चतुर्थ भाव में राहु

    • चतुर्थेश मजबूत: संपत्ति लाभ, वाहन सुख, जमीन-जायदाद में अचानक वृद्धि।
    • चतुर्थेश कमजोर: मानसिक तनाव, घर बदलना, माता के स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव।
  6. पंचम भाव में राहु

    • पंचमेश लग्न/त्रिकोण में: क्रिएटिविटी, राजनीति, शेयर बाजार, प्रेम में सफलता, संतान से लाभ।
    • पंचमेश छठे/अष्टम में: प्रेम में धोखा, सट्टे में नुकसान, शिक्षा में रुकावट।
  7. सप्तम भाव में राहु

    • सप्तमेश मजबूत: विदेशी जीवनसाथी, बिजनेस में पार्टनर से उन्नति, विदेश व्यापार।
    • सप्तमेश अशुभ: संबंधों में धोखा, कोर्ट केस, पार्टनरशिप टूटने का योग।
  8. दशम भाव में राहु

    • दशमेश मजबूत: सरकारी पद, बड़ी कंपनियों में अचानक प्रमोशन, पब्लिक फेम।
    • दशमेश कमजोर: नौकरी में विवाद, बॉस से तनाव, गलत फैसलों से नुकसान।
  9. बारहवें भाव में राहु

    • बारहेश मजबूत: विदेश जाकर लाभ, ध्यान-योग में रुचि, अस्पताल/फार्मा में लाभ।
    • बारहेश अशुभ: खर्च बढ़ना, नींद की समस्या, मानसिक दबाव, बेकार यात्राएँ।
  10. सार तत्व
    राहु स्वयं फल नहीं तय करता—भाव + भावाधिपति की शक्ति = राहु का असली परिणाम।
    जहाँ भावाधिपति की स्थिति शुभ है, वहाँ राहु महराज वरदान; जहाँ भावाधिपति कमजोर है, वहाँ राहु परीक्षा लेता है।

*पंडित चंद्रशेखर नेमा हिमांशु 9893280184

मां कामख्या साधक, जन्म कुंडली विशेषज्ञ, वास्तु शास्त्री 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-